दिल में चुभता है शूल |
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कल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री "ममता बैनर्जी" नेताजी से जुड़े दस्तावेज सार्वजनिक करने वाली हैं, क्या उनमें फैजावाद के गुमनामी बाबा (भगवान जी) को लेकर कुछ रहस्य सामने आ सकता है ? एक पुरानी लिखी कविता इस समय जहन में आ रही है |
दिल में चुभता है शूल
जब कोंधते है कुछ सवाल
क्या सचमुच आजादी का उपहार
मिला बिना खड्ग बिना ढाल ?
आजाद हिंद फ़ौज के महानायक
सुभाष चन्द्र बोस
क्या वे ही थे गुमनामी बाबा
और पाई गुमनाम मौत ?
आँखों में उभरता है अक्स
कोल्हू में जुते सावरकर
क्यों श्रद्धांजलि दे न सकी
संसद उनके निर्वाण पर ?
क्या क्रांतिकारी आततायी थे
क्यों कांग्रेस उनसे बेजार
क्यों गाँधी जी ने किया
भगतसिंह की पैरवी से इनकार ?
देश में नीति गौण ओ तंत्र प्रबल है,
इसीलिये राजनीति में राजतंत्र सबल है !!
दासताकाल में जो थे राजा ओहदेदार,
अंग्रेजों के दुमहिलैया मनसबदार !
जिन्हें इंदिराजी ने बताई थी औकात,
छीनकर विशेषाधिकार प्रिवीपर्स की सौगात !!
आज भी उनमे से बहुत से फिर दिखते ऐंठे,
वे, उनके बेटे, फिर पोते पडपोते तन बैठे !
गर कुए में ही भंग डल जाए,
बिन पानी कब तक रह पाए ?
Tags :
काव्य सुधा
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