परिवर्तन की राह में सबसे बड़े बाधक कौन ?

Why is Mr Modi not speaking more plainly about the urgent need for reforms?


प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन 'मेक इन इंडिया' का नारा इसलिए दिया, क्योंकि बडे पैमाने पर रोजगार का सृजन केवल बड़े कारखानों से ही संभव है | लेकिन यह तुरंत होने वाला काम नहीं है | उनके प्रयत्नों का परिणाम आने में कमसेकम तीन वर्ष लग सकते हैं | यह तो सभी मानने लगे हैं कि कांग्रेस शासनकाल में गरीब हितैषी होने का जो नाटक किया गया, वह दुखांत ही रहा | 

उस कांग्रेस-शैली ने समाजवाद के नाम पर व्यापार जगत के कामकाज में हस्तक्षेप करने की अधिकारियों को अपार शक्तियां प्रदान कर दी थी | जिसका नतीजा हुआ लाइसेंस राज, इंस्पेक्टर राज | तथाकथित 'गरीब समर्थक' श्रम कानूनों ने नौकरियों का सृजन करने के स्थान पर अधिकारियों को छूट प्रदान कर दी कि वे कर्मचारी हित के नाम पर बड़े मिल मालिकों का भयादोहन कर सकें | इसके चलते रोजगार की संभावनाएं प्रभावित हुईं, उसके स्थान पर भ्रष्टाचार बढ़ा |

क्या हमें हम अपनी भयावह बुनियादी सुविधाओं की चिंता नहीं करना चाहिए ? भारत दुनिया का इकलौता देश है जहां हर वर्षाकाल में प्रमुख राजमार्ग बह जाते हैं । अगर इस विषय में उच्च अधिकारियों से पूछा जाए तो उनके पास हजार बहाने होंगे | वे कहेंगे कि उनकी प्राथमिकता 'गरीब' हैं, तो क्या अच्छी सड़कें न होना गरीब का नुकसान नहीं है ? क्या अच्छी सडकों पर केवल समृद्ध लोग ही यात्रा करते हैं ? दुर्भाग्य से भारत सरकार के ताकतवर दिग्गज समाजवाद के अपने संस्करण में, आम आदमी के मानक ही तय नहीं कर पाए थे, सही कहा जाये तो उन्हें आम आदमी की कोई परवाह भी नहीं थी ।

उन्हें स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में गिरावट की भी कोई परवाह नहीं थी, क्योंकि वे उसका उपयोग ही नहीं करते | बीमार होने पर वे अपना इलाज या तो दिल्ली और मुंबई में निजी अस्पतालों में करवाते हैं अथवा फुर्र से विदेश को उड़ जाते हैं | हमारे ज्यादातर नौकरशाहों के बच्चे विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ते हैं | जबकि देश का आम गरीब आदमी गुणवत्ता विहीन व्यवस्था का दंश भोगने को विवश रहता है |

देश की इस बुरी हालत का मूल कारण यह है कि दिल्ली में सत्ता के गलियारों के सबसे ताकतवर लोग नौकरशाह हैं, जिन्हें कभी चुनावों का सामना नहीं करना पड़ता | ये लोग निर्वाचित जन प्रतिनिधियों को पटाने और डराने में माहिर होते हैं | इसलिए देश को लाल फीताशाही से मुक्ति नहीं मिल पाती | 

भारतीय स्टाइल के समाजवाद में केवल लोगों का एक समूह लाभ उठाता आया है, जिसका नाम है नौकरशाह | मोदी जी को अपने परिवर्तन के वायदे को पूरा करने में सबसे अधिक बाधा इनसे ही आने वाली है | ये लोग अपने विशेषाधिकारों को आसानी से नहीं छोड़ने वाले | 

मोदी सरकार को जनता ने इसलिए चुना, क्योंकि वह इस ढर्रे से ऊब चुकी थी | जनता बदलाव चाहती थी | अच्छी सड़कें, सबको सामान शिक्षा और चिकित्सा का सपना अपनी आँखों में संजोये जनता ने नरेंद्र मोदी के रूप में परिवर्तन का मसीहा देखा और अपना भरपूर लाड दुलार उन पर लुटा दिया | अब यह मोदी जी की जिम्मेदारी है कि वे जनता के विश्वास पर खरा उतरें | यथास्थितिवाद के भंवर से देश को निकालें | परिवर्तन की नई राह दिखाएँ । लेकिन मोदी कोई भगवान् नहीं हैं, यह काम बिना व्यापक जनसमर्थन के संभव नहीं है | उन पर पूर्ण विश्वास रखते हुए उन्हें अपनी योजनाओं पर चलने और बढ़ने का अवसर देना होगा | 


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