शास्त्री जी जैसे दिखते थे, वैसे ही उनका जीवन रहा— श्री. मोहन भागवत




वाराणसी, 19 फरवरी। शास्त्री जी जैसे दिखते थे, वैसे ही उनका जीवन था। उदाहरण स्वरूप जैसे सूर्य उगते समय लाल दिखता है और अस्ताचल होते समय भी लाल दिखता है। शास्त्री जी का जीवन भी ऐसा ही था। प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का 18 महिने का कार्यकाल राष्ट्र में नवचेतना का संचार पैदा करने के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपने स्वत्व, सादगी, इमानदारी, राष्ट्र के प्रति समर्पण को आधार बनाकर देश की मन:स्थिति बदल दी। असली मायने में जननेता केवल पदारूढ़ नही होते।गुरूवार को रामनगर बटाउबीर स्थित एक बाटिका में भारतीय जन जागरण समिति के तत्वावधान में आयोजित प्रसिद्ध साहित्कार डा. नीरजा माधव द्यारा सम्पादित "भारत रत्न:लाल बहादुर शास्त्री" पुस्तक का विमोचन करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मा. मोहन भागवत ने उक्त विचार व्यक्त किये | 

उन्होंने कहा कि शास्त्री जी कम से कम में अपनी आवश्यकता पूर्ण करने तथा राष्ट्र कल्याण हित सम्पूर्ण जीवन समाज को समर्पित करने में विश्वास करते थे। आज स्थिति बदल गयी है। उन्होंने कहा कि पहले मेरा मानना था कि प्रसिद्धि दूर से अच्छी लगती है, किन्तु जब आप उसके निकट जायेंगे तो कमिया दिखाई देंगी । लेकिन जब मैं शास्त्री जी के घर आया और उनके जीवन को देखा तो मेरी धारणा बदल गयी। शास्त्री जी के सादगीपूर्ण जीवन के उच्च मान दण्ड की विस्तार से व्याख्या करते हुए श्री भागवत ने कहा कि आदर्श राजनेता कैसा होना चाहिए यह शास्त्री जी ने दिखाया। शास्त्री जी के आदर्श और उनके शब्द के पीछे पूरा देश खड़ा था। आज युवाओं को उनके विचार और आदर्श बताने के लिए हमें आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि आज देश के पास साधन है, सारी दुनिया में गुणवत्ता है। लेकिन आचरण और जीवन दर्शन की कमी है। 

कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन करके किया। इसके बाद पाणिनी संस्कृत कन्या महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा वैदिक मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। बाबुल श्रीवास्तव एवं उनके साथियों ने शास्त्रीय गान प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मोह लिया। 

लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र व पूर्व सांसद सुनील शास्त्री ने कहा कि संघ के पूज्य मोहन भागवत ने मेरे पिता लाल बहादुर शास्त्री के आवास को देखकर उसे अंतर्राष्ट्रीय धरोहर बनाने को कहा है। उन्होंने कहा है कि देश की भावी पीढी को यह बताया जाना आवश्यक है कि शास्त्री जी कैसे रहते थे, कैसे कपड़े पहनते थे, किताबें, जीवन सभी कुछ दिखाना चाहिये। मुझे खुशी होगी, जो बाबू जी का घर अंतर्राष्ट्रीय धरोहर बनेगा। रामनगर के बटाउबीर में कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष श्री सुनील शास्त्री ने कहा कि ऐसा लग रहा है, परिवार के मध्य खड़ा हूं। आप सभी के बीच में खड़े हो कर गौरवान्वित हो रहा हूं | 

अपने पिता देश के द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़ी कथाओं को सुनाते हुए सुनील शास्त्री ने कहा कि एक दिन वे आर्मी के अस्पताल गये और वहां मैंने पहली बार बाबूजी को फूट फूट कर रोते देखा। अस्पताल में मेजर भूपेन्द्र सिंह बम से छलनी हो, इलाज के दौरान थे | बाबूजी ने उनके उपर लगे नेट को हटाकर उनके सिर पर हाथ रखा तो मेजर के दोनो आंखों में आंसू आ गये। जब बाबूजी से मेजर से हौसलें को कमजोर न होने की बात कही और कहते कहते देश के प्रधानमंत्री शास्त्री जी खुद भी रो पड़े। 

उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और राष्ट्रीस्वयंसेवक संघ के रिश्तों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाबूजी के मन में आरएसएस के लिए सम्मान भाव था, वे संघ को सम्मान देते ​थे। एक महत्वपूर्ण बैठक में उन्होंने संघ के ​गुरूजी को बुलवाया था | किन्तु गुरूजी ने संघ को अराजनीतिक बताते हुए बैठक में आने से इंकार कर दिया, तब श्री शास्त्री जी ने कहा कि जब तक संघ प्रमुख गुरूजी बैठक में नही आयेंगे, हमें बैठक नही करनी। बदली परिस्थितियां देखकर गुरूजी बैठक में आये। 

एक समय ऐसा भी आया जब पिता जी लाल बहादुर शास्त्री ने दिल्ली की सड़कों पर नियंत्रण करने के लिए स्वयंसेवकों से उतरने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि बाबू जी का जीवन सरल था और वे खादी को विशेष रूप से पसंद करते थे। अपने पुत्रों में मुझे पिताजी बम्बड़दास कह कर पुकारते थे। एक बार उनके अलमारी को व्यवस्थित करते हुए मैंने उनके दो कुर्ते फटे देखे और मां को दे दिये तो उन्होंने प्रेम से मुझे बुलाया और कुर्ते के बारे में पूछा, जब मैंने फटे कुर्ते पहनने का विषय उठाया तो पिता जी ने कहा था, ये नवम्बर का प्रथम सप्ताह है, ठंड आ रही है और ये फटे कुर्ते मैं सदरी के नीचे पहंनुगा तो कोई क्या जान पायेगा कि देश का प्रधानमंत्री फटे कुर्ते पहनता है।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से क्षेत्र प्रचारक सर्वश्री शिवनाराण जी, प्रान्त प्रचारक अभय जी, प्रो. श्रद्धानन्द, प्रो. कुमुद रंजन, सुमन श्रीवास्तव, सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त, शरद बाजपेयी, कृष्णमोहन, महेन्द्रनारायण लाल, सौरभ श्रीवास्तव, राजीव शंकर, प्रो. पी.एन. सिंह, विनय सिन्हा, दुर्गा सिंह, संजय प्रधान, सत्यम सिंह, राम विजय सिंह, वी.के. शुक्ला, डॉ. ओ.पी. सिंह, नवीन चन्द्र शर्मा आदि हजारों गणमान्य जन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. बेनी माधव एवं धन्यवाद ज्ञापन भारतीय जन जागरण समिति के अध्यक्ष मनोज श्रीवास्तव ने किया।

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें