प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव का आप कार्यकर्ताओं के नाम खुला ख़त -


आम आदमी पार्टी के नेता प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने पार्टी के खिलाफ काम करने के आरोप में पार्टी की संसदीय मामलों की समिति से निष्कासित किये जाने के एक सप्ताह बाद कल बुधवार को पार्टी के स्वयंसेवकों को एक खुला पत्र लिखकर अपना पक्ष रखा है –
- कल चार वरिष्ठ सहयोगियों द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के कारण हम यह पत्र लिखने और इसे सार्वजनिक करने को विवश हुए हैं ।
- शांति भूषण जी को लेकर उठाये गए सवालों का जबाब तो वे ही ठीक प्रकार से दे सकते हैं, जहां तक हमारा सवाल है, हम उनके विचारों से अपनी असहमति पूर्व में ही व्यक्त कर चुके हैं | 
- वर्तमान परिप्रेक्ष में स्वयंसेवकों को गतिरोध के वास्तविक मुद्दों की जानकारी होना चाहिए ताकि वे गुमराह न हों ।
 राष्ट्रीय संयोजक का पद कभी कोई मुद्दा नहीं रहा; प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने किसी भी औपचारिक या अनौपचारिक बैठक में इस मुद्दे को कभी नहीं उठाया।
- असली मतभेद 2014 के लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद कांग्रेस के समर्थन से पुनः सरकार बनाने के मुद्दे पर सामने आया था; प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव ने विपक्ष में रहने का समर्थन किया था ।
- यह मतभेद तब और अधिक बढ़ गए जब यह प्रयत्न हुआ कि लोकसभा परिणामों के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए सम्पूर्ण पीएसी अपना त्यागपत्र दे दे, ताकि अरविंद केजरीवाल अपनी इच्छानुसार उसका पुनर्गठन कर सके ।
- अन्य घटनाओं ने भी मतभेदों को बढाने में अपना योगदान दिया: सांप्रदायिक पोस्टर, AVAM के नाम पर जाली एसएमएस, दिल्ली के अलावा अन्य किसी भी राज्य में चुनाव न लड़ने संबंधी निर्णय आदि ।
- प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव ने मांग की कि दिल्ली के चुनावों में उम्मीदवारों का चयन पारदर्शी होना चाहिए, उसमें पार्टी के नियमों का पालन होना चाहिए, और कुछ उम्मीदवारों के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक विश्वसनीय तंत्र होना चाहिए । इसके लिए एक समिति गठित हो, किन्तु उसके बाद आप लोकपाल के निरीक्षण पर सहमति बनी ।
- अपने मजबूत मंतव्य के बावजूद, प्रशांत भूषण दिल्ली चुनाव होने तक अपने दूसरे सवालों को स्थगित करने के लिए सहमत हो गए |
- दिल्ली चुनाव के बाद पहली राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव ने कुछ रचनात्मक सुझाव दिए: आचार समिति, राज्यों के लिए स्वायत्तता, आंतरिक लोकतंत्र और स्वयंसेवकों के सुझावों को सुनने के लिए तंत्र । इन पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया के बदले हमें निराधार आरोप मिले ।
- आप की प्रेस विज्ञप्ति में लगाए गए आरोप बहुत हल्के और अविश्वसनीय हैं। इसलिए कुछ बुनियादी तथ्यों को हम यहाँ फिर से स्पष्ट कर रहे हैं।
- प्रशांत पार्टी की जीत के खिलाफ नहीं था; उसने 'किसी भी कीमत पर जीत' की रणनीति का विरोध किया था। हमें डर था कि त्रिशंकु विधानसभा या कम बहुमत की स्थिति में हमारे 'संदिग्ध' उम्मीदवारों की कुछ लोग खरीद-फरोख्त कर हमें बेनकाब कर सकते हैं ।
- प्रशांत भूषण ने पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक विश्वसनीय तंत्र बनाने की बात की, किन्तु पार्टी नेतृत्व उसके लिए सहमत नहीं था, जब लोकपाल की समीक्षा पर सहमति हुई तो फिर वह वह उस फैसले से सहमत हुआ ।
- अगस्त में योगेन्द्र यादव द्वारा कहानी बनाए जाने वाले आरोप का तो पहले ही बैठक में अन्य पत्रकारों द्वारा खंडन किया गया है।
- प्रशांत भूषण द्वारा अनुशासन समिति के अध्यक्ष के रूप में अपनी क्षमता के अनुसार AVAM के साथ डील किया गया, फिर भी मिलीभगत का आरोप लगाया गया । योगन्द्र यादव पर AVAM ने आरोप लगाए, जब AVAM ने पार्टी पर आरोप लगाए तब उसने पार्टी का बचाव किया ।
- किसी भी मामले में हम स्पष्ट हैं, और पार्टी के लोकपाल द्वारा इन सभी आरोपों की जांच के लिए अनुरोध करते हैं।
- हम मीडिया युद्ध को जारी नहीं रखना चाहते और इस पत्र के बाद शांत रहना चाहते हैं, और हरेक से आग्रह करते हैं कि मीडिया में चुप्पी बनाए रखें ।
- हम अरविंद केजरीवाल के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं, और आशा करते हैं कि वे पार्टी की एकता और सिद्धांतों को बरकरार रखने का मार्ग खोज लेंगे ।
- हम भी इस स्थिति को हल करने के लिए मार्ग खोजने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि अहंकार, पद या हैसियत मौजूदा गतिरोध में मार्ग निकालने के संकल्प के रास्ते में न आये ।
प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव
yogendra.yadav@gmail.com
prashantbhush@gmail.com

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