मन में अंगारे पलते हैं |





यह सही है 
हम सब कुछ नहीं कर सकते

किन्तु फिर भी 
जो कर सकते करेंगे, 
जरूर करेंगे,

बिना इस बात की चिंता किये
कि लोग क्या कहेंगे ?

लोगों के कहने से
क्या अपनों से मुंह मोड़ लें ?
अपनी प्रतिज्ञा तोड़ लें ?

हमारा आदर्श है वह गिलहरी
जो राम सेवा निरत मरी |

है समाज आराध्य हमारा
भारत भू हित जीवन सारा |

हर राह सफलता की मंजिल,
आ जाए कितनी भी मुश्किल |
मन में अंगारे पलते हैं,
ज्वाजल्यमान हर पल यह दिल |

हर पल हर क्षण, भारत चिंतन,
हो राष्ट्रभक्ति पूरित हर मन |

स्वाभिमान उन्नत हो भाल,
इष्टदेव भारत विशाल |

(आज श्री सूर्यकांत जी केलकर का चित्र देख कर मन में ये ही भाव आये | अद्भुत और विलक्षण कर्मयोगी है केलकर जी |)

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