केरल में क्यूं बढ़ रहा है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ?

केरल प्रांत में संघ के स्वयंसेवकों को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है उसका जीता जागता उदाहरण है श्री सदानंद मास्टर । छः फिट ऊंचाई वाले बलिष्ठ देहयष्टि के धनी सदानंद जी का संपर्क विद्यार्थी जीवन के प्रारम्भिक काल में कम्युनिस्ट पार्टी से हुआ | अपनी प्रतिभा और परिश्रम के बल पर वे वहां सफल रहे। आप कवि, साहित्य प्रेमी और अच्छे खिलाड़ी भी रह चुके है । धीरे धीरे उनको इस विचारधारा की अक्षमता व देश विरोधी कार्य पता चले | तभी उनका सम्पर्क संघ से हुआ | संघ कार्यकर्त्ताओं के सरल सात्विक और ऋषि तुल्य जीवन ने उनके ऊपर भी प्रभाव डाला | वे कब अपरिचित से परिचित फिर स्वयंसेवक फिर अच्छे कार्यकर्त्ता बन गए ये पता ही नही चला।

उन्होंने संघ कार्य प्रामाणिकता के साथ सब जगह फैलाना शुरू किया | मित्र मण्डली कम्युनिस्ट थी अतः उसमें भी संघ पहुंचने लगा | वे कम्युनिस्ट गाँवों में निर्भीकता से प्रवास करने लगे वहां संघ काम शुरू हो गया। ये सब देख कर कम्युनिस्टों ने सोचा कि इस सदानन्द को सजा देनी पड़ेगी | इसे ऐसी सजा दी जाए कि न केवल ये याद रखे बल्कि संघ के लोग भी संघ काम करने से डरें। 

इसकी ऊंचाई 6 फिट है न, इसलिए इसकी ऊंचाई जरा 2 फिट कम कर दी जाए ताकि संघ की भी ऊंचाई कम हो जाये | 

इस प्रकार षड्यंत्र रच कर केरल की कम्युनिस्ट राज्य इकाई ने एक दिन शाखा से लौटते हुए सदानन्द जी को पीछे से पकड़ लिया | उनका गाँव भी कम्युनिस्ट गांव ही था जहां लाइट नहीं थी | क्यों कि अगर विकास होगा तो गरीब समझदार हो जाएगा न ??इस लिए उसे पिछड़ा ही रहने दो, ताकि वो हमारी विषैली कम्युनिस्ट विचारधारा का भक्ष्य रहे। 

सदानन्द जी को जमीन पर गिरा कर, उन कम्युनिस्ट गुंडों ने कुल्हाड़ी के वार से घुटनों तक उनके दोनों पैर काट दिए और वापस न जुड़ पाये इस लिए उनको जमीन से रगड़ते हुए जंगल में फेंक दिए | 

जब वो सदानन्द जी को मार रहे थे तब सदानन्द जी के मुंह से कराह नहीं वन्देमातरम और भारत माता की जय के नारे निकल रहे थे | वो आह की जगह हिन्दू राष्ट्र का जयगान कर रहे थे | अद्वैत तत्व और कहते किसे है?? जब व्यक्ति ध्येय से एकाकार हो जाए। उनकी आवाज सुन कर गाँव से सब स्वयंसेवक दौड़ कर आये | उस समय उनकी साँस उखड़ रही थी | बेहोशी छा रही थी फिर भी होश था | उन्होंने स्वयंसेवकों को पैर लाने को कहा ताकि वो जोड़े जा सकें।

उनको 400किमी दूर कोच्ची में अस्पताल ले जाया गया | जिन कार्यकर्ता की गोद में उनका सर था वे जिला सम्पर्क प्रमुख थे | वे कार्यकर्त्ता निरन्तर अश्रु पात कर रहे थे उन्होंने देखा कि सदानन्द जी कुछ बोल रहे है धीरे धीरे। सोचा शायद हमला करने वाले का नाम गुनगुना रहे हो, इस लिए कान उनके मुंह के पास लगाया और चकित हो गए।

जब सदानन्द जी ने पहली शाखा देखी थी और उसमें गए थे तब पहली बार जिस गीत को सुना उसको दोहरा रहे थे। 

क्या हुआ जो एक पत्ता टूट कर गिरा जमीन पर,
कल नई कोंपलें आएगी,
नव पर्ण से सजेगा वृक्ष
एक सदानन्द गिरा,
मातृभूमि पर दूसरा सदांनन्द आएगा,
हिन्दू राष्ट्र गौरव वैभव
नित आगे बढ़ता जाएगा,
नित आगे बढ़ता जाएगा !

ये बात जब सब स्वयंसेवकों को पता चली, तो सब के अश्रु रुक गए | सबमें स्वाभिमान का संचार हुआ साहस का प्रसार हुआ। देव योग से सदानन्द जी बच गए पर उनके पैर मातृभू पर अर्पित हुए, फिर भी वो हंसते रहे। पिछले वर्ष जब प्रहार महायज्ञ का आह्वान हुआ तो जयपुर फुट पहन कर आपने जिद करके सबके मना करने के बाद भी 49 प्रहार लगाये। दोनों पैरों में से खून बहने लगा | आप हंस रहे थे कार्यकर्ताओं के प्रेम से डांटने पर बोले संघ का आग्रह है, अखिल भारत में यज्ञ हो रहा है, मैं क्यों रूकू??

आपने प्रवास करने के उद्देश्य से तिपहिया वाहन बनवा लिया, ताकि नियमित प्रवास कर सकें। जब उन पर हमला हुआ उस समय उनके विवाह की बात चल रही थी दोनों पैर कट गए तो परिवार ने आगे बात नहीं बढाई | किन्तु जिनसे शादी की बात चल रही थी उन्होंने कहा कि मैं शादी करुँगी तो सदानन्द जी से ही अन्यथा नहीं। विवाह संम्पन्न हुआ और वो भी सदानन्द जी के साथ हिंदुत्व का काम कर रही है | 
धन्य है भारतीय नारी, जिसने ऐसे महान सपूत को जन्म दिया | धन्य है भारतीय नारी जिसने सब जानते हुए भी उनसे विवाह किया | धन्य है केरल प्रांत की वो देव भूमि जो इतने कष्ट सहन करते हुए भी संघ कार्य को ईश्वरीय काम समझ निरन्तर कार्यकर्त्ता प्रदान कर रही है | निरन्तर संघ काम बढ़ रहा है |बाकी जगह तो स्वेद(पसीना) बून्द गिरती होगी, यहाँ स्वयंसेवक अपने रक्त से मातृ भू का 'अभिषेक' करते है | माँ के काम के लिए मस्तक तक न्योछावर करते है | इसी ध्येय के साथ कि -

राख हो गए हम तो,भी क्या गम है ?
मातृ भू का काम निरन्तर,चलता रहेगा,
जीवन भर यौवन को होम करेगें,
स्वयं चिता भस्म से राष्ट्र शम्भु का श्रृंगार करेंगे,
मन में अटल श्रद्धा लिए बढ़ते माता के लाडले,
कट जाए मर जाए बस गूंजेगा एक ही स्वर,
जय जय भारत जय जय भारत
वंदेमातरम् वंदेमातरम् .......................
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