स्वभाव व कर्तव्य को धर्म
कहा जाता है | अग्नि का धर्म, जलाना, तो वायु का धर्म सुखाना | माता पिता की सेवा
कर्तव्य तो वह धर्म है | ईश्वर को मानकर, न मानकर, विज्ञान के सब कुछ मानकर देख
लिया, किन्तु दुनिया की समस्याओं का कोई हल नहीं निकला | अब अंत में फिर सुख
शान्ति पूर्वक जीने की सीख देने वाले भारत की ओर दुनिया देख रही है | दुनिया के
चिन्तक पिछले सौ साल से यही विचार करते आ रहे हैं |हमारी संस्कृति यही सिखाती
है कि दुनिया को राह दिखाना हमारा यह कर्तव्य भी है, हम दुनिया के अग्र जन्मना हैं
| स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेन, सकाशाद अग्रजन्मनः | अपने चरित्र से सबको समझाना |
संघ निर्माता डॉ.हेडगेवार जन्मजात देशभक्त थे | तीसरी चौथी क्लास में पढ़ते समय भी
उनके व्यवहार में उनकी बातों में देशभक्ति झलकती थी | बचपन में अनाथ होने के बाद
भी पढाई में अब्बल रहे और साथ साथ देश के तत्कालीन महापुरुषों का सानिध्य लिया,
परिस्थितियों को समझा कि कमी कहाँ है ? उस कमी को दूर किये बिना परिस्थितियाँ नहीं
बदलेंगी | सब महापुरुषों का निष्कर्ष एक ही था |कम्यूनिस्ट पार्टी की
स्थापना करने वाले मानवेन्द्र नाथ राय | उनकी लिखी पुस्तक में भी निष्कर्ष यही था
कि जब तक इस देश के सामान्य व्यक्ति को संगठित कर उसमें सद्गुणों की स्थापना नहीं
होती, कोई मार्ग नहीं | यह रास्ता लंबा दिखता है, किन्तु यदि यही रास्ता है तो
सबसे छोटा रास्ता भी यही है |
यह कमी मालूम सबको थी,
किन्तु अलग अलग काम चुन लेने के कारण इस कमी को दूर करने का समय उनके पास नहीं था
| डॉ. हेडगेवार ने सोचा, कोई नही कर रहा तो मैं करूंगा | मैं इस देश के लिए जीवन
जियूँगा | एक कार्यपद्धति विकसित की | एक घंटे की नियमित साधना, अपने हिन्दू धर्म,
हिन्दू संस्कृति के लिए सर्वस्वार्पण की तत्परता | सब लोग कहते हैं कि सहन करो,
किन्तु हमारे यहाँ कहा गया सहन करना नहीं स्वीकार करना | रामेश्वर के पुजारी एक
वस्त्र पहनकर पूजा करते हैं तो बद्रीनाथ केदारनाथ में लबादा पहिनकर पूजा करते हैं
| सर्वदेव नमस्कार केशवं प्रति गच्छति |
विविधता में एकता का
साक्षात्कार कराने वाले महापुरुषों की श्रंखला हमको देने वाला हमा पवित्र हिन्दू
धर्म ,हिन्दू संस्कृति | गंगा माता, गौ माता, तुलसी माता सबके प्रति सम्मान का
भाव, प्रकृति में जिन्होंने हमको दिया है, उनको सम्मान देना, आदर देना कृतज्ञ रहना
| ऐसा श्रेष्ठ विचार जिस भूमि में पैदा हुआ. अपने आचरण से सबको दिशा देने वाले महापुरुषों
की श्रेष्ठ परंपरा वाला हमारा देश | इस देश के प्रति उत्तरदाई, भले बुरे का विचार
करने वाला हिन्दू समाज है, अतः उसे संगठित करो | ऐसी प्रेरणा उसमें उत्पन्न करो कि
सबके प्रति आत्मीय भाव उत्पन्न हो जाए |
यह काम अपना है तो हमें ही करना है | इसके लिए किसी पर आश्रित नहीं, सरकार पर भी नहीं | समाज
जब खडा होता है तब सब सहयोगी स्वतः हो जाते हैं | संघ जानता है कि कमी केवल हमारी तैयारी में है | बीमारी भयंकर हो तो भी अगर हमारा शरीर बलिष्ठ है तो उसका सामना किया जा सकता है | एक ही लक्ष्य, "परम वैभवं नेतु मेतत स्वराष्ट्रं" इस राष्ट्र को वैभवसंपन्न बनाना | किन्तु होगा कैसे ? कथनी जैसी करनी वाले निस्वार्थ त्यागी लोग खड़े हो जाएँ, समाज का आचरण वातावरण से बदलता है | ऐसा वातावरण हमें बनाना है | संघ केवल यही चाहता है कि तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहें | संघ को दूर से मत देखो, नजदीक आकर ही उसे समझा जा सकता है | काम तो पूरे समाज को ही करना है | समाज अगर अनुशासित, संगठित और योग्य होगा तभी यह बड़ा काम होगा | अतः सबको अपना बनाना होगा | संघ कार्यपद्धति ही व्यक्ति निर्माण की एकमेव कार्य पद्धति है |
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