शनि शिंगणापुर मंदिर में महिला प्रवेश के पीछे की राजनीति !


आज महाराष्ट्र पुलिस ने शिंगणापुर शनि मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करने पर आमादा महिलाओं के एक समूह को अहमदनगर सीमा के पास सुपा पर रोक दिया | भूमाता रणरंगिनी ब्रिगेड नामक एक संगठन के बेनर तले लगभग 125 महिलाओं के इस समूह का नेतृत्व तृप्ति देसाई कर रही थीं । कतिपय हिन्दू विरोधी मीडिया हाउस इसे प्रार्थना का अधिकार बताकर प्रचारित कर रहे थे | जबकि स्थानीय महिलाओं में इस आयोजन को लेकर तीखी प्रतिक्रिया थी | बड़ी संख्या में आसपास के क्षेत्र से महिलायें ही इस भूमाता रणरंगिनी गिरोह को रोकने के मंसूबे से मंदिर परिसर में एकत्रित थी | इन महिलाओं के तीखे तेवर देखते हुए पुलिस ने ब्रिगेड की महिलाओं को क़ानून व्यवस्था का हवाला देकर मंदिर की ओर जाने से रोका था और वापस जाने के लिए आग्रह किया था । उनकी सलाह न मानने पर भूमाता रणरंगिनी ब्रिगेड की सभी सदस्यों को पुलिस हिरासत में लिया गया ।

स्मरणीय है कि महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित प्राचीन शिंगणापुर शनि मंदिर में पुरुषों और महिला श्रद्धालुओं को भीतरी परिसर में भी बहुत नजदीक से पूजा करने की अनुमति दी जाती है | केवल अंतिम नौ सीढियों पर जाने की मनाही होती है, ताकि कोई भी भक्त शनिदेव की काले पत्थर से निर्मित मूर्ति को स्पर्श न कर पाए ।

शनि मंदिर के प्रबंधकों का कहना है कि सदियों से यही परंपरा चली आ रही है कि केवल चयनित प्रशिक्षित पुरुष पुजारियों के अतिरिक्त किसी को भी भीतरी परिसर प्रवेश की इजाजत नहीं दी जाती ।

इस पारंपरिक प्रणाली को "लैंगिक असमानता” का प्रतीक घोषित कर भूमाता रणरंगिनी ब्रिगेड ने शिंगणापुर शनि मंदिर के भीतरी परिसर 'में प्रवेश करने के लिए 26 जनवरी को आन्दोलन करने की घोषणा की थी ।

अहमदनगर, पुणे और औरंगाबाद से सटे क्षेत्रों की स्थानीय महिला श्रद्धालुओं ने इसे शिंगणापुर शनि मंदिर की सदियों पुरानी परंपरा पर प्रहार माना तथा वे भी " शिंगणापुर धर्म रक्षा समिति” के बैनर तले संगठित हो गईं और मंदिर को अपवित्र करने के किसी भी प्रयत्न का प्रतिरोध करने एकत्रित हो गईं ।

शिंगणापुर शनि मंदिर पर किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए भारी पुलिस बल की व्यवस्था की गई ।

उत्तेजित स्थानीय महिलाओं का सवाल था कि हमेशा हिन्दू मान्यताओं के साथ ही जबरदस्ती क्यों की जाती है | कोई नहीं पूछता कि ईसाई पोप हमेशा पुरुष क्यों होते हैं ? या मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश क्यों नहीं दिया जाता ? भूमाता ब्रिगेड की कट्टरपंथी नेता मस्जिद में जबरन प्रवेश की कोशिश करके बताएं, तब शनि मंदिर का रुख करें । हम यहाँ बिना किसी भेदभाव के प्रार्थना करते हैं और इतना ही नहीं, हमारे यहाँ तो अनेकों देवियाँ भी हैं, फिर हिन्दू समाज पर लैंगिक भेदभाव का आरोप पूर्णतः निराधार ही है । इतना ही नहीं तो हमारे हिन्दू धर्म में तो अनेकों महिला संत भी हैं और धर्म प्रचारक भी हैं | हम हमारी धार्मिक स्थिति में खुश हैं। भारत में हजारों मंदिरों में हिंदू महिलाओं और लड़कियों को किसी भी समस्या के बिना अनुमति दी जाती है । लेकिन यदि शबरीमला या शनि मंदिर में प्रवेश की परंपरा नहीं है तो इसे असमानता नहीं कहा जा सकता । तृप्ति देसाई और उसकी सहयोगियों का मकसद यहाँ श्रद्धा से पूजा करना नहीं है, ये लोग केवल हिंदुओं को बदनाम करने की मुहीम के मोहरे हैं और हिन्दू समाज को परेशान करना भर इनका मकसद है । हम इसके बारे में गंभीर हैं और किसी भी कीमत पर देसाई या उसके ब्रिगेड के खतरे पर अंकुश लगाने को सन्नद्ध हैं । 

यहाँ यह उल्लेख करना भी प्रासंगिक होगा कि तृप्ति देसाई इण्डिया अगेंस्ट करप्शन से सम्बद्ध रही हैं | स्पष्ट ही उनकी दिलचस्पी शनिदेव की पूजा में रत्तीभर भी होने से रही | उनका उद्देश्य केवल प्रचार पाना भर है  |

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