कमलेश का सर कलम करने की धमकी देने वालों पर दर्ज हो मुक़दमा |


भारत में अब सच्चे अर्थों में असहिष्णुता दिखाई दे रही है | कट्टरपंथी मुसलमान अब हिंदू महासभा के स्वयंभू नेता कमलेश तिवारी को खोज कर रहे हैं, क्योंकि तिवारी ने उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक मंत्री आजम खान की एक अपमानजनक टिप्पणी का तुर्की बतुर्की जबाब देने की हिम्मत जो दर्शाई थी | आजम खान ने कहा था कि दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक प्रचारक समलैंगिक हैं । इसका जबाब देते हुए कमलेश ने कथित तौर पर कहा कि इस दुनिया में मुहम्मद पहले होमोसेक्सुअल व्यक्ति थे ! यह भी कहा जाता है कि कमलेश ने 3 दिसंबर को एक मुद्रित पेम्पलेट भी मीडिया और लोगों के बीच बंटवाया जिसमें उसने अपने इसी विचार को प्रगट किया था ।

अब तक देश के विभिन्न भागों में मुसलमानों ने प्रदर्शन कर कमलेश तिवारी को सजाये मौत की मांग की है । उत्तर प्रदेश का मुजफ्फरनगर हो या कर्नाटक का बेंगलुरू, या दिल्ली या राजस्थान के अजमेर और टोंक, प्रदर्शन कारियों का एक ही स्वर था – 

"कमलेश तिवारी से पूरे भारत के मुसलमान नाराज है और उसे दंडित किया जाना चाहिए। हम हमारे पैगंबर के खिलाफ किसी भी तरह के शब्द नहीं सुन सकते। मुसलमानों की भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। हम मांग करते हैं कि तिवारी के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई की जाए । समाज में इस प्रकार के विषवमन की अनुमति नहीं दी जा सकती | 

समाचार पत्र दैनिक भास्कर के अनुसार तो टोंक में मुस्लिम प्रदर्शनकारियों ने आईएसआईएस के समर्थन में भी नारे लगाए । मुस्लिम जगत के भड़कने का वास्तविक कारण भी यही है | नृशंस जिहाद और बर्बर इस्लामी राज्य के खिलाफ रूस, फ्रांस और ब्रिटेन के संयुक्त हमलों ने भारतीय मुसलमानों को बेचैन किया हुआ है | भारतीय उपमहाद्वीप में भी हिंदू संगठनों का प्रभुत्व उनके जले पर नमक छिड़के जाने जैसा है | यही कारण है कि अनेकों जिहाद समर्थक कट्टरपंथी इस्लामी रैकेट के गुर्गे पिछले दिनों गिरफ्तार किये गये है। कमलेश तिवारी के बहाने उन्हें अपनी नाराजगी का इजहार करने का मौक़ा हाथ लग गया और उन्होंने सरकारी मशीनरी के खिलाफ अपनी भड़ास प्रदर्शित कर दी ।

हैरत की बात यह है कि कमलेश तिवारी को पहले ही एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) के तहत गिरफ्तार किया जा चुका है, किन्तु इस्लामी साम्प्रदायिकता की आग कम होने के स्थान पर भड़कती ही जा रही है |

अब एक सवाल हरेक के मन में है कि क्या मोहम्मद साहब को लेकर कमलेश ने कोई नया आरोप लगाया ? क्या पूर्व से ही एक मुस्लिम विचारक अली सिना इसी प्रकार के आरोप नहीं लगाते आ रहे ? अली सिना के लेखों का पूरा अनुवाद अगर मैंने प्रसारित कर दिया, तो मेरी हालत भी बेचारे कमलेश जैसी हो जायेगी, किन्तु फिर भी अली सिना द्वारा उठाये गए दो सवाल जरूर मैं पाठकों के सम्मुख रखना चाहूँगा |

(1) अली सिना कहते हैं कि मोहम्मद साहब की तीसरी पत्नी की विवाह के समय आयु थी महज 6 वर्ष | क्या छह साल की बच्ची अपने जीवन साथी को चुनने की स्थिति में होना संभव है ? आयशा ने अपने अनाड़ी माता पिता पर भरोसा कर अपनी सहमति दी, क्या यह उसके मातापिता द्वारा किया गया शर्मनाक विश्वासघात नहीं था ? कोई इस बात पर चर्चा नहीं करता कि बेचारी आयशा कैसे और क्यों मरी । आयशा और मोहम्मद साहब के संबंधों को लेकर मुफा खत्हत (mufa'khathat) में विस्तार से उल्लेख है । आज भी लाखों लड़कियां मुहम्मद साहब द्वारा निर्धारित इसी परंपरा का शिकार बन रही हैं | क्या उन छोटी लड़कियों के बारे में कोई कभी चिंता करेगा ? 

(2) मुहम्मद साहब समलेंगिक थे अथवा नहीं, इस बात को जाने दें | लेकिन इतना तो तय है कि इस्लामी धर्म ग्रंथों के अनुसार जन्नत में हूर व गिल्मे मिलने का उल्लेख किया गया है | क्या यह एक प्रकार से पृथ्वी और बहिश्त (इस्लामी स्वर्ग) दोनों जगह समलेंगिकता की अनुमति जैसा नहीं है ।

भारत सहिष्णुता की भूमि है। लेकिन क्या सहनशीलता केवल हिंदुओं की मजबूरी है | मकबूल फिदा हुसैन हिंदू देवी-देवताओं की नग्न तस्वीरें बनाने को स्वतंत्र है | गौकशी करने वाले स्लाटर हाउस का विरोध करने वाले प्रशांत पुजारी की हत्या कर दी जाती है | केरल और अन्य दक्षिणी राज्यों में खुले आम गोमांस उत्सव, अयोध्या में जीर्ण राम मंदिर, पीके फिल्म में भगवान शिव का अपमान, भारत माता को डायन कहा जाना, भारत के राष्ट्रीय गान का मुस्लिम सांसदों द्वारा बहिष्कार, आदि आदि आदि अनगिनत उदाहरण दिए जा सकते हैं, जिनमें हिन्दू भावनाओं को लगातार आहत किया गया | लेकिन किसी हिन्दू ने क़ानून अपने हाथ में लेने के विषय में नहीं सोचा | । तो मुस्लिम समाज को किसने यह अधिकार दिया कि वे खुले आम किसी भारतीय नागरिक का सिर काटने वाले के लिए लाखों रुपयों के ईनाम की घोषणा करें ? क्या भारत में इस्लामी शरिया क़ानून लागू होने जा रहा है ? अगर नहीं तो अभी तक इस प्रकार के उन्मादी भाषण देने वालों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया ? क्या यह एक भारतीय नागरिक को जान से मारने की धमकी नहीं है ? इस प्रकार के भाषण देने वालों पर मुक़दमा क्यों नहीं दर्ज होना चाहिए ?

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