क्या है नेशनल हेराल्ड घोटाला



नेशनल हेराल्‍ड अखबार की शुरुआत 9 सितंबर, वर्ष 1938 में लखनऊ से हुई थी। इसका हिन्दी अर्थ है - भारत का अग्रदूत | शुरूआत में अखबार का घोष वाक्य था - Freedom is in Peril, Defend it with All Your Might अर्थात 'स्‍वतंत्रता खतरे में है, अपनी पूरी शक्ति के साथ इसकी रक्षा करनी है।' 

जब इस अखबार की शुरुआत हुई तो इसके पहले संपादक पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु हुए। अगस्‍त 1942 के बाद जब ब्रिटिशों ने इंडिया प्रेस पर हमला किया तो उस दौरान हेराल्‍ड अखबार को भी बंद करना पड़ा। हेराल्‍ड को वर्ष 1942 से लेकर 1945 तक पूरी तरह से बंद कर दिया गया। वर्ष 1945 के अंतिम महीनों में एक बार फिर से नेशनल हेराल्‍ड की शुरुआत की गई।

जवाहर लाल नेहरु को जब देश का प्रधानमंत्री बनाया गया तो उन्‍होंने संपादक के पद से इस्‍तीफा दे दिया और उसके बाद "के राम राव" को नेशनल हेराल्‍ड का संपादक बनाया गया। 

दूसरी पारी से थी उम्मीद 

नेशनल हेराल्‍ड की दूसरी शुरुआत में कांग्रेस के फिरोज गांधी ने वर्ष 1946 में अखबार की बागडोर प्रबंध निदेशक के रूप में संभाली। इस समय मानिकोंडा चलापति राव को संपादक का पदभार दिया गया। अभी तक हेराल्‍ड के दो संस्‍करण लखनऊ और दिल्‍ली से निकलने लगे थे। नेशनल हेराल्‍ड को हिंदी में नवजीवन और उर्दू भाषा में कौमी आवाज के नाम से भी निकाला जाता था। यह कहना कतई अतिश्‍योक्ति नहीं होगा कि नेशनल हेराल्‍ड पूरी तरह से कांग्रेसी अखबार था। भारत के आजाद होने के बाद भी एक बार फिर से अखबार को बंद करने की नौबत आ गई थी। वर्ष 1977 में जब लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी की हार हुई थी तो भी इस अखबार को दो सालों के लिए बंद कर दिया गया था । 

बस यहां से हेराल्‍ड का काला इतिहास शुरु हो गया था। इंदिरा गांधी की हार के बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने नेशनल हेराल्‍ड की बागडोर संभाली लेकिन तब तक माहौल बिल्‍कुल बदल चुका था। वर्ष 1998 में लखनऊ संस्‍करण को बंद कर दिया गया और सिर्फ दिल्‍ली संस्‍करण ही बाजार में आता रहा। अंततः 1 अप्रैल 2008 को नेशनल हेराल्‍ड के बोर्ड सदस्‍यों ने इस बात की घोषणा कर दी कि अब हेराल्‍ड के दिल्‍ली संस्‍करण को भी बंद किया जा रहा है। बताया गया कि प्रिंट तकनीकी और कंप्‍यूटर तकनीकी में सुधार न होने के कारण इसे बंद किया गया। नेशनल हेराल्‍ड को जब बंद किया गया तो उस समय उसके एडिटर इन चीफ टीवी वेंकेटाचल्‍लम थे। 

क्‍या है हेराल्‍ड घोटाला ?

वर्ष 2008 में नेशनल हेराल्‍ड को बंद करने के बाद उसका मालिकाना हक एसोसिएटड जर्नल्‍स को दे दिया गया था। हेराल्‍ड को चलाने वाली कंपनी एसोसिएट जर्नल्स ने कांग्रेस पार्टी से बिना ब्याज के 90 करोड़ का कर्ज लिया। कांग्रेस ने कर्ज तो दिया और उसकी वजह बताई कि कर्मचारियों को बेरोजगार होने से बचाना। यहां सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर कर्ज देने के बाद भी अखबार क्‍यों नहीं शुरु हुआ। इसके बाद 26 अप्रैल 2012 को नेशनल हेराल्‍ड का मालिकाना हक यंग इंडिया को दे दिया गया। बता दें कि यंग इंडिया कंपनी में 76 प्रतिशत शेयर सोनिया और राहुल गांधी के हैं। यंग इंडिया ने हेराल्ड की 1600 करोड़ की परिसंपत्तियां महज 50 लाख में हासिल कीं। अब भाजपा के नेता सुब्रमण्‍यम स्‍वामी का आरोप है कि गांधी परिवार ने हेराल्‍ड की संपत्तियों का अवैध ढंग से उपयोग किया है। जिसके बाद सुब्रमण्‍यम स्‍वामी इस विवाद को लेकर 2012 में कोर्ट पहुंच गए।

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