भारत के लिए नया खतरा हिज्ब-उत-तहरीर


आतंकवाद ने पूरी दुनिया में पैर पसार रखे हैं। आतंकियों को सबक सिखाने के लिए काफी सख्ती बरती जा रही है। इसके बावजूद वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। रविवार को सामने आई एक रिपोर्ट ने सभी देशों को एक बार फिर चिंता में डाल दिया है, खास तौर से भारत को।

रिपोर्ट के मुताबिक शातिर तरीके से दुनिया की नजर से बचते हुए अपनी विचारधारा को फैलाने वाला कट्टरपंथी इस्लामी संगठन हिज्ब उत तहरीर (एचयूटी) आईएसआईएस से ज्यादा खतरनाक आतंकवादी संगठन हो सकता है और दक्षिण एशिया में इसकी मौजूदगी भारत के लिए चिंता की वजह होनी चाहिए।

सीटीएक्स पत्रिका के ताजा संस्करण में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार आईएसआईएस जहां सीरिया और इराक में उग्रता के साथ काम करता है और अपनी नृशंस क्रूरताओं के जरिये मीडिया का ध्यान खींचता है, वहीं एचयूटी चुपचाप वैश्विक खिलाफत की तैयारी में चरमपंथी युवकों का वैश्विक ढांचा और गहराई तक पैठ वाला अरब का समर्थन तैयार कर रहा है। इस संगठन ने करीब 50 देशों में अपनी विचारधारा और समर्थन आधार का प्रसार करते हुए दुनिया की नजर से खुद को बड़े शातिर तरीके से बचाए रखा। संगठन दुनियाभर में दस लाख से अधिक सदस्यों का संचालन करता है। यह आईएसआईएस के दावे से कहीं ज्यादा है।

पत्रिका ने खबरों का हवाला देते हुए कहा है कि एचयूटी की एक हथियारबंद इकाई है जिसे हरकत उल-मुहोजिरिनफी ब्रिटानिया नाम दिया गया है जो रासायनिक और जैविक युद्ध के लिए अपने कैडर को प्रशिक्षण दे रहा है। अमेरिका की ग्लोबल एजुकेशन कम्युनिटी कॉलेबोरेशन ऑनलाइन पत्रिका के अनुसार एचयूटी में आईएसआईएस से कहीं ज्यादा खतरनाक आतंकवादी संगठन बनने की क्षमता है। इस संगठन की स्थापना 1952 में यरूशलम में की गई थी और इसका मुख्यालय लंदन में है। इसकी शाखाएं मध्य एशिया, यूरोप, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया तथा खास तौर पर इंडोनेशिया में हैं जहां उसने बड़ा असर छोडऩे में सफलता पाई है। रणनीतिक और सुरक्षा मामलों की मल्टीमीडिया पत्रिका के मुताबिक एचयूटी ने खबरों के अनुसार यूं तो भारत में भी पैर रखे हैं, लेकिन इसकी मौजूदगी और प्रभाव का कोई खास असर नहीं रहा।

बांग्लादेश और पाकिस्तान में एचयूटी की बढ़ती मौजूदगी भारत के लिए और व्यापक वैश्विक समुदाय के लिए चिंता की वजह होनी चाहिए। एचयूटी ने अपनी वेबसाइट पर दावा किया कि उसने इजरायल की कथित ज्यादतियों के खिलाफ दिल्ली के बटला हाउस में 2010 में प्रदर्शन किया था। दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस से जुड़े सुरेंद्र कुमार शर्मा द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार यह प्रदर्शन भारत में एचयूटी की खबरों में आई आखिरी गतिविधि थी जिसमें करीब 1000 लोगों ने शिरकत की थी।

पत्रिका लिखती है कि वैचारिक स्तर पर एचयूटी और आईएसआईएस में काफी समानताएं हैं और आईएसआईएस का समर्थन करने वाले अधिकतर लोग और संस्थाएं एचयूटी का समर्थन भी करते हैं। एचयूटी की रणनीति आईएसआईएस से अलग है और यह संगठन खुल्लमखुल्ला आतंकवाद की गतिविधियों से दूर रहते हुए शिक्षित युवकों को प्रलोभन दे रहा है।


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