तिरूपति पर राजनेताओं ने डाला डाका - जागो हिन्दू जागो !



हर हिन्दू मन की इच्छा होती है कि जीवन में कमसेकम एक बार भगवान तिरूपति बालाजी के दर्शन अवश्य करे | हमारे यहाँ उत्तर भारत में अमूमन बाला जी के नाम से हनुमान जी को जाना जाता है | जैसे कि राजस्थान के मशहूर मेहंदीपुर के बाला जी या सालासर बाला जी, जहाँ हनुमान मंदिर हैं | मुझे स्मरण आता है कि एक बार मेरे एक बुजुर्ग रिश्तेदार महोदय ने मुझसे कहा कि कई तीर्थ घूम आया, किन्तु एक बार तिरुपति के हनुमान जी के भी दर्शन करने की इच्छा है | 

यही आम हिन्दू की स्थिति है | आस्था से भरपूर, किन्तु नितांत अनभिज्ञ | कईयों को नहीं मालूम कि तिरूपति की तिरुमला पहाड़ियों पर स्थित भारत का यह सबसे धनी माना जाने वाला भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर है | हम श्रद्धा से दर्शन हेतु जाते हैं, और चुपचाप अपने श्रद्धासुमन अर्पित कर आते हैं, बिना इस बात को जाने कि मंदिर किनका है, इस भव्य मंदिर की व्यवस्था कैसे होती है, कौन करता है, आदि आदि | हिन्दुओं के इसी भोलेपन का लाभ धूर्त राजनेता और चतुर सुजान लोग उठाते हैं | विगत दिनों तिरुपति मंदिर के पूर्व मुख्य पुजारी डॉ. ए.वी. रमन दीक्षितुलु, ने जो खुलासे किये हैं, वे सचमुच चोंकाने वाले हैं | 

लगभग बीस से अधिक वर्षों तक मंदिर की सेवापूजा करने वाले पूर्व पुजारी महोदय ने तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम (टीटीडी) बोर्ड के साथ-साथ आंध्र सरकार को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है। स्मरणीय है कि पुरातन काल से विभिन्न राजाओं और श्रद्धालुओं द्वारा हीरे, मोती, जवाहरात, गहने व नगद धन मंदिर में दान किया जाता रहा है | 1150 ईस्वी के आस-पास मुस्लिम आक्रमण के दौरान मंदिर का यह सम्पूर्ण बेशकीमती खजाना मंदिर की रसोई में गड्ढा कर छुपा दिया गया था | मंदिर के पूर्व मुख्य पुजारी डॉ. ए.वी. रमन का आरोप है कि पहले तो देव स्थान प्रबंधन में सारे कायदे क़ानून नियमों को ताकपर रखकर गैर-हिंदुओं को नियोजित किया गया, तदुपरांत गुपचुप खुदाई कर मंदिर के बहुमूल्य आभूषण चुरा लिए गए | बताया जाता है कि यह मामला अब अदालती कार्यवाही की जद में आ रहा है । देखना यह भी है कि इस मामले के सार्वजनिक होने के बाद और इन गंभीर अनियमितताओं से क्या हिन्दू समाज में कोई जाग्रति की लहर पैदा होगी ? 

पूर्व मुख्य पुजारी का एक और महत्वपूर्ण आरोप है कि मैसूर के पूर्व महाराजा द्वारा दान किया गया दुर्लभ 37.3-कैरेट का हीरा 'राज पिंक', जिसे एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी द्वारा प्रस्तुत सतर्कता रिपोर्ट में तीर्थयात्रियों के द्वारा फेंके गए सिक्कों के कारण टूटा हुआ'घोषित कर दिया गया था, वस्तुतः उसे सोथबी द्वारा नीलाम किया गया था । 

मंदिर निधि का उपयोग अन्य मदों में किये जाने के आरोप तो लम्बे समय से दक्षिण भारत के लगभग हर मंदिर में लगते ही रहे है। मसलन सरकारी अधिकारियों के लिए कार खरीदने अथवा बस टर्मिनलों के निर्माण के लिए भी मंदिर निधि का उपयोग करने के कई आरोप हैं। लेकिन माना जा रहा है कि तिरुमाला में धन और आभूषणों की चोरी का मामला कुछ ज्यादा ही संगीन है । क्योंकि चोल, पल्लव और विजयनगर राजाओं द्वारा, विशेष रूप से महाराजा कृष्णदेव राय द्वारा मंदिर में बेशकीमती आभूषण चढ़ाए जाते रहे थे । 

इन आरोपों को लेकर आंध्र प्रदेश सरकार की प्रतिक्रिया भी संतोषजनक नहीं है। बजाय इसके कि इन आरोपों पर सफाई दी जाती, उपमुख्यमंत्री ने पूर्व मुख्य पुजारी को धमकाने वाला एक बयान जारी किया है । भारत के राजनीतिक दलों की कार्यपद्धति यही है, सिक्यूलरवाद के नाम पर सारे अपराध माफ़ । 

टाईम्स ऑफ़ इण्डिया में प्रकाशित समाचार के अनुसार मंदिर के कार्यकारी अधिकारी ने पेशकश की है कि अगर आगम शास्त्रों की अनुमति हो, तो मंदिर के गहने प्रदर्शित किये जा सकते हैं । यूं तो यह एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन सवाल उठता है कि यह अब तक क्यों नहीं हुआ ? और पूर्व में जो आभूषण चुरा लिए गए, उनका क्या होगा ? 

