भई गति सांप छछूंदर केरी - भाजपा को समझ में नहीं आ रहा कि अब करें तो क्या ?


जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा हुर्रियत कट्टरपंथी मसरत आलम को रिहा करने के अगले ही दिन  उसने पत्रकारों से कहा कि जम्मू-कश्मीर में सरकारें बदल सकती हैं, किन्तु उससे राज्य की जमीनी हकीकत नहीं बदलने वाली | आलम इस दौरान पूरी तरह निश्चिन्त नजर आ रहा था | भारत और भारत सरकार के प्रति उसके तेवर भी पूर्ववत उद्दण्ड ही थे ।

उसने कहा कि "मुझे तीन बार पहले भी जमानत पर छोड़ा जा चुका है, और अब पूरी तरह रिहा कर दिया गया है | मेरे जीवन का अधिकाँश समय जेलों में ही बीता है | इसलिए अगर मुझे दुबारा गिरफ्तार कर लिया जाता है तो मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता" | 

इस बीच भारतीय जनता पार्टी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के संबंध अत्यंत तनावपूर्ण हो गए हैं | पार्टी की युवा शाखा ने शनिवार को आलम को रिहा करने के मुफ्ती मोहम्मद सईद के फैसले का विरोध में स्थान स्थान पर प्रदर्शन किये।

शनिवार को कांग्रेस ने कठोर शब्दों में कश्मीरी अलगाववादी नेता की रिहाई की निंदा की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा ।

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने अपने ट्वीट में सवाल उठाया कि जम्मू-कश्मीर में भाजपा- पीडीपी की संयुक्त सरकार है, सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह मसरत आलम को आतंकवादी मानती है अथवा राजनैतिक वंदी? 

इसके पूर्व जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी ट्विटर पर लिखा कि आलम 2010 के विरोध प्रदर्शन के मुख्य वास्तुकार था, इसे संयोग नहीं कहा जा सकता कि उसकी गिरफ्तारी के बाद विरोध प्रदर्शन समाप्त हो गए थे । क्या आलम बदल गया है अथवा उसका मुफ्ती मोहम्मद सईद के साथ कोई सौदा हुआ है ? उसकी रिहाई से घाटी में पुनः परेशानी का दौर शुरू हो सकता है । 

जम्मू-कश्मीर में बारामूला जेल से हुर्रियत कट्टरपंथी मसरत आलम को रिहा करने के पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के फैसले ने सबसे अधिक भारतीय जनता पार्टी को परेशान किया है। इस विषय पर विचार करने के लिए दिल्ली में कल भाजपा मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई गई | पार्टी को सबसे अधिक हैरानी इस बात को लेकर है कि यह निर्णय लिए जाने से पहले पार्टी से कोई सलाह नहीं ली गई । इसी बात को स्पष्ट करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र ने कहा कि मुफ्ती मोहम्मद सईद को मसरत आलम को रिहा नहीं करना चाहिए था | जल्द ही पार्टी नेतृत्व उनसे बात कर मामले पर अंतिम निर्णय लेगा । 

इसके पहले भी जम्मू-कश्मीर में भाजपा और पीडीपी सरकार के गठन के तुरंत बाद सईद ने नवंबर-दिसंबर 2014 में राज्य में पांच चरणों में हुए विधानसभा चुनावों के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने का श्रेय पाकिस्तान, हुर्रियत कांफ्रेंस और आतंकवादी संगठनों को दिया था | उस समय भी भाजपा को असहज होना पडा था | 

भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने भी पूर्व में कहा था कि इस गठबंधन की भाजपा को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी | 

शिवसेना नेता संजय राउत ने भाजपा को एक बार पुनः चेतावनी दी है कि पीडीपी के साथ सरकार का गठन खतरनाक है । मसरत आलम की रिहाई गलत है। मुफ्ती मोहम्मद सईद सच्चे भारतीय नहीं है। 

आज भाजपा नेतृत्व द्वारा इस विषय पर कोई निर्णय लिए जाने की संभावना है |

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