ये क्या चलने लगा देश में ? “हिन्दू तालिबान” नहीं पूरी तरह तालिबान में बदलने की हो रही है साजिश !



जरा कुछ समाचारों पर गौर फरमाएं – 

पहला समाचार - देवरिया में एक प्रधानाध्यापक ने सरकारी प्राथमिक विद्यालय का नाम बदलकर इस्लामिया प्राइमरी स्कूल कर दिया और पाकिस्तान की तर्ज पर शुक्रवार को अवकाश घोषित कर दिया! 
जरा विचार कीजिए कि - समान शिक्षा, समान चिकित्सा, समान नागरिक संहिता और जनसँख्या नियंत्रण कानून यदि तत्काल लागू नहीं हुए तो यह तथाकथित सेकुलरिज्म कब तक बचेगा ?



दूसरा समाचार - UP की एक मस्जिद से आया फरमान - "टुकड़े टुकड़े में काटना है पुलिस वालों को " 

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले की एक मस्जिद में हुई मुस्लिमों की पंचायत में खुला फरमान जारी हुआ उत्तर प्रदेश पुलिस के जांबाजो की हत्या का । सबसे बड़ी हैरानी की बात है कि ये फरमान योगी आदित्यनाथ के शासन में दिया जा रहा है । 
वहां मौजूद उन्मादियो के भाषण को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कि वो तालिबानियों की कोई बैठक हो और उसकी अध्यक्षता कोई दुर्दांत आतंकी कर रहा हो । ये मामला है बागपत जिले के बडौत कोतवाली क्षेत्र के सारा बखेड़ा का । शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद भरी पंचायत में ऐलान किया गया कि अगर उनके अनुसार पुलिस ने कार्यवाही नही की तो वो पुलिस क्षेत्राधिकारी बड़ौत को मार कर उनके शरीर के टुकड़े- टुकड़े कर देंगे। 



तीसरा समाचार – एक सामान्य सी बात है कि जब कोई मुसलमान किसी हिन्दू को आदाब या अस्सलाम बालेकुम कहकर अभिवादन करता है, तो हिन्दू उसे नमस्कार या जय श्री राम कह देता है | किन्तु यही सामान्य प्रक्रिया पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के एक विद्यालय में आफत बन गई | ख़ास बात यह कि मुस्लिम छात्रों के अस्सलाम वालेकुम का जबाब जय श्री राम देने पर आपत्ति मुस्लिम छात्रों को नहीं, वहां के मुस्लिम प्रधानाचार्य अफीकुल आलम को हुई और उसने इन छात्रों – शोवन, अनिरुद्ध, सोमनाथ और विक्रम को इतनी बेरहमी से पीटा कि उन्हें अस्पताल में भरती करना पड़ा | शोवन को तो इतना मारा गया कि वह छडी ही टूट गई, जिससे पिटाई लगाई जा रही थी | 

ख़ास बात यह है कि जिस “शक्तिपुर कुमार महिमचंद्र इंस्टीटयूट” में यह घटना हुई, उसके लिए 1905 में भूमि एक हिन्दू ने ही दान दी थी | किन्तु समय के साथ आज वहां पूरी तरह मुस्लिम परस्त माहौल बन गया है | घटना की रिपोर्ट शक्तिपुर पुलिस स्टेशन में की गई, किन्तु प्रधानाचार्य की गिरफ्तारी आज तीन दिन बाद भी नहीं हुई | छात्रों के साथ ऐसी ही मारपीट अगर किसी हिन्दू अध्यापक ने की होती, तो शायद पूरे देश का मीडिया हाय तौबा मचाने लगता | 

उक्त तीन समाचार तो महज बानगी हैं | वह भी तब, जब देश में सेक्यूलर सरकार नहीं है | अगर सेक्यूलर सरकार होती, तो नजारा क्या होता इसकी सहज कल्पना की जा सकती है | यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि थरूर जैसे नेता इसके बाद भी “हिन्दू तालिबान” जैसे शब्द प्रयोग कर सहिष्णु हिन्दुओं को इन जिहादी तत्वों की बराबरी पर रखते दिखाई देते हैं | यह एक प्रकार से इन अतिवादियों का परोक्ष समर्थन ही है | 

जागो भारत जागो ! जिहादियों और उनके समर्थक सेक्यूलरों के मंसूबे अगर कामयाब हुए, तो क्या होगा, सोचकर ही दहशत होती है !
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1 टिप्पणियाँ

  1. सच है पर राेक कैसे लगे?क्या उन्हीं की तरह बन जायें?मूल प्रश्न यही है।

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