शिवपुरी नगर पालिका अध्यक्ष 420 के आरोप में पहुंचे जेल, समर्थन में उतरे कांग्रेसी आपस में ही भिड़े !

जेल जाते मुन्नालाल

वर्षों से देश में गरीबी हटाओ का नारा गूँज रहा है, जब भी कोई चुनाव आते हैं, यह स्वर न केवल ऊंचा हो जाता है, वरन इसे असली दर्शाने की होड़ भी लगती है ! अगर चुनाव क्षेत्र आरक्षित हो तो फिर तो कहना ही क्या है ! पहले तो राजनैतिक दल ही गरीब, उससे गरीब, सबसे गरीब प्रत्यासी ढूँढने में जुटते हैं, रही सही कसर जनता पूरी कर देती है ! जनता या तो ग्लेमर पर निसार होती है, या फिर फक्कड़ों पर ! अगर फक्कड़ों की सूची पर गौर फरमाएं तो सुशील जी जैसे जगत भाई साहब से लेकर, जगमोहन सिंह सेंगर, और एकदम ताजा तरीन नाम मुन्नालाल कुशवाह आँखों के सामने तैरने लगते हैं !

मुन्नालाल कुशवाह जब शिवपुरी नगर पालिका अध्यक्ष पद के कांग्रेस प्रत्यासी घोषित हुए, तब उनकी पार्टी ने उन्हें अमीर हरिओम राठौर के सामने मैदान में उतारा गया, गरीब प्रत्यासी घोषित किया ! जनता ने सहानुभूति की भरपूर वर्षा भी की और नतीजतन मुन्ना भैया बीपीएल चुनाव जीत भी गए !

अब यह अलग बात है कि वे कहीं से कहीं तक गरीब नहीं कहे जा सकते | उनके स्वयं के द्वारा चुनाव पूर्व दिए गए घोषणापत्र के अनुसार उनकी आय, उनकी चल अचल संपत्ति उन्हें कमसेकम बीपीएल का व्यक्ति तो नहीं ही बताती ! चुनाव जीतने के कुछ ही समय बाद जो रहस्योद्घाटन हुआ, उसने सबको चोंका दिया ! शिवपुरी नगर का यह प्रथम नागरिक गरीबी की पात्रता में न आने के बाबजूद बीपीएल का राशन कार्ड न केवल रखता रहा, बल्कि गरीबों को दिया जाने वाला राशन भी डकारता रहा !

यह फर्जीबाड़ा सामने आने के बाद भी कुछ समय तक तो बेशर्मी से कुर्सी की शक्तियों व अपने राजनीतिक आकाओं का उपयोग करके स्वनामधन्य मुन्नालाल कुशवाह भरसक इस मामले को दबाने का प्रयत्न करते रहे, व खुद को इस झंझट से बचाने की जद्दोजहद में जुटे रहे, किन्तु जागरुक सोशल मीडिया व अशोक सम्राट जैसे पत्रकारों के कारण उनके मंसूबे पूरे नहीं हुआ ! अंततः प्रशासन को जांच के आदेश देने ही पड़े, जिसमें मुन्नालाल दोषी पाए गए तथा धोखाधड़ी व धारा 420 के अंतर्गत उनके विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध हुआ !

मुन्नालाल तत्काल उच्च न्यायालय की शरण में गए, और वहां से उन्हें फौरी तौर पर गिरफ्तारी पर स्टे के रूप में राहत मिल भी गई ! किन्तु कहावत है कि “बकरे की माँ कब तक खैर मनायेगी”, अंततः हाई कोर्ट में भी उनकी याचिका खारिज ही हुई ! आनन फानन में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर सींखचों के पीछे पहुंचा दिया !

पर यहाँ से शुरू हुआ वह गंदा खेल, जिसके कारण राजनीति आम आदमी की नजर में लगातार गिरती जा रही है ! कांग्रेस को इसके पीछे राजनैतिक दुर्भावना व भाजपा का षडयंत्र नजर आने लगा ! कांग्रेसियों की मुन्ना सहानुभूति धरना प्रदर्शन क रूप में सडकों पर सामने आने लगी ! कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सहित तमाम कांग्रेसी तर्कों की बौछार करते दिखाई देने लगे कि क्या अकेले मुन्ना ही शिवपुरी में गरीबी रेखा की सूची में दर्ज होकर लाभ प्राप्त करते आये हैं ? ऐसे और भी बहुत लोग हैं, आखिर उन पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई ? इसी आधार पर आज कांग्रेसियों ने कुछ समय तो माधव चौक के नजदीक ए.बी.रोड पर धरना दिया, उसके बाद जुलूस की शक्ल में नारेबाजी करते हुए एस.पी. ऑफिस जा पहुंचे !

हैरत की बात यह है कि कांग्रेसी सूरमा यह विचार करने की जहमत नहीं उठा रहे कि आखिर अमीर होते हुए भी फर्जी बीपीएल कार्ड धारी गलत लोगों पर कार्यवाही करता कौन ? आखिर यह काम तो नगरपालिका का ही था, जिस पर उनके अपने मुन्नालाल कुशवाह स्वयं अध्यक्ष के रूप में विराजमान थे ! किसने रोका था उन्हें जांच के आदेश देने से ?

कांग्रेसी संस्कृति की झलक आज के प्रदर्शन में भी देखने को मिली ! एस.पी. को ज्ञापन देने के बाद कांग्रेसियों का दल मुख्य नगर पालिका अधिकारी रणवीर सिंह से चर्चा करने नगर पालिका कार्यालय जा धमका ! सीएमओ से चर्चा के दौरान जहाँ बुजुर्ग कांग्रेस जिलाध्यक्ष रामसिंह यादव, जिन्हें आम लोग आदर के साथ दद्दा संबोधन देते हैं, वे तो कुसियों के अभाव में खड़े खड़े चर्चा करने को विवश हुए, वहीं कांग्रेस के युवा नेता कुर्सियों पर डटे रहे ! किसी ने भी अपने अध्यक्ष की गरिमा का रत्ती भर भी ध्यान नहीं रखा ! मर्यादा की ऐसी धज्जियां कांग्रेस में ही उड़ सकती हैं !

विचित्र स्थिति यह है कि नगर पालिका अध्यक्ष मुन्नालाल के खिलाफ स्वयं नगर पालिका ही फरियादी बनी हुई है ! अतः बेचारे मुख्य नगर पालिका अधिकारी कांग्रेसियों को क्या आश्वासन दे पाते ? सहयोग की सारी संभावना धूमिल देखकर इसके बाद कांग्रेसी सूरमा आपस में ही भिड गए ! एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ ! एक नेता तो अपने वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ यह बोलते सुने गए कि हमारे कुछ नेता दलबदलू हैं और कांग्रेस के नाम का उपयोग अपने निजी हित के लिए कर रहे हैं ! विधान सभा चुनावों में इनके भितरघात के कारण ही कांग्रेस बार बार पराजित होती है !

उपस्थित आम जनता व पत्रकार इस रोचक एपिसोड को मनोयोग से देखकर मजे ले रहे थे ! उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि यह धरना प्रदर्शन मुन्नालाल कुशवाह के बचाव के लिए आयोजित किया गया था, अथवा कांग्रेसीयों की खुद की पोल खोलने के लिए ?

कुल मिलाकर मुन्नालाल का जांच में दोषी पाया जाना और उनका जेल जाना इस बात का प्रमाण है कि क़ानून की लाठी में ताकत होती है ! गरीबों के हक़ पर डाका डालना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं ठहराया जा सकता ! कांग्रेसियों को उनके पक्ष में आवाज उठाने के बजाय, अगर उनके पास मुन्नालाल जैसे और लोगों की सूची है, तो उसे उजागर करना चाहिए ! किन्तु वे ऐसा क्यों करने लगे ? आखिर वे भी तो उनके अपने लोग ही होंगे, जैसे कि मुन्नालाल हैं !

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