एक "शरारती मनचले" का इतना आतंक कि घोषित करना पड़ा एक लाख का इनाम !

हम सबने देश के विभिन्न भागों में बम विस्फोटों और पिस्तौल की गोलियों से हुए आतंकी हमलों के बारे में सुना है | लेकिन आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले में पिछले एक सप्ताह से जो आतंक व्याप्त है, वह अपने आप में अनूठा है | हालत यह हो गई है कि प्रातःकाल मोर्निंग वाक पर जाने वाली महिलाओं ने अपनी इस दैनिक दिनचर्या को ही रोक दिया है | 

रूमाल से अपना चेहरा छुपाये एक अज्ञात बाइक सवार ने विगत एक सप्ताह में लगभग एक दर्जन महिलाओं को अपना शिकार बनाया है | वह वाइक पर आता है और प्रातःकाल घूमने वाली महिलाओं के कूल्हे पर पीछे से एक सिरिंज की सुई चुभा देता है | हालांकि जांच के बाद पुलिस का कहना है कि उसके इंजेक्शन में किसी प्रकार का हानिकारक पदार्थ नहीं पाया गया है ।

लगभग 30 वर्ष की आयु वाला यह व्यक्ति एक रूमाल से अपना चेहरा छुपाये एक काले रंग की पल्सर बाइक पर घूमता है, और अपना शिकार ढूँढता है | महिलाओं में व्याप्त आतंक को देखते हुए पुलिस ने इस "सिरिंज मनोरोगी “ को पकड़ने के व्यापक उपाय किये हैं |

जिला पुलिस को पहले मामले की शिकायत 22 अगस्त को प्राप्त हुई थी | पश्चिमी गोदावरी जिले की पुलिस ने उसके बाद इस शरारती मनचले को पकड़ने के प्रयत्न तेज कर दिए | किन्तु उसके बाद भी घटनाएँ थम नहीं रहीं है | किसी न किसी महिला द्वारा लगभग प्रतिदिन शिकायत दर्ज कराई जा रही है | 

इलाके में व्याप्त आतंक को देखते हुए पुलिस ने कुछ प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा बताये गए हुलिए के आधार पर स्थानीय समाचार पत्रों में उस व्यक्ति का स्केच भी जारी किया है | साथ साथ स्थानीय निवासियों की मदद से पुलिस की विशेष टीमें हर आने जाने वाले वाइक की तलाशी अभियान भी चला रही है । इतना ही नहीं तो पुलिस ने संदिग्ध की पहचान करने में मदद करने वाले को 1 लाख रुपये का इनाम देने की भी घोषणा की है।

स्थानीय टीवी चैनलों के अनुसार अभी तक 12 से अधिक महिलाओं पर इस प्रकार हमला किया जा चुका है | घटनाओं की सबसे ज्यादा शिकायतें भीमावरम-पलाकोले-पेनुगोंडा क्षेत्रों से प्राप्त हुई हैं ।

हालांकि हमले की शिकार महिलाओं के प्रारंभिक परीक्षणों में इंजेक्शन में कोई खतरनाक पदार्थ नहीं पाया गया है । इसके बावजूद सतर्कता के नाते पीड़ित महिलाओं के रक्त के नमूनों को हैदराबाद की एक प्रयोगशाला में भेजा गया है ।

राज्य सरकार ने भी अपराधी की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने के लिए पुलिस को कहा है | लेकिन वाईकर अभी भी पुलिस गिरफ्त से बाहर है और भयभीत महिलाओं ने सडकों पर निकलना बंद कर दिया है । क्या इस प्रकार के मनोरोगी पैदा होना, वैचारिक प्रदूषण का लक्षण नहीं है ? और इसके बाद भी लोग कहते हैं कि पोर्न वेव साईटें न रोकी जाएँ ? स्वतंत्रता का अर्थ क्या यही है ?

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