दूसरी ओर आंध्र सरकार ने इन गडबडियों को सार्वजनिक करने वाले मंदिर के मुख्य पुजारी दीक्षितुलु को दंडित करते हुए बर्खास्त कर दिया है, इससे भी गड़बड़ियों के सही होने की संभावना प्रतीत हो रही है | देशभर में मंदिर के पुजारियों की कोई औपचारिक सेवानिवृत्ति की आयु घोषित नहीं है, अतः यह बर्खास्तगी राजनीतिक बदमाशी के अतिरिक्त कुछ नहीं है | यह सीधे सीधे मुख्य पुजारी को जुबान बंद रखने के लिए धमकाया गया है । किन्तु डॉ रमण दीक्षितुलु ने कानूनी लड़ाई लड़ने की कसम खाई है। अब देखना यह है कि राज्य सरकार कैसे अपनी कार्यवाही को जायज ठहराती है और अपने पर लगे आरोपों की क्या सफाई देती है । 

इन आरोपों ने एक नई बहस को बी जन्म दे दिया है | क्या हिन्दुओं की आस्था चुराई जा रही है ? भारत के हर मंदिर में श्रद्धालू अपनी अपनी क्षमता के अनुरूप धन और आभूषण चढाते हैं, किन्तु उस संपत्ति के रखरखाव व सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है । इस चढोतरी की बात तोजाने दें, नियमित रूप से भारत में बहुमूल्य देव प्रतिमाओं की भी चोरी हो रही है और वे अब मंदिरों के स्थान पर विकसित देशों में संग्रहालयों की शोभा बढ़ा रही हैं, या नीलामी की बिक्री सारणी में दिखाई देती हैं। इसे एक सामान्य आपराधिक कृत्य नहीं माना जा सकता | यह हिंदुओं और उनके पवित्र मंदिरों को अपमानित करने की सोची समझी साजिश है, जिसमें विश्व की महाशक्तियों का हाथ होने की भी संभावना है । 

मुस्लिम आक्रमणकारियों के समय से भारत के मंदिरों को लगातार लूटा जाता रहा है । अब भ्रष्टाचार में आखंड डूबे धूर्त और दुष्कर्मी राजनीतिज्ञ यह कार्य कर रहे हैं । देवभूमि भारत में आज अगर इसे नहीं रका जा सका, तो अपने अस्तित्व के संकट से जूझते हिदुत्व के लिए आने वाला समय और भी बुरा सिद्ध होने वाला है । 

तिरुमाला में हुआ घोटालों का खुलासा घोटाला, एक प्रकार से हिंदुओं के लिए एक जागरूकता सन्देश है | जागो हिन्दू जागो | सैकड़ों वर्षों से लुटते पिटते आ रहे हम, क्या इस स्वतंत्र भारत में भी अपने धर्म का पालन करने हेतु स्वतंत्र नहीं हैं ? अपने ही देश में हम आज भी अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे है। 

भारत की मूल समस्या यह है कि यहां राजनीति से जुड़े तबके के विरुद्ध जब भी कोई आरोप सामने आता है, तब गठित होने वाला जाँच आयोग, अपराधियों को दण्डित करने के स्थान पर उन्हें बचाने के साक्ष्य ढूँढने के प्रयत्न अधिक करता है | यहाँ निष्पक्ष जांच लगभग नहीं होती और जन मानस में संदेह कायम रहता है । इसलिए यह आवश्यक है कि इस प्रकरण में जांच के निष्कर्ष तुरंत सार्वजनिक किये जाएँ और यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो दोषी दण्डित किये जाएँ | ऐसे मामलों में दोषी निश्चित ही शक्तिशाली और बड़े लोग ही होंगे, क्या क़ानून उनका बाल भी बांका कर पायेगा ? 

लेकिन इन सारे “इफ एंड बट्स” के बाबजूद आशा की किरण बाक़ी है | डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने इन वित्तीय अनियमितताओं को रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ साथ मंदिरों का नियंत्रण सरकार के स्थान पर धार्मिक समुदाय को सोंपने की मांग की है । 

21 मई 2014 को डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर मांग की है कि तिरूपति तिरूमला देवस्थानम ट्रस्ट द्वारा मंदिर निधि के वित्तीय दुरूपयोग की में न्यायालय की निगरानी में सीबीआई जांच करवाई जाए । उन्होंने मुख्य पुजारी को अवैध रूप से बर्खास्त करने को लेकर भी सवाल उठाये हैं । डॉ, स्वामी जब किसी मामले में पीछे पड़ते हैं, तो उसे निबटा कर ही मानते हैं, अतः माना जा सकता है कि तिरूपति तिरूमला देवस्थानम ट्रस्ट के सर पर विपत्ति के बादल मंडरा रहे हैं । 

निश्चय ही इस घोटाले की गूँज उच्चतम न्यायालय तक जायेगी और संभवतः भविष्य में भारत के सभी मंदिरों के प्रबंधन की कोई सुविचारित नीति भी बन जाए । तिरुमाला घोटाले ने यह साबित किया है कि बर्बर और स्वार्थान्ध राजनेताओं की नजर में भगवान की भी कोई अहमियत नहीं है | हिंदुओं को अपनी धार्मिक आजादी बचानी है, तो सदैव सतर्क रहना होगा । 

साभार आधार - http://vsktelangana.org/the-scandal-unfolding-in-tirumala-hills-has-a-larger-message-for-all-hindus/

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1 टिप्पणियाँ

  1. सचमुच आस्था पर आघात है मंदिरों के ट्रस्ट की पोल खोलती जन जागरण का आह्वान करती पोस्ट

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