कब मिटेगी औरंगजेबी मानसिकता ? - विजय कुमार सिंघल



पिछले दिनों दिल्ली नगरनिगम और सरकार ने नई दिल्ली की औरंगजेब रोड का नाम बदलकर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम के नाम पर रखने का प्रशंसनीय निर्णय लिया | इस निर्णय का पूरे देश में स्वागत हुआ |

लेकिन देश में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो हर मौके पर छींकते रहते हैं, उन्हें यह निर्णय पसंद नहीं आया | ऐसे लोगों की फेहरिश्त में सबसे ऊपर नाम है, हैदरावाद के सांसद ओबेसी का | उनका एक ही काम है - आये दिन ऐसे बयान दागना, जिनसे मुसलामानों में उत्तेजना फैले | और उसके बाद हिन्दू समाज में भी प्रतिक्रया स्वरुप मुसलामानों के प्रति घृणा का भाव जागृत हो | वे पूरे देश के मुसलमानों के एकछत्र नेता बनना चाहते हैं | उसका सबसे आसान तरीका उन्हें यही लगता है कि मुसलामानों को हिन्दुओं के नजदीक मत जाने दो | मुसलमानों की अलग पहचान बनी रहे इसी में उनका राजनैतिक उल्लू सीधा हो सकता है | और फिर अब तो बिहार चुनाव भी सिर पर हैं | मुसलमानों में अलगाववाद का जहर घुलेगा, तभी तो वे उनके वोट बैंक बन पायेंगे |

यह बात नहीं है कि उनको मुसलमानों से कुछ ज्यादा प्यार है | अगर ऐसा होता तो वे कभी भी डॉ. कलाम के नाम पर सड़क के नामकरण का विरोध नहीं करते | क्योंकि डॉ. कलाम भी तो आखिर मुसलमान ही थे | उनके द्वारा डॉ. कलाम की तुलना में औरंगजेब को पसंद करने का केवल और केवल एक कारण है, और वह यह कि औरंगजेब हिन्दुओं से नफ़रत करता था, जबकि डॉ. कलाम सभी देशवासियों से प्यार करते थे | मुस्लिम प्रेम के बजाय हिन्दू विरोध उनका एकमात्र लक्ष्य और उद्देश्य है | यही औरंगजेबी मानसिकता है | 

इससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य यह है कि यह केवल ओबैसी जैसे वोटपरस्त राजनेता की ही हो, ऐसा नहीं है | देश के अधिकाँश पढ़े लिखे मुसलामानों की वे ऑफ़ थिंकिंग यही है | उनकी इस औरंगजेबी मानसिकता का प्रमाण सोशल मीडिया पर स्पष्ट देखा जा सकता है | सोशल मीडिया पर अनेक मुसलमानों ने औरंगजेब रोड का नाम बदले जाने की आलोचना करते हुए अपने विचार व्यक्त किये हैं |

स्मरणीय है कि जब इस्लामी तालिबानी आतंकवादियों ने पाकिस्तान के एक विद्यालय में घुसकर बच्चों को गोलियों से भूनकर मार डाला था, तब भारत के हर हिन्दू मुसलमान को उनसे सहानुभूति हुई थी और घटना की निंदा करते हुए दुःख प्रगट किया गया था | किन्तु पाकिस्तान में क्या हुआ था ? पाकिस्तान में उन बच्चों के पिताओं ने टीवी चैनलों पर खुले आम कहा था कि हमारे बच्चों को क्यों मारा ? मारना ही था, तो हिन्दुओं के बच्चों को मारते |

इस उदाहरण से सिद्ध होता है कि मुसलमान चाहे पाकिस्तान का हो, अथवा हिन्दुस्थान का, उनकी औरंगजेबी मानसिकता में कोई अंतर नहीं है | यह मानसिकता ही देश में साम्प्रदायिकता की असली जड़ है | अब समय आ गया है कि इस मानसिकता को समाप्त करने के कारगर उपाय किये जाएँ | बाबर और औरंगजेब की इन संतानों को अब सुधरना ही होगा | लल्लो चप्पो का जमाना अब ज्यादा नहीं चल सकता | देर सबेर यह स्थिति बनने ही वाली है |

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