भारतीय राजनीति पर विदेशियों की काली छाया !



कांग्रेस ने आगामी 2019 के लोकसभा चुनावों में अपने प्रचार को तीखा और प्रभावी बनाने के लिए जिस कंपनी को चुना है, उसका नाम है कैम्ब्रिज एनालिटिका | यह वही कम्पनी है, जिस पर फेसबुक से लोगों की निजी जानकारी को चोरी करने का और फिर उसके उपयोग द्वारा राजनीति को प्रभावित करने का आरोप लगा है | फेसबुक ने यह तथ्य सामने आने के बाद इस कम्पनी को अपने डाटा तक पहुचने के लिए प्रतिबंधित कर दिया । सामान्य भाषा में कहें तो ब्लाक कर दिया । इसका सीधा सा अर्थ है कि फेसबुक ने आरोप को गंभीर और सत्य माना है | 

रिपब्लिक टीवी ने यह तथ्य भी उजागर किया है कि वर्ष 2017 में 8 शीर्ष राजनीतिक नेताओं की कैम्ब्रिज एनालिटिका कंपनी के संस्थापकों के साथ भेंट हुई, उसके बाद इन राजनीतिक दलों द्वारा एक गैर सरकारी संगठन बनाया गया, जिसके माध्यम से कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी को आगामी 2019 के चुनावों के लिए रणनीति बनाने व प्रचार अभियान चलाने के लिए 800 करोड़ रुपये दिए जाने का सौदा तय हुआ । लेकिन दुर्भाग्य से अब कैम्ब्रिज एनालिटिका, कथित तौर पर डेटा चोरी और अन्य अनैतिक तरीकों द्वारा विश्व भर के चुनावों को प्रभावित करने के चक्रवात में फंस गई है । बेचारे भारतीय राजनेताओं पर सर मुंडाते ही ओले पड़ गए | 

लेकिन इससे भी अधिक चौंकाने वाला जो खुलासा रिपब्लिक टीवी ने किया है, उसने भारतीय राजनीति और मीडिया के काले चेहरे को और भी स्याह कर दिया है | टीवी चेनल के मुताबिक़ कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी द्वारा भारत के लगभग 68 पत्रकार, लेखक, नौकरशाह और फिल्मी हस्तियों को मोदी विरोधी प्रचार के लिए प्रतिमाह दो से पांच लाख रुपये प्रतिमाह भुगतान किया जा रहा है । ये सभी नाम कैंब्रिज एनालिटिका की ईमेल सूची से सामने आये हैं । 

लेकिन वह कांग्रेस ही क्या जो स्वतः सिद्ध आरोपों से भी इनकार न करे | कांग्रेस ने उलटे भाजपा पर ही तोहमत लगाना शुरू कर दिया । यह अलग बात है कि कभी राहुल गांधी और वाड्रा परिवार के करीबी सहयोगी रहे शहजाद पूनवाला ने ही उनकी हवा निकाल दी | शहजाद ने कहा कि अमरीश त्यागी नामक एक व्यक्ति ओव्लेनो के लिए काम कर रहा था और "राहुल गांधी और टीम के साथ संपर्क में था। ये अमरीश त्यागी और कोई नहीं जेडीयू नेता के सी त्यागी के सुपुत्र है। इसके साथ ही यह तथ्य भी सामने आया है कि कांग्रेस और जेडीयू ने 2015 के बिहार चुनावों के दौरान भी कैम्ब्रिज एनालिटिका की मदद ली थी। शहजाद पूनावाला ने कुछ ऐसे ईमेलों का भी खुलासा किया जिनसे प्रमाणित होता है कि ओव्लेनो और अमरीश त्यागी, 2012 से ही सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ लगातार संपर्क में थे। 

सितंबर 2016 में अमरीश त्यागी ने अमेरिका में कैंब्रिज एनालिटिका के अलेक्जेंडर नीक्स से मुलाकात की थी ... (देखें तस्वीर) 

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को किसी भी प्रकार हराने के लिए किस प्रकार अनेक राजनैतिक दल अन्दर ही अन्दर मिलकर काम कर रहे हैं, इससे यह तथ्य भी सामने आता है | 

इन सब तथ्यों को झुठलाना कांग्रेस के लिए आसान नहीं है कि उसने मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए कैंब्रिज एनालिटिका नामक इस डाटा चोर कंपनी को काम पर रखा है। 

सवाल उठता है कि यह विदेशी कम्पनी किसके लिए डाटा चुरा रही है ? 

जबाब एक ही है - कांग्रेस के लिए | 

यह सामान्य बात नहीं है | भारत की सबसे पुरानी पार्टी होने का दावा करने वाली कांग्रेस, एक विदेशी कंपनी के माध्यम से लाखों भारतीयों की निजी जानकारी चुराकर, न केवल उनकी निजता का अपमान कर रही है, बल्कि उनकी सुरक्षा को भी खतरे में डाल रही है | 

और किस लिए ? 

केवल चुनाव जीतने के लिए । 

यह उचित ही है कि सरकार ने घोषणा की है, कि वह इस मामले की जांच करेगी और अगर कोई पार्टी या कंपनी, लोगों की व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग करने की दोषी पाई गई, तो उन्हें दण्डित किया जाएगा ।

साभार आधार - https://postcard.news/68-journalists-writers-and-bureaucrats-given-2-5-lakh-month-to-write-against-pm-modi-through-cambridge-analytica/
एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें