लोकतंत्र के लुटेरे दिग्विजय सिंह |



इन दिनों कांग्रेस महामंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी अपनी नर्मदा यात्रा को लेकर सुर्ख़ियों में हैं | किन्तु मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है, जैसे कि नौसौ चूहे खाकर बिल्ली तीर्थाटन को चली हो | पिछले दिनों उन्होंने प्रजातांत्रिक मर्यादाओं की बड़ी बड़ी बातें की हैं, किन्तु वे स्वयं लोकतंत्र का कितना सम्मान करते हैं, यह भला मुझसे अधिक कौन जान सकता है ? मैंने तो अपनी आँखों के सामने उनके गुर्गों द्वारा प्रजातंत्र का बलात्कार होते देखा है |

बात १९९८ की है | भाजपा के अजातशत्रु संत नेता श्री कैलाश जोशी को राजगढ़ संसदीय क्षेत्र से तत्कालीन मुख्य मंत्री श्री दिग्विजय सिंह के लघु भ्राता श्री लक्ष्मण सिंह जी के विरुद्ध चुनावी मैदान में उतारा गया | राजगढ़ अर्थात तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वनामधन्य श्री दिग्विजय सिंह जी का गृह क्षेत्र | उनकी पूर्व रियासत राघोगढ़ भी इसी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा थी तथा उसके अंतर्गत दो विधानसभा क्षेत्र राघोगढ़ व चान्चोड़ा आते थे | कमोवेश आज भी वही स्थिति है |

तब तक श्री कैलाश जोशी कोई चुनाव नहीं हारे थे, अतः जब वे पहली बार क्षेत्र में आये तो उनके स्वागत में बड़े बड़े होर्डिंग लगाए गए थे – मालवा के अपराजेय योद्धा पूर्व मुख्य मंत्री संत राजनेता श्री कैलाश जोशी का हार्दिक अभिनन्दन | आदि आदि | मुझे चान्चोड़ा का चुनाव प्रभार सोंपा गया |

स्थानीय कार्यकर्ताओं में भारी दहशत थी, इसके बाद भी चोपन कला के हजारीलाल जी मीणा, बीना गाँव के हुकुमचंद्र मीना, चीन्चोडा के जगन्नाथ जी, बीजनीपुरा के हरगोविंद शर्मा, कुम्भराज के विक्रम मीना, बीनागंज के फूलचंद जी जैन, बृजमोहन जी गुप्ता के साथ स्थानीय नौजवान कार्यकर्ता सर्व श्री अनिरुद्ध मीना, राजेश खंडेलवाल, आशा वाधवानी आदि के सहयोग से न केवल चुनाव अभियान प्रभावी ढंग से चलता रहा, बल्कि वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पूर्व विधायक मन्नासिंह मीना भी भाजपा के साथ आ गए | स्वाभाविक ही दिग्विजय सिंह केम्प में सनाका छा गया | उन्हें अपनी हार सुनिश्चित दिखाई देने लगी | एक तो मुख्यमंत्री ऊपर से पूर्व महाराज ने ठान लिया कि यह वे होने नहीं देंगे | नैतिकता गई तेल लेने, लोकतंत्र गया भाड़ में, देखते हैं हमें जीतने से कौन रोकता है ?

और फिर तो चुनाव वाले दिन प्रशासनिक मशीनरी का नंगा दुरुपयोग हुआ | पशुबल ने मानवता को जमींदोज कर दिया | हम लोगों की सारी व्यूह रचना धरी रह गई | किसे कल्पना थी कि हैवानियत का इतना नंगा नाच होगा | 

उस समय तक शेषन देश के मुख्य चुनाव अधिकारी नहीं बने थे | बाहर के लोग भी इलेक्शन एजेंट बन सकते थे | हम लोगों ने चुनाव बाले दिन कोई कसर न रह जाए, इस हेतु से भोपाल तथा शिवपुरी से कार्यकर्ताओं को बुलाकर स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ उन्हें भी इलेक्शन एजेंट बनाया | 

भोपाल से कैलाश जी के सुपुत्र श्री दीपक जोशी के साथ उनके अभिन्न मित्र व वर्तमान सांसद श्री आलोक संजर व श्री नवल प्रजापति के अतिरिक्त सर्व श्री भरत चतुर्वेदी, वर्तमान महापौर श्री आलोक शर्मा, वर्तमान विधायक श्री रामेश्वर शर्मा, आदि चान्चोड़ा राघोगढ़ विधानसभाओं में मतदान केन्द्रों पर नियुक्त हुए | शिवपुरी के भी अनेक कार्यकर्ता वहां पहुंचे |

लेकिन हुआ क्या ? 

