मेरा भारत महान - भिंड, मुरैना, दतिया



भिन्डी ऋषी की आराधना स्थली के कारण भिंड नाम से विख्यात, ओज और शौर्य की अनिकों गाथाओं की जन्म स्थली भिंड जिले में पांच विधान सभा क्षेत्र भिंड, मेहगांव, लहार, रौन एवं अटेर तथा दतिया जिले को मिलाकर संसदीय क्षेत्र है | यहाँ प्रसिद्ध वनखंडेश्वर शिव मंदिर भी है जिसके प्रति जिले भर के लोगों की श्रद्धा व आस्था है | श्रावण मास की पूर्णिमा तथा शिवरात्री पर यहाँ मेला भी लगता है तथा कांवरें चढ़ाई जाती हैं | भिंड का गौरी तालाब भी प्रसिद्ध है | किसी समय कन्नौज के जयचंद, दिल्ली के प्रथ्वीराज और महोबा के आल्हा ऊदल की रण भूमि यही क्षेत्र रहा है ! इसी लिए आल्हखंड के ओज और शौर्य के गीत आज भी इलाके में चाव से गाये जाते हैं !

बरस अठारह क्षत्रिय जीवे, आगे जीवन को धिक्कार 

या फिर –

जाको बैरी सुख से सोवे, ताके जीवन को धिक्कार !

वाल्यावस्था से गाते गाते कब घुट्टी में यही भाव बच्चे बच्चे में आ जाता है पता ही नहीं चलता ! दिल के साफ किन्तु जवान के कडवे, मुंहफट किन्तु साहसी और उदार ! महानगरीय सभ्यता में आम लत, पीठ पीछे छुरा मारना, किन्तु यहाँ उसे सबसे बड़ा अपराध मानने बाले लोग !

चम्बल नदी मुरैना की उत्तरी और पूर्वी सीमा को राजस्थान से प्रथक करती है ! इसके उत्तरी पूर्वी सीमा का छोटा सा भाग, उसेदघाट पर उत्तर प्रदेश को स्पर्श करता है ! इसके पूर्व में भिंड तो दक्षिण में ग्वालियर तथा शिवपुरी जिले हैं ! एसा कहा जाता है कि इस क्षेत्र में मोर अधिक होने के कारण इसका नाम मयूरवन था जो बाद में अपभ्रंश होकर मुरैना हो गया ! मुरैना के पास ही कुंतलपुर नामक स्थान पांडवों की माता कुंती का जन्म स्थान कहा जाता है ! ककन मठ अपने पुरातन शिव मंदिर के लिये विख्यात है ! खजुराहो शैली में बने ११४ फुट ऊंचे शिवालय के कारण इस स्थान का पुरातात्विक महत्व भी है ! 

अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल की जन्मस्थली ग्राम रूअर बरुआई इसी जिले की अम्बाह तहसील का ग्राम है ! यहाँ ही बिस्मिल का शैशव बीता था ! बड़ी रेल लाइन के द्वारा देल्ही मुम्बई आदि महानगरों से सीधा जुड़े होने के कारण मुरैना तीव्र गति से विकसित हुआ है ! अनाज और खासकर तिलहन की यहाँ अच्छी पैदावार होती है ! चम्बल नहर आ जाने के बाद तो यहाँ की अधिकांश असिंचित भूमि भी सिंचित हो गई है ! भिंड के समान यह जिला भी लम्बे समय तक दस्यु प्रभावित रहा है ! उल्लेखनीय तथ्य यह भी है कि यहाँ के नौजवान बड़ी संख्या में सेना में देश सेवा कर रहे हैं !

बुन्देल खंड की पश्चिमी सीमा पर स्थित दतिया आज़ादी के पूर्व ग्वालियर वा झांसी से प्रथक स्वतंत्र रियासत थी ! मध्य प्रदेश के गठन के पश्चात यह प्रदेश का जिला बना ! सिंध नदी दतिया जिले की उत्तर पूर्वी सीमा बनाती है ! इसके अतिरिक्त पहुज, महुवर व बेतबा नदियाँ भी इस जिले में प्रवाहित होती हैं ! दतिया में मां शारदा का विश्व प्रसिद्ध पीताम्बरा शक्तिपीठ तथा जैन तीर्थंकरों की तपः स्थली सोनागिरी तीर्थ भी है ! यह मान्यता है कि सिंध नदी के किनारे स्थित मनोहारी जल प्रपात सनत्कुमारों का तपस्या स्थल रहा है तथा उनके नाम पर ही उसे सन कुआ नाम मिला है ! दतिया की तहसील सेवढा में दतिया के पूर्व महाराजा स्वर्गीय श्री गोविन्द सिंह जी ने सिंध नदी पर ४० द्वारों का विशाल पुल निर्मित करवाया था जो नए पुल निर्माण तक भिंड जिले से संपर्क सूत्र रहा ! यहीं सुरम्य जल प्रपात के निकट सेवढा का एतिहासिक किला भी है ! 


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