अफगानिस्तान पहुंच अंग्रेज अफसर की प्राणरक्षा करने वाले आगर मालवा के श्री बैजनाथ महादेव

मध्यप्रदेश के नवगठित एवं 51 वे जिले के रूप में 16 अगस्त 2013 को शाजापुर जिला से अलग अस्तित्व में आए आगर मालवा नगर में श्री बैजनाथ महादेव का एक ऎसा ऎतिहासिक मंदिर हैं जिसका जीर्णोद्धार तत्कालीन अंग्रेज सेना के एक अधिकारी कर्नल मार्टिन ने वर्ष 1883 में 15 हजार रूपये का चंदा कर करवाया था ! इस बात के प्रमाण हेतु एक शिलालेख भी इस ऐतिहासिक मंदिर के अग्रभाग में स्थित है !

उत्तर एवं दक्षिण भारतीय कलात्मक शिल्प में निर्मित श्रीबैजनाथ महादेव को चमत्कारी देव माना जाता है ! इसका ज्वलंत उदाहरण उस समय दिखाई दिया जब अफगानिस्तान में 130 वर्ष पहले पठानी सेना से घिरे कर्नल मार्टिन की प्राणरक्षा भगवान शिव ने की जिसके कारण अपनी मृत्यु को सुनिश्चित मान बैठे कर्नल मार्टिन सहित उनके सहयोगी वापस लौट पाए !

इतिहास में वर्णित है कि वर्ष 1879 में अंग्रेजों ने अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया था ! इस युद्ध का संचालन आगर मालवा की ब्रिटिश छावनी के लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन को सौंपा गया था ! मार्टिन युद्ध एवं स्वयं की कुशलता के समाचार आगर मालवा में छोड कर गए अपनी पत्नी को नियमित भेजते थे, परन्तु कुछ समय पश्चात अचानक से मार्टिन के संदेश आना बंद हो गए !संदेशों के अचानक आना बंद होने के कारण कर्नल मार्टिन की पत्नी को अनेक शंकाएं सताने लगी !

एक दिन घोडे पर बैठ कर कर्नल मार्टिन की पत्नी आगर मालवा में भ्रमण हेतु निकली तभी श्री बैजनाथ महादेव मंदिर से आती शंखध्वनि और मंत्रों से आकर्षित हो वह मंदिर जा पहुंची ! मार्टिन की पत्नी को मंदिर में पूजा पाठ कर रहे पंडितों से शिव पूजन के महत्व के बारे में जानकारी मिली कि भगवान शिव औढरदानी और भोलेभंडारी हैं, विपत्ति के समय अपने भक्तों के संकट वह तुरंत ही दूर करते हैं !

पुजारी ने लेडी मार्टिन से पूछा बेटी तुम बडी चिंतातुर लग रही हो क्या कारण है ! लेडी मार्टिन बोली मेरे पति युद्ध में गए हैं और कई दिनों से उनका कोई समाचार नहीं आया इसलिए चिंतित हूं, इतना कहते हुये लेडी मार्टिन रो पडी ! फिर ब्राहमणों के कहने पर श्रीमती मार्टिन ने लघु रूद्री अनुष्ठान आरंभ करवाया तथा भगवान शिव से अपने पति की रक्षा के लिये प्रार्थना करने लगी और संकल्प लिया कि उनके पति युद्ध जीतकर आ जाए तो वह मंदिर पर शिखर बनवायेगी ! लघुरूद्री की पूर्णाहुति के दिन अचानक से भागता हुआ एक संदेशवाहक शिवमंदिर पहुंचा ! लेडी मार्टिन ने घबराते हुए लिफाफा खोला और पढने लगी !

पत्र में उनके पति ने लिखा, “हम युद्धरत थे तुम्हारे पास खबर भी भेजते रहते थे लेकिन अचानक हमें पठानी सेना ने घेर लिया ! ब्रिटिश सेना के सैनिक मरने लगे ऎसी विषम परिस्थिति से हम घिर गए और जान बचाकर भागना मुश्किल हो गया ! अचानक मुझे ऐसा आभास हुआ, मानो युद्ध भूमि में एक योगी जिनकी लम्बी जटाएं थीं, हाथ में तीन नोंक वाला हथियार (त्रिशूल) लिए आकर मेरी रक्षा करने लगे ! पठान सैनिकों के प्रहार निशाना चूकने लगे और हमारा आक्रमण कई गुना प्रभावी हो गया | देखते देखते पठान मैदान छोड़कर भागने लगे और हमारी निश्चित हार एकाएक जीत में बदल गई !

पत्र में लिखा था यह सब उन त्रिशूलधारी योगी के कारण ही संभव हुआ ! पत्र पढते हुए लेडी मार्टिन ने भगवान शिव की प्रतिमा के सम्मुख सिर रखकर प्रार्थना करते हुए भगवान का शुक्रिया अदा किया और उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पडे !

कुछ दिनों बाद जब कर्नल मार्टिन आगर मालवा ब्रिटिश छावनी लौटकर आए और पत्नी को सारी बातें विस्तार से बताई और अपनी पत्नी के संकल्प पर कर्नल मार्टिन ने सन 1883 में पन्द्रह हजार रूपये का सार्वजनिक चंदा कर श्री बैजनाथ महादेव के मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया ! आगर मालवा की उत्तर दिशा में जयपुर मार्ग पर बाणगंगा नदी के किनारे स्थापित श्री बैजनाथ महादेव का यह ऎतिहासिक मंदिर लिंग राजा नलकालीन माना जाता है ! पहले यह मंदिर एक मठ के रूप में था तथा तांत्रिक अघौरी यहां पूजापाठ करते थे !

मंदिर का गर्भगृह 11 गुणा 11 फीट का चौकोर है तथा मध्य में आग्नेय पाषाण का शिवलिंग स्थापित है ! मंदिर का शिखर चूने पत्थर से निर्मित है जिसके अंदर और बाहर ब्रहमा, विष्णु और महेश की दर्शनीय प्रतिमाऎं उत्कीर्ण हैं ! करीब 50 फुट ऊंचे इस मंदिर के शिखर पर चार फुट ऊंचा स्वर्णकलश स्थापित है ! मंदिर के सामने विशाल सभा मंडप और मंडप में दो फुट ऊंची एवं तीन फुट लंबी नंदी की प्रतिमा है ! मंदिर के पीछे लगभग 115 फुट लंबा और 48 फुट चौडा कमलकुंड है जहां खिलते हुए कमल के फूलों से यह स्थल और भी रमणीक दिखाई देता है ! महाशिवरात्रि के अलावा यहां चैत्र एवं कार्तिक माह में भी भव्यशिव मेला आयोजित होता है और दूर दराज से श्रद्धालु चमत्कारिक श्रीबैजनाथ महादेव के दर्शन पूजन करने पहुंचते हैं !

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