कार्पोरेट जासूसी काण्ड की परतें

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नई दिल्ली: कथित तौर पर आगामी वित्त मंत्री के बजट भाषण सहित अनेक महत्वपूर्ण दस्तावेज लीक होने संबंधी सनसनीखेज कॉर्पोरेट जासूसी कांड के सम्पूर्ण घटनाचक्र का विवरण इस प्रकार है - 
कार्यवाही के पीछे का कारण -
महत्वपूर्ण मंत्रालयों में कॉर्पोरेट जासूसी पर जो व्यापक कारवाई हुई है, वह विगत चार माह से खुफिया एजेंसियों द्वारा की जा रही जांच का परिणाम है | राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल को इसका आभास मीडिया में लगातार हो रही रिपोर्टिंग से लगा | मंत्रालयों की आतंरिक सूचनाये उनमें छप रही थीं | उनके इशारे पर खुफिया एजेंसियों द्वारा यह जांच प्रारम्भ की गई ।
और जांच प्रारम्भ हुई -
जांच के प्रारम्भिक दौर में सुरक्षा एजेंसियों को ज्ञात हुआ कि पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के कार्यालय में पदस्थ चपरासी आशाराम इस रेकेट का मुख्य किरदार है | इसके बाद मंत्रालयों और अन्य सरकारी विभागों को सतर्क कर दिया गया और उनकी सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी देने को कहा गया । जांच शुरू होने के बाद गृह मंत्रालय से स्वीकृति लेकर दर्जनों फोन कॉल रिकॉर्ड किये गए | परिणाम स्वरुप अब जांच एजेंसियों के पास आरोपियों के विरुद्ध पुख्ता सबूत के रूप में लगभग सौ घंटे की कॉल रिकॉर्डिंग मौजूद है ।
अंत में, इन समस्त ठोस सुरागों और सबूतों की जानकारी मंत्रियों और अधिकारियों को दी गई । एनएसए को भी प्राप्त सफलता के विषय में सूचित किया गया और प्रधानमंत्री को भी अवगत कराया गया । और उसके बाद दिल्ली पुलिस आयुक्त बी एस बस्सी ने कमान संभाली और उन्हें कार्रवाई शुरू करने के लिए कहा गया। विचार विमर्श के बाद प्रकरण अपराध शाखा को सौंपा गया । एजेंसियों ने कॉल डिटेल के विश्लेषण, फोटो, फोन नंबर और संदिग्धों के पते सहित महत्वपूर्ण सबूत पुलिस को सौंप दिये ।
19 फ़रवरी को पहली गिरफ्तारी हुई -
कथित तौर पर आर्थिक लाभ के लिए ऊर्जा कंपनियों को महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज लीक करने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने 19 फरवरी को तेल मंत्रालय के दो कर्मचारियों, आशाराम और ईश्वर सिंह के साथ रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के एक कर्मचारी और दो अन्य बिचौलियों को गिरफ्तार कर लिया, जिनकी लालता प्रसाद (36), राकेश कुमार (30) और राज कुमार चौबे (39) के रूप में पहचान की गई।
इन लोगों की गिरफ्तारी के बाद कई प्रतिष्ठानों पर छापे मारे गए । 
पत्रकारों को मामले की जानकारी देते हुए दिल्ली के पुलिस आयुक्त बी एस बस्सी ने बताया कि पेट्रोलियम मंत्रालय और अन्य कार्यालयों में सरकारी दस्तावेज चुराने की जानकारी मिलने पर 17 फरवरी की रात्रि में एक जाल बिछाया गया | तीन व्यक्ति शास्त्री भवन के पास एक इंडिगो कार में आये, जिनमें से दो व्यक्ति उतर कर मंत्रालय में अन्दर चले गये व तीसरा कार में बैठा रहा | लगभग दो घंटे बाद जब अन्दर गए दोनों व्यक्ति वापस आये, तब तीनों गिरफ्तार किया गया ।
20 फ़रवरी को दो ऊर्जा सलाहकार गिरफ्तार हुए -
दिल्ली पुलिस ने 20 फरवरी को पेट्रोलियम मंत्रालय से वर्गीकृत दस्तावेजों के लीक के सिलसिले में दो ऊर्जा सलाहकारों, प्रयास जैन और शांतनु सैकिया को गिरफ्तार कर लिया।
सैकिया पूर्व पत्रकार रह चुका है तथा पेट्रोलियम मुद्दों पर एक वेब पोर्टल चलाता है और डिफेंस कॉलोनी में उसका कार्यालय है | जबकि दूसरा प्रयास जैन पटेल नगर में एक परामर्श फर्म चलाता है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार आरोपी कथित तौर पर डुप्लीकेट चाबियों का उपयोग कर रात के समय वरिष्ठ अधिकारियों के कमरों में जाते थे । इनमें कुछ निर्देशकों के कमरों के अलावा संयुक्त सचिव (रिफाइनरीज) और संयुक्त सचिव (अन्वेषण), के कमरे शामिल थे। उनके कब्जे से उन चाबियों का गुच्छा बरामद कर लिया गया है ।
पेट्रोलियम मंत्रालय से दस्तावेज लीक मामले में आरोपी चार लोगों को अदालत ने 23 फ़रवरी तक की पुलिस हिरासत में भेज दिया है । दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट संजय खंगवाल से लालता प्रसाद, राकेश कुमार, प्रयास जैन और शांतनु सैकिया से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता जताई थी ।
पुलिस ने आरोपियों पर कोयला, पावर और अन्य मंत्रालयों से महत्वपूर्ण दस्तावेज चुराकर कुछ खास कॉर्पोरेट घरानों को देने संबंधी आरोप लगाए हैं तथा उक्त दस्तावेज उनके कब्जे से बरामद भी किए हैं ।
अन्य आरोपियों में से तीन ईश्वर सिंह, आशाराम और राजकुमार चौबे को पुलिस ने हिरासत में पूछताछ के लिए आवश्यक नहीं माना अतः वे दो सप्ताह की न्यायिक हिरासत में भेज दिये गए ।
शीर्ष ऊर्जा कंपनियों के 5 अधिकारियों को गिरफ्तार किया
शुक्रवार शाम को अपराध शाखा ने भारत के शीर्ष निजी ऊर्जा कंपनियों -Reliance इंडस्ट्रीज, एस्सार, केर्न्स भारत, रिलायंस एडीएजी और जुबिलेंट एनर्जी के पांच वरिष्ठ अधिकारियों को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार किए गए अधