वसंत पंचमी की हार्दिक मंगल कामना -






कंपकंपाती मानवता को जब दिखाई देता बस - अंत

ठिठुराती शीत के ताप से त्राण देने आता है ऋतुराज वसंत

बुद्धि विवेक धैर्य सहिष्णुता की दाता माँ शारदा

इन्ही गुणों के विकास से हरे भारत की आपदा

मां भारती का मंदिर, हर राष्ट्र भक्त की आन वान शान

इस मंदिर में बसने बाली हर मूर्ती हो उसका भगवान

ब्रह्मा, लक्ष्मीपति विष्णु ओ भभूत रमाये भोलेनाथ को देखा

और गाया मंदिरों में "प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका"

प्रथक वेश ओ कर्म पर पूज्य, यही तो है अनेकता में एकता

ईश का यह सन्देश क्यूं नही हर भारत पुत्र लेखता, देखता ?

हे माँ शारदे अब बस यह वरदान दीजिये

इस वसंत पर कुछ एसा चमत्कार कीजिए

राजनीति जो विचित्र काला धंधा है

इसमें कमाया हर पैसा गन्दा है

नेताओं की बुद्धि में बस इतना परिवर्तन हो

देश से कमाया काला धन, देश में ही अंतरण हो 

कम से कम वह पैसे देश के तो काम आये

विदेशी बेंकों में जाकर उन के लाभ कोतो न बढाए


वन्दे मातरम !!

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