जेएनयू में अफजल गुरु को बताया गया शहीद, तो छात्रों ने की गिलानी की मट्टीपलीद !

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में संसद हमले में फांसी पर चढ़ाये गए अफजल गुरु को शहीद बनाने की कवायद चल रही है। इसे आप क्या कहेंगे ? आतंकवादी, जिसकी भूमिका संसद पर हमले में प्रमाणित हो चुकी है अगर उसे शहीद बताया जाता है तो फिर इनको आतंकवाद का समर्थन करने वाला क्यों न करार दिया जाए?

हाल ही में डेमोक्रैटिक स्टूडेंट यूनियन (डीएसयू) की ओर से एक कार्यक्रम में इस तरह की कोशिश हुई। जेएनयू प्रशासन कह रहा है कि उसकी इजाजत के बिना यह आयोजित हुआ। तो उसे रोकने के लिए प्रशासन ने क्या किया? अफजल के साथ ही सह अभियुक्त रहे और सबूतों के अभाव में रिहा हुए प्रोफेसर एसएआर गिलानी वहां मुख्य वक्ता थे। गिलानी कह रहे हैं कि लोकतंत्र में बोलने की आजादी पर हमला हुआ है। आतंकवादी के समर्थन में बोलना भी आतंकवाद का समर्थन है और भारतीय कानून में यह अपराध है। यह बोलने की आजादी पर नहीं, भारत के विरुद्ध जहर उगलने का विरोध है, जो कि हर दृष्टि से उचित है  

वहां के छात्रों के एक वर्ग ने ही इनसे लोहा लिया। पहले तो कार्यक्रम का विरोध किया। प्रशासन को कुछ करते न देख कार्यक्रम को रोकने की कोशिश की। कार्यक्रम शुरू होते ही ताप्ती हॉस्टल की बिजली आपूर्ति काट दी। गिलानी के खिलाफ नारे लगाये गये।कार्यक्रम शुरू होते ही ताप्ती हॉस्टल के सभागार की बिजली काट दी गई और बाहर नारेबाजी शुरू हो गई। इसी दौरान प्रो गिलानी को कुछ छात्रों ने घेर लिया और उनपर हमला बोल दिया। जिसके बाद मुश्किलों से पुलिसकर्मियों ने जेएनयू के सुरक्षा गार्डों की मदद से गिलानी को वहां से बाहर निकाला। यही नहीं छात्रों ने प्रो. गिलानी की गाड़ी पर भी पथराव किया। हालांकि पुलिस ने इस मामले में अभी तक कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया है।

विरोध करने वाले छात्रों ने इतना तो किया कि शांति से कार्यक्रम होने नहीं दिया। गिलानी का इतना तगड़ा विरोध हुआ कि कार्यक्रम के खत्म होने के बाद ह्यूमन चेन बनाकर गाड़ी तक ले जाया गया।2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले में प्रोफेसर गिलानी को भी आरोपी पाया गया था। निचली अदालत ने अफजल गुरू व शौकत हुसैन के साथ-साथ उन्हें भी सजा सुनाई थी। हालांकि निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने पर हाई कोर्ट ने सुबूतों के अभाव में प्रोफेसर गिलानी को बरी कर दिया था। पुलिस का कहना है कि इस कार्यक्रम के लिए एक संस्था ने अनुमति मांगी थी, लेकिन अनुमति नहीं दी गई थी

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