जयललिता और करुणानिधि एक साथ, है ना हैरत की बात ?
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तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा विज्ञापनों में मुख्यमंत्री के चित्र न लगाने के 13 मई क दिए गए आदेश की समीक्षा हेतु एक याचिका दायर की है | इस प्रकार सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाला तमिलनाडु पहला राज्य है |
आदेश को चुनौती देने के निर्णय के पीछे सुश्री जयललिता द्वारा शनिवार को मुख्यमंत्री पद के संभावित शपथ ग्रहण को माना जा रहा है । स्मरणीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने जनता के धन का व्यक्तिगत छवि बनाने में उपयोग किये जाने को हतोत्साहित करने हेतु उक्त निर्णय दिया था |
अन्नाद्रमुक सरकार अपने पिछले चार वर्षों में कट आउट संस्कृति पर काफी कुछ निर्भर रही है तथा तमिलनाडु में चुनाव व्यक्ति केन्द्रित ही होते रहे हैं | सिने अभिनेताओं के ग्लेमर का तमिलनाडु के चुनाव में महत्वपूर्ण और निर्णायक रोल रहता आया है | इसीलिए अगर तमिलनाडु सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को संघीय ढांचे को चोट पहुंचाने वाला बताया है तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है | याचिका में उक्त आदेश को न्यायपालिका द्वारा कार्यपालिका के कार्यों में अनावश्यक दखलंदाजी करार दिया गया है ।
मजे की बात यह है कि तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके ने भी अन्नाद्रमुक सरकार का इस मामले में समर्थन किया है। पार्टी अध्यक्ष एम करुणानिधि ने एक बयान में कहा है कि संविधान के तहत मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री एक समान स्थिति के पद हैं । उन्होंने तो यहाँ तक कहा कि प्रदेश की जनता देश के प्रधान मंत्री की तुलना में अपने प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्यादा तरजीह देती है |
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