मोदी सरकार का एक साल, कोई जबाब या फिर सवाल ही सवाल ? आज का मुद्दा काला धन |


देश में कौतुहल मिश्रित जिज्ञासा है कि विदेशो में जमा काला धन कब वापस आयेगा ? आयेगा भी या नहीं | बहरहाल वो आये या ना आये, भविष्य में कालाधन देश में पैदा ही न हो, इस उद्देश्य से सरकार एक नया कानून जरूर ला रही है - The Undisclosed Foreign Income and Assets (Imposition of Tax) Bill | क्या होगा यह कानून बन जाने के बाद -

– अगर टैक्स डिपार्टमेंट से विदेशों में जमा आय और संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया तो 3 से 10 साल तक की सज़ा होगी।
– अगर इस अपराध में पकड़े गए तो उस आय या संपत्ति पर जो कर बनेगा उसका तीन गुना जुर्माना लगेगा।
– किसी दूसरे व्यक्ति को इसमें हिस्सेदार बनाकर पैसा छिपाने का प्रयास किया तो भी जेल जाने के पात्र बनेंगे।
– सबको एक बार के लिए मौका दिया जाएगा कि वे ऐसी संपत्ति का खुलासा करें और तीस प्रतिशत टैक्स देकर चिन्ता मुक्त हो जाएं।
– इसके अलावा सरकार बेनामी ट्रांजैक्शन बिल भी लाने जा रही है।
– एक लाख से अधिक की खरीद पर पैन नंबर अनिवार्य कर दिया गया है।

लेकिन प्रस्तावित क़ानून से उद्योगजगत में खलबली मच गई है | उद्योगों की संस्था एसोचैम ने तो बाकायद बिल की सख्ती पर एतराज़ जताया है । एसोचैम के मुताबिक -

– उन लोगों को सुरक्षा मिले जो एक बार में सारे खुलासे कर देना चाहते हैं।
– ऐसा करने वालों को प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट 2002 के तहत सज़ा न मिले।
– जो एक बार खुलासा करे उससे तीस प्रतिशत टैक्स न लें, ये बहुत ज्यादा है।
– टैक्स मूल निवेश या ख़रीद के वक्त की कीमत पर लगाए जाएं न कि मौजूदा बाज़ार दर के आधार पर।
– सज़ा काफी सख्त है, इस सज़ा को इनकम टैक्स के प्रावधान से जोड़ा जाना चाहिए।

पता नहीं यह बिल पास होगा या नहीं | अधिकांशतः ऐसे मामलों में जनता तो मिली जुली कुश्ती देखने की आदी हो चुकी है | विपक्ष शोर शराबा करेगा, और उसके बहाने बिल टाल दिया जाएगा | पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर दोषारोपण करेंगे और मामला प्रवर समिति के पास पहुंचा जाएगा, दूसरे शब्दों में कहें तो लटक जाएगा | कोई राजनैतिक दल सच में काले धन से निबटना नहीं चाहता | अगर काला धन ही नहीं रहेगा तो उन बेचारों को चुनाव में चन्दा कौन भामाशाह देगा ?

क्या यह मजे की बात नहीं कि कालेधन के मुद्दे पर सबसे ज्यादा मुखर रहने वाले बाबा रामदेव भी शांत बैठ चुके हैं | शायद स्वदेशी के नारे का सबसे ज्यादा लाभ उन्होंने ही उठाया है | उनके उत्पाद किसी भी बहुराष्ट्रीय कम्पनी से कहीं अधिक लोकप्रिय हो चुके है | उन्होंने बिजनेस मेनेजमेंट का कोर्स भले न किया हो, किन्तु जिस चतुरता से उन्होंने अपना व्यावसायिक साम्राज्य बनाया है, वह किसी भी फन्ने खां के लिए ईर्ष्या का सबब बन सकता है |

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को लोकसभा में जब सवाल किया कि एक साल से देश में न तो लोकपाल है और न ही केंद्रीय सूचना आयुक्त व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, तो प्रचलन के अनुसार जितेंद्र सिंह जी ने गिना दिया कि यूपीए के दौरान कई बार ऐसा हो चुका है । अरे दादा भाई उनकी गड़बड़ियों के चलते ही तो जनता ने आपको सत्ता सोंपी है | आप अगर उनके ही फोलोअर बनने वाले हो, तो वे ही क्या बुरे थे ?

मोदी सरकार के कार्यकाल का एक वर्ष पूर्ण होने जा रहा है | देश में लोकपाल नहीं, सूचना आयुक्त नहीं, प्रवर्तन निदेशक नहीं। काला धन रोकने का प्रस्तावित क़ानून भी गर्भ में है | अगर उसकी भ्रूण ह्त्या न भी हुई, और वह क़ानून बन भी गया तो क्या पैन नंबर के अनिवार्य बना देने भर से सरकार भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर मान ली जायेगी । सबसे अहम सवाल यह है कि  जनता जिस दृढ इच्छा शक्ति और ईमानदार संकल्प को देखना चाहती है, क्या वह सरकार में दिखाई दे रहा है ?

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