मन में अंगारे पलते हैं |
0
टिप्पणियाँ
यह सही है
हम सब कुछ नहीं कर सकते
जो कर सकते करेंगे,
जरूर करेंगे,
बिना इस बात की चिंता किये
कि लोग क्या कहेंगे ?
लोगों के कहने से
क्या अपनों से मुंह मोड़ लें ?
अपनी प्रतिज्ञा तोड़ लें ?
हमारा आदर्श है वह गिलहरी
जो राम सेवा निरत मरी |
है समाज आराध्य हमारा
भारत भू हित जीवन सारा |
हर राह सफलता की मंजिल,
आ जाए कितनी भी मुश्किल |
मन में अंगारे पलते हैं,
ज्वाजल्यमान हर पल यह दिल |
हर पल हर क्षण, भारत चिंतन,
हो राष्ट्रभक्ति पूरित हर मन |
स्वाभिमान उन्नत हो भाल,
इष्टदेव भारत विशाल |
(आज श्री सूर्यकांत जी केलकर का चित्र देख कर मन में ये ही भाव आये | अद्भुत और विलक्षण कर्मयोगी है केलकर जी |)
Tags :
काव्य सुधा
एक टिप्पणी भेजें