नादान की दोस्ती जी का जंजाल, दिल्ली वालों को मिले केजरीवाल !


मार्च 2015 में दिल्ली सरकार ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया था। इसके खिलाफ प्रशांत पटेल नाम के शख्स ने राष्ट्रपति के पास याचिका दाखिल की और मांग की कि ये 21 विधायक लाभ के पद पर हैं इसलिए इनकी सदस्यता रद्द होनी चाहिए।

इसके बाद चुनाव आयोग ने इन विधायकों को नोटिस जारी कर पूछा कि इनकी सदस्यता क्यों ना समाप्त की जाए?

इसके जबाब में आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों ने मंगलवार को चुनाव आयोग को जवाब सौंपकर कहा है कि उन्होंने संसदीय सचिव के नाते कोई वेतन, भत्ता, दफ्तर या गाड़ी नहीं ली इसलिए वो लाभ के पद के दायरे में नहीं आते लिहाज़ा उनकी विधायकी रद्द नहीं होनी चाहिए। 

जबाब कोई भी दिया हो, लेकिन सचाई यह है कि चुनाव आयोग के नोटिस के बाद केजरीवाल जी की सांस फूली हुई है ! भयभीत केजरीवाल ने ट्वीट भी किया है, जिसमें मोदी जी को आगाह किया है कि वे उत्तराखंड से सबक लें तथा इन विधायकों की सदस्यता समाप्ति की ना सोचें !

लगता है इस भय के चलते ही आम आदमी पार्टी मोदी जी की डिग्री पर फिजूल का ववाल भी खड़ा कर रही है ! लेकिन क्या मोदी जैसी सख्सियत को ये नादान इस तरह की छिछोरी हरकतों से ब्लैकमेल कर पायेंगे ?

सवाल यह उठता है कि अगर चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर केजरीवाल जी को भरोसा नहीं है, और वे यह मानते है कि चुनाव आयोग मोदी सरकार के अनुसार ही फैसला लेगा, तब तो फिर देश में प्रजातंत्र ही समाप्त है ! वे चुनाव में भाग लेना ही बंद कर दें और हमेशा की तरह आरोप लगाएं कि चुनाव आयोग भी मोदी जी से मिला हुआ है, वह उसे ही विजई घोषित करेगा, जिसके लिए मोदी जी कहेंगे !

शायद आगामी चुनाव में पराजय के बाद उनका यही शिगूफा होने वाला है !

नादान की दोस्ती जी का जंजाल – शायद दिल्ली वाले भी यही सोच रहे होंगे !

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