इन बाहरी कार्यकर्ताओं के साथ बेरहमी से मारपीट की गई, इनकी गाड़ियों पर पथराव हुआ, उनमें तोड़फोड़ की गई | पोलिंग बूथों पर तैनात कार्यकर्ताओं को दिग्विजय सिंह जी के पालतू गुंडे पोलिंग अधिकारियों के सामने से खींच कर ले गए | शिवपुरी में विद्यार्थी परिषद् के तत्कालीन संगठन मंत्री रतलाम के मूल निवासी श्री सुनील सारस्वत व वर्तमान में वरिष्ठ भाजपा नेता श्री धैर्यवर्धन शर्मा के लघुभ्राता श्री हर्षवर्धन शर्मा को पुरेना गाँव में पोलिंग बूथ से खींचकर ले जाने वाले तो कंजर थे, जिनके विषय में कहा जाता है कि वे जन्मजात लुटेरे होते हैं | और लूट भी वे बिना मारे पीटे नहीं करते, क्योंकि वे बिना मेहनत की कमाई करना पसंद नहीं करते | इन कंजरों का नेतृत्व राघोगढ़ नगर पालिका का तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. अजीत रावत कर रहा था | कंजरों ने इन दोनों को बेरहमी से पीटा और फिर एक सूखे कुए में ले जाकर पटक दिया |

इसी प्रकार का व्यवहार पुरेनी गाँव में शिवपुरी के ही शैलेद्र गप्ता, उपदेश अवस्थी, ऋषभ जैन व गोपाल वत्स के साथ हुआ | अंतर बस इतना ही कि इन्हें कुए में नहीं फेंका गया, बल्कि हाथ पैर बांधकर एक खलिहान में बंद कर दिया गया, जिसमें मोटे मोटे चूहों ने इनकी दुर्गत कर दी |

चुनाव के बाद एक पोलिंग ऑफीसर ने मुझे बताया कि जनाब आप लोगों की बजह से इस बार कुछ कमी रह गई | हर बार तो गाँव के ठाकुर परिवारों की महिलाएं वोट डालने पोलिंग बूथ पर नहीं जातीं थीं, मतदान पेटी घर घर ले जाई जाती थी, जहाँ महिलाए, वोट डालने का अपना शौक पूरा करती थीं | हरिजन आदिवासियों के वोट छोटे छोटे बच्चों से डलवाए जाते थे |

इन पिटे हुए कार्यकर्ताओं की प्रशासन में कहीं कोई फ़रियाद नहीं सुनी गई, उलटे कई स्थानों पर तो अनेक कार्यकर्ताओं को १५१ में बंद कर दिया गया | इन सब अनियमितताओं व अन्यायों की जानकारी जब जोशी जी को मिली तो वे अत्यंत व्यथित हो गए | कार्यकर्ताओं की पीड़ा से दुखी होकर वे राघोगढ़ किले के सामने अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए | हजारों कार्यकर्ता उस समय उनके साथ थे | ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो दिग्विजय सिंह जी के आवास, राघोगढ़ किले का घेराव कर दिया गया हो |

प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं के आग्रह पर अंततः जोशी जी ने भूख हड़ताल समाप्त की | 

इतने सब पाप करने के बाद भी दिग्विजय सिंह जी के अनुज श्री लक्ष्मण सिंह महज ५६२३४ वोटों से विजई हुए |

लेकिन वाह री भाजपा, जब सत्ता में आती है तो कांग्रेसियों को अपने यहाँ सैर करने के लिए आमंत्रित करती है | इसी प्रकार लक्ष्मण सिंह जी भी भाजपा में शामिल हुए और घूमफिरकर वापस अपनी मूल पार्टी में लौट गए | 

इसके विपरीत शिवपुरी के जितने कार्यकर्ताओं के मैंने नामोल्लेख किये हैं, उनमें से एक भी अब प्रत्यक्ष राजनीति में सक्रिय नहीं है |

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