राजनीति के इस धसान में गधे पंजीरी खाएं !
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दिल्ली के स्वनामधन्य अति ईमानदार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने हाथों जाला बुनते हैं, उसमें फंसते हैं और फिर मोदी मोदी कहकर सर धुनते हैं ! अन्ना आन्दोलन में जिस राजनीति को कोसते थे वे आज उसके परिपूर्ण मूर्तिमंत स्वरुप बन गए हैं !
अब दिल्ली के बाद उनकी अगली मंजिल पंजाब है, सो जैसे ही जैसे ही कांग्रेस पार्टी में यह चर्चा चली की शीला दीक्षित को पंजाब का प्रभारी बनाया जा सकता है, उन्होंने बहुत होशियारी से शीला दीक्षित को फंसाने की कोशिश की । उन्होंने चार सौ करोड़ रुपए के वाटर टैंकर घोटाले का मामला निकाला और केंद्र सरकार को चिट्ठी लिख दी। केजरीवाल की सरकार ने उप राज्यपाल नजीब जंग को भी चिट्ठी लिख कर इस घोटाले की जांच की मांग कर दी । बस यहीं से मामला उल्टापुल्टा हो गया !
शीला दीक्षित उनसे कहीं बड़ी राजनीतिज्ञ निकलीं ! उन्होंने केजरीवाल जी के उलटे बांस बरेली को लाद दिए, दो कदम आगे चलकर केजरीवाल को ही फंसाने का प्लॉट तैयार कर दिया । जब दिल्ली सरकार ने शीला दीक्षित के खिलाफ चिट्ठी लिखी, उसी समय उन्होंने कहा कि अगर इस काम में घोटाला हुआ है तो केजरीवाल की सरकार इसे पिछले डेढ़ साल से क्यों चला रही है।
यह सवाल सोशल मीडिया में भी उठा कि आम आदमी पार्टी चुनाव प्रचार में वाटर टैंकर घोटाले का मामला उठाती थी, लेकिन सरकार में आने के बाद उसे जारी रखा। इस गर्म तवे पर पुलिस ने भी तत्काल कार्रवाई करते हुए इस मामले में न केवल एफआईआर दर्ज कर दी, बल्कि इस एफआईआर में शीला दीक्षित के साथ केजरीवाल का भी नाम है। शीला को आरोपी बनाया गया है और केजरीवाल पर उनको बचाने का आरोप लगा है। अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के मुकेश मीणा चाहते हैं कि शीला दीक्षित और केजरीवाल से पूछताछ हो।
बैसे भी भ्रष्टाचार के दो और मामले केजरीवाल की परेशानी का सबब बने हैं। एप्प आधारित प्रीमियम बस सेवा और एक खास फोरेंसिक लैब को जांच के सारे ठेके दिए जाने का विवाद पहले से चल रहा है। एप्प आधारित प्रीमियम बस सेवा की गड़बड़ियों में ही परिवहन मंत्री रहे गोपाल राय बलि का बकरा बन ही चुके हैं, साथ ही लगता है कि इसमें पूरी सरकार ही मुश्किल में फंसने वाली है । अब उनके पास मोदी मोदी चिल्लाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा !
इसके पूर्व दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से जल बोर्ड और टैंकर घोटाले पर 10 सवाल पूछ कर हमला कर ही चुके हैं । उनके दस सवाल यह थे -
10 जून 2016 को विधानसभा के विशेष सत्र में जब नेता प्रतिपक्ष ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिये टैंकर घोटाले को सदन में पूरी तरह उजागर करना चाहा और उस पर चर्चा की मांग की तो मुख्यमंत्री चर्चा से क्यों भागे ?
पिछले वर्ष 28 अगस्त 2015 को जल मंत्री कपिल मिश्रा ने टैंकर घोटाले की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट सोंपी, उसके बाद अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कराई?
मुख्य मंत्री ने टैंकर घोटाले में शामिल किसी भी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की?
इसी तरह टैंकर घोटाले में शामिल कंपनियों के खिलाफ भी कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?
जल बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार दूर करने के लिए मुख्यमंत्री ने क्या किया ?
टैंकर घोटाले की रिपोर्ट को 11 माह तक क्यों दबाए रखा?
शीला दीक्षित और आप सरकार के बीच टैंकर घोटाले में भ्रष्टाचार जारी रखने का सूत्रधार कौन है?
मुख्यमंत्री ने कहा था कि वे जल बोर्ड में टेंकर व्यवस्था समाप्त कर देंगे, क्योंकि इसमें भ्रष्टाचार होता है !
टैंकर व्यवस्था समाप्त करने के लिए उन्होंने क्या किया?
मुख्यमंत्री बतायें कि उन्होंने कितनी कॉलोनियों में पाइपलाइन के जरिये जल बोर्ड का पानी पहुंचाया ?
आम आदमी पार्टी ने कहा था कि जल बोर्ड का कभी भी निजीकरण नहीं किया जाएगा | फिर भी आउट सोर्स के नाम पर जल बोर्ड का निजीकरण क्यों किया जा रहा है?
कुल मिलाकर यह तो साफ़ है कि राजनीति बदलने के नाम पर सत्ता में आये (????) इस आपाधापी में भ्रष्टाचारी गधों को मजे से पंजीरी परोस रहे हैं ! आखिर शीला जी की बात में दम तो है कि डेढ़ साल वही भ्रष्ट व्यवस्था चली तो दोषी तो “आप” भी हुए न ?
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