संस्मरण राजमाता



धर्मप्राण राजमाता –

1968 में महात्मा रणछोड़दास जी की प्रेरणा से शिवपुरी जिले के पिछोर कस्बे में नेत्रयज्ञ आयोजित हुआ | ग्रामीण अंचल के वासियों के लिए यह अवसर किसी वरदान से कम नहीं था | मोतियाबिंद तथा अन्य नेत्र संबंधी रोगों के उपचार का यह उनके लिए सुनहरा अवसर था | ग्रामवासी अपनी गरीबी व साधनहीनता के कारण महानगरों में जाकर तो ये ऑपरेशन इत्यादि करवाने में असमर्थ जो थे | इस अवसर पर राजमाता भी पिछोर पहुँचीं | आयोजन देखकर वे अत्यंत प्रसन्न हुई | वे महात्मा रणछोड़दास जी महाराज से भी मिलीं | उनके प्रवचन सुनते समय श्रद्धाभिभूत होकर वे स्वयं उनको पंखे से हवा करने लगीं | राजमाता साहब की संतों के प्रति ऐसी ही आस्था व श्रद्धा समय समय पर प्रगट हो जाया करती थी | वे सच्चे अर्थों में भारतीय संस्कृति की मूर्तिमंत प्रतीक थीं |

त्याग मूर्ति राजमाता –

राम जन्म भूमि आन्दोलन के लिए आर्थिक सहयोग की अपेक्षा के साथ अशोक जी सिंघल व अन्य वरिष्ठ जन राजमाता साहब के पास पहुंचे | संयोग से उस समय राजमाता के पास अपेक्षित धनराशि नहीं थी | कुछ क्षण विचार के उपरांत उन्होंने अपनी उंगली में पहनी हुई रत्न जटित अंगूठी उतारकर नेताओं को प्रदान कर दी | परिषद् के वरिष्ठ जनों को अत्यंत संकोच हुआ तथा उन्होंने अंगूठी लेने से इंकार किया | किन्तु राजमाता जी ने हठ पूर्वक वह अंगूठी लेने के लिए उन लोगों को विवश किया | राजमाता साहब की पुत्रियों को जब यह समाचार मिला तो वे अत्यंत हैरान हो गईं | क्योंकि वह अंगूठी कैलाशवासी महाराज जीवाजीराव सिंधिया ने राजमाता जी को विवाह के समय उपहार स्वरुप प्रदान की थी | वह अंगूठी तो राजमाता जी की पुत्रियों ने उचित राशि देकर विश्व हिन्दू परिषद् के नेताओं से प्राप्त कर ली, किन्तु इस घटना से राम जन्म भूमि के प्रति राजमाता जी का गहरा लगाव तो प्रगट होता ही है |

साहस की प्रतिमूर्ति राजमाता –

श्रीमंत राजमाता ने 1967 में करैरा विधानसभा से प्रत्यासी के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया था | कांग्रेस प्रत्यासी थे तत्कालीन खाद्य मंत्री गौतम शर्मा | वे मुख्य मंत्री डी.पी. मिश्रा के दाहिने हाथ माने जाते थे | अतः सम्पूर्ण पुलिस प्रशासन उनके पक्ष में सक्रिय था | आतंक का यह आलम था कि क्षेत्र में राजमाता के झंडे बैनर भी लगाना संभव नहीं हो रहा था | पुलिस कार्यकर्ताओं को हतोत्साहित करने के लिए बेरहमी की हद लांघ रही थी | झूठे केस लादे जा रहे थे, अकारण मारपीट की जा रही थी | यह समाचार जैसे ही राजमाता को मिला वे विना किसी पूर्व सूचना के करैरा जा पहुंची | करैरा तिराहे पर कार्यकर्ताओं की भीड़ ने उन्हें घेर लिया व जिन्दावाद के नारों से आसमान गूँज उठा | कई कार्यकर्ताओं की पीठ पर पुलिस के डंडों के निशान थे | उन्हें बताया गया कि स्वयं मुख्य मंत्री श्री डी.पी. मिश्रा दिनारा में मौजूद हैं तथा प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं | आनन् फानन में राजमाता अकेले दिनारा को रवाना हो गईं | इस अवसर पर उन्होंने अपने साथ किसी भी कार्यकर्ता को आने से मना कर दिया | 
दिनारा में भय व आतंक के कारण सारा बाजार बंद था | लोग अपने घरों में दुबके हुए थे | कर्फ्यू जैसा माहौल था | राजमाता जी एक दूकान के चबूतरे पर खडी हो गईं | बिजली की तरह यह समाचार पूरे कसबे में फ़ैल गया और देखते ही देखते पूरा दिनारा सडकों पर उतर आया | उस चबूतरे के सामने ही ऐतिहासिक सभा हुई | राजमाता जी ने चेलेंजर से ही सभा को संबोधित किया | डी.पी. मिश्रा को ललकारा | पुलिस प्रशासन को लताड़ा तथा चेतावनी दी कि यदि कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट हुई तो बख्सेंगी नहीं | पूरा वातावरण राजमाता के जयजयकार से गूँज उठा | उसके बाद किसी का साहस नहीं हुआ किसी कार्यकर्ता के साथ दुर्व्यवहार का |

कार्यकर्ताओं के प्रति आत्मीय राजमाता –

कोलारस विधानसभा क्षेत्र में पचावली से रन्नौद जाने वाला मार्ग अत्यंत ऊबड़खाबड़ व कच्चा था | राजमाता साहब के काफिले में चल रही कार्यकर्ताओं की एक जीप खरै के पास कीचड़ में फंस गई | काफिले में शामिल अन्य गाड़ियां एक एक कर आगे निकलती जा रही थीं | किसी का भी ध्यान फंसी हुई जीप व उसमें सवार कार्यकर्ताओं की ओर नहीं था | किन्तु जैसे ही राजमाता की कार वहां से निकली व उन्होंने फंसी हुई जीप व उसमें बैठे कार्यकर्ताओं को देखा, उन्होंने अपनी कार रुकवा दी | उन्होंने पीछे मुड़कर आंग्रे साहब को धीरे से कहा – बाल थोडा तुम नीचे उतरकर गाडी को सहारा दो | आंग्रे साहब ने जैसे ही जीप को धकेलने का उपक्रम किया, पचीसों कार्यकर्ता जीप धकेलने में जुट गए और देखते ही देखते वह जीप कीचड़ से बाहर निकलकर मुख्य सड़क पर आ गई | राजमाता भी अपनी ममतामई मुस्कान से कार्यकर्ताओं को कृतार्थ कर आगे बढ़ गईं | अपने कार्यकर्ताओं का इतना ध्यान रखती थीं राजमाता |

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