परवेज मुशर्रफ ने किया स्वीकार,आइएसआई ने भारत से निपटने के लिए ही खड़ा किया था तालिबान

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने पहली बार खुफिया एजेंसी आईएसआई और तालिबान के साथ रिश्तों को स्वीकार करते हुए कहा है कि तालिबान भारत के खिलाफ आईएसआई की उपज है। भारत के खिलाफ आईएसआई ने तालिबान को ने केवल खड़ा किया बल्कि इसका इस्तेमाल भी किया। ब्रिटेन के दैनिक "द गार्डियन" को दिए इंटरव्यू में भी मुशर्रफ ने आईएसआई और तालिबान के बीच संबंधों की यह बात कबूली।

मुशर्रफ के अनुसार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के जासूसों ने 2001 के बाद तालिबान को खड़ा किया था, क्योंकि करजई सरकार में बड़ी संख्या में गैर-पश्तून अधिकारी थे, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे भारत को फायदा पहुंचाते थे।

मुशर्रफ ने कहा, 'निश्चित तौर पर, हम कुछ ऐसे संगठनों की तलाश में थे, जो पाक के खिलाफ इस भारतीय कार्रवाई से निपट सके।' 'दि गार्डियन' को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा, 'खुफिया तंत्र तालिबानी संगठनों के संपर्क में था। निश्चित तौर पर हम संपर्क में थे और उन्हें होना चाहिए था।'

हत्या और देशद्रोह जैसे आरोपों का सामना कर रहे मुशर्रफ ने कबूल किया कि जब वह सत्ता में थे, तो पाकिस्तान ने करजई सरकार को कमजोर करने की कोशिश की थी, क्योंकि पूर्व अफगान राष्ट्रपति ने पाकिस्तान की पीठ में छुरा घोंपने में भारत की मदद की थी।

करजई ने अफगानिस्तान सेना को प्रशिक्षण देने की मुशर्रफ और पूर्व सेना प्रमुख अशफाक परवेज कयानी की पेशकश को ठुकरा कर उन्हें गुस्सा दिला दिया था। पूर्व अफगान राष्ट्रपति ने अपने देश की सेना को प्रशिक्षण के लिए भारत भेज दिया था। पिछले साल करजई से अफगानिस्तान की कमान अपने हाथों में लेने वाले अशरफ गनी ने अपने कार्यकाल के शुरुआती महीनों में पाकिस्तान से रिश्तों को अच्छे बनाने की कोशिश की है। गनी ने न केवल भारत के साथ एक हथियार करार को रद्द किया, बल्कि पाकिस्तान विरोधी आतंकवादियों से मुकाबले के लिए अपनी सेना को पूर्वी अफगानिस्तान में भी भेजा।


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