आज हम आपको भारत के एक ऐसे गाँव के बारे में बताने जा रहे है जिसने लघु उद्योग के बल पर न सिर्फ गरीबी ही दूर की बल्कि आज वहां हर घर में ...

आज हम आपको भारत के एक ऐसे गाँव के बारे में बताने जा रहे है जिसने लघु उद्योग के बल पर न सिर्फ गरीबी ही दूर की बल्कि आज वहां हर घर में से कम से कम एक सदस्य एनआरआई है ! सामान्यता आपने सुना होगा कि लघु उद्योगों के माध्यम से गाँव वाले आत्म निर्भर होते जा रहे है, परन्तु क्या कभी आपने ऐसा सुना है कि भारत में एक ऐसा भी गांव है जो इन्ही लघु उद्योग की मदद से करोडपति गांव कहलाता है और इस गांव का लगभग हर परिवार लखपति है ! सुनकर थोडा अजीब लग रहा होगा, लेकिन यह सत्य है !
गुजरात के नडियाद शहर से छह किलोमीटर दूर उत्तरसंडा गांव आज समूची दुनिया में पापड़ के लिए विख्यात हो गया है वहीं इस गांव में गरीबी का नामोनिशान नहीं है ! इस गांव में अब हर घर में कम से कम एक सदस्य अनिवासी भारतीय भी बन गया है ! तकरीबन 17 हजार की आबादी वाले इस गांव में पापड़ के छोटे बड़े लगभग 22 उत्पादक हैं ! यहां के पापड़ देश में ही नहीं विदेश में भी खूब बिक रहे हें !
गुजरात के खेडा जिले के गांव उत्तरसंडा में 1986 में पापड़ बनाने की शुरूआत हुई ! उत्तरसंडा के पड़ौसी गांव के निवासी दीपक पटेल ने उत्तम पापड़ ब्रांड के तहत पापड़ बनाने का यहां पहला कारखाना खोला ! इस समय यह कारखाना करमसद गांव के रहने वाले जीतू त्रिवेदी संभाल रहे हैं ! दीपक पटेल के पुत्र अमरीका में रह रहे हैं और दीपक पटेल भी वहीं चले गए हैं ! अब उत्तरसंडा में पापड़ बनाने की ऑटोमैटिक मशीनें भी आ गई हैं ! आटा गूंथने, पापड़ बेलने और सूखाने का काम मशीनों से ही होता है !

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