रूस में कैसे होती हैं शादी ? – सुधा मूर्ति W/O श्री नारायण मूर्ति (इनफ़ोसिस)

(सत्य घटना को वर्णित करती एक लघुकथा का हिन्दी अनुवाद)


शादी हरएक के जीवन की महत्वपूर्ण घटना होती है। भारत में तो यह समारोह कुछ अधिक ही भव्य होता है। हमारे यहाँ शादी की कहानी पर आधारित फिल्मों की एक लम्बी श्रंखला है | कभी कभी तो इंसान अपने जीवन भर की कमाई शादी पर खर्च कर देता है । शादी समारोह युवक और युवतियों के परस्पर हँसी मजाक का स्थान होते हैं, तो बुजुर्गों के लिए अपनी समस्याओं पर चर्चा करने का स्थान | महिलाओं के लिए अपनी रेशमी साड़ियाँ और बेहतरीन आभूषण प्रदर्शित करने का अवसर होते हैं शादी समारोह ।

अभी कुछ दिन पहले मुझे मास्को (रूस) जाने का अवसर मिला | मास्को शहर में कई युद्ध स्मारक है। रूस ने तीन युद्धों में ऐतिहासिक महान विजय प्राप्त की, जो उनके लिए गर्व और गौरव का विषय है । युद्ध में विजय के कारक रहे महान जनरलों की मूर्तियाँ इन स्मारकों में स्थापित हैं । पहला युद्ध पीटर महान और स्वीडन के बीच था। दूसरा युद्ध ज़ार सिकंदर और फ्रांस के नेपोलियन के बीच हुआ । और तीसरा 1945 के द्वितीय विश्वयुद्ध में हिटलर के खिलाफ ।

मास्को में एक विशाल पार्क है जिसे शांति पार्क के नाम से जाना जाता है। इस शांति पार्क के बीच में एक बड़ा स्मारक है। वहाँ एक स्तंभ है, और स्तंभ पर रूस द्वारा लडी गईं विभिन्न लड़ाइयों का तारीखों और स्थानों के साथ उल्लेख किया गया है। पार्क में खूबसूरत फव्वारे है। गर्मियों में यहाँ कई रंग के फूल खिलते हैं | बड़ा ही नयनाभिराम दृश्य होता है। रात में इसे रोशनी के साथ सजाया जाता है। हर रूसी इस पार्क पर गर्व करता है | जो भी पर्यटक मास्को आते हैं, यह पार्क देखने अवश्य आते हैं ।

वह रविवार का दिन था जब मैं पार्क घूमने पहुंची । गर्मी के मौसम में भी यह स्थान सुहावना और ठंडा था। मैं एक छतरी के नीचे खड़े होकर वहां की सुंदरता का आनंद ले रही थी । अचानक, मेरी आँखें एक नव विवाहित युवा जोड़ी पर टिकीं । भूरे बालों और नीली आंखों वाली उस लड़की की आयु लगभग बीस के आसपास होगी । वह बहुत सुंदर थी। लड़का भी लगभग उसके हमउम्र ही था | बहुत ही सुन्दर जोडी थी | ख़ास बात यह कि लड़का सैन्य वर्दी पहने हुए था। दुल्हन मोती और सुंदर लेस के साथ सजाये गए सफेद साटन के कपड़े पहने हुए थी। दो युवा लड़कियां उसके गाउन के सिरों को पीछे से पकड़े हुए थीं, ताकि वह गन्दा न हो । वे वारिश की हलकी फुहारों में भीग न जाएँ इसलिए दो युवा लड़के छतरी लेकर उनके साथ थे । लड़की एक गुलदस्ता पकड़े हुए थी और युवा के दोनों हाथों में हथियार थे । यह एक अद्भुत नजारा था। मुझे कुछ हैरत हुई कि शादी के तुरंत बाद ये लोग बारिश में भीगते हुए इस पार्क में क्यों आये हैं । वे निश्चित रूप से एक वैवाहिक स्थल पर जा सकते थे। मैंने देखा कि उन लोगों ने स्मारक के पास पहुँच कर डायस पर गुलदस्ता रखा, मौन खड़े रहकर सिर झुकाया और धीरे धीरे वापस चले गये ।

मैं यह जानने को बहुत उत्सुक थी कि आखिर यह हो क्या हो रहा था । मैंने पास खड़े एक बुजुर्ग व्यक्ति से पूछा । उन्होंने पहले मेरी साड़ी को देखा और पूछा, 'क्या तुम भारतीय हो?'। 

मैंने उत्तर दिया 'हां, मैं एक भारतीय हूं।' 
हम अब काफी सौहार्दपूर्ण ढंग से बातें कर रहे थे, अतः मैंने अवसर का लाभ लेकर उनसे कुछ सवाल पूछने का फैसला किया।
'आप अंग्रेजी कैसे जानते हैं ?' मैंने पूछा 
'ओह मैंने विदेश में काम किया।' उन्होंने जबाब दिया 
'क्या आप मुझे बता सकते हैं कि वह युवा दंपती अपनी शादी के दिन इस युद्ध स्मारक पर क्यों आये?'
'ओह, यह रूसी परिपाटी है। यहाँ शादी अमूमन शनिवार या रविवार को होती हैं । चाहे मौसम कोई भी हो, वैवाहिक कार्यालय में रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने के बाद, शादीशुदा जोड़े सबसे पहले महत्वपूर्ण राष्ट्रीय स्मारकों पर जाते हैं । इस देश में हर लड़का कम से कम कुछ वर्ष सेना में सेवा देता है। भले ही उसकी हैसियत कुछ भी हो | शादी के समय यह जरूरी माना जाता है कि वह अपनी सेना की वर्दी पहने हो । '

'ऐसा क्यों?'

'यह कृतज्ञता का प्रतीक है। हमारे पूर्वजों ने रूस द्वारा लडे गए विभिन्न युद्धों में अपनी कुर्बानी दी है। उनमें से कुछमें हम जीते, तो कुछ में हमारी पराजय हुई, लेकिन उनके बलिदान सदैव देश के लिए हुए । नवविवाहित जोड़ों को यह स्मरण रखना जरूरी है कि वे अपने पूर्वजों के बलिदान के कारण एक शांतिपूर्ण, स्वतंत्र रूस में रह रहे हैं । अतः उनका आशीर्वाद लेने वे यहाँ आते हैं । देशप्रेम शादी समारोह से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। हम बुजुर्ग लोग इस परंपरा को जारी रखने पर जोर देते हैं, फिर चाहे विवाह मास्को, सेंट पीटर्सबर्ग या रूस के किसी भी अन्य हिस्से में क्यों न हो । शादी के दिन नवविवाहित युगल आसपास के किसी युद्ध स्मारक पर अवश्य जाते है। '

उस अवसर पर मुझे यह सोचकर हैरानी हुई कि हम भारतीय अपने बच्चों को क्या शिक्षा दे रहे हैं । क्या हम भारतीय भी हमारे जीवन के इस सबसे महत्वपूर्ण दिवस पर हमारे शहीदों को याद करने का सौजन्य दिखा सकते हैं ? हम तो इस दिन साड़ियां व आभूषण खरीदने में व्यस्त रहते हैं, भोजन का विशाल मेनू तैयार करते हैं और डिस्को में जश्न मनाते हैं।

यह सब सोचकर मेरी आँखें डबडबा गईं और मुझे लगा कि हमें रूसियों से सबक सीखने की जरूरत है.... लेकिन हमारे बदमाश राजनेता, उदासीन नौकरशाही और एक अकृतज्ञ राष्ट्र क्या यह करेगा... !!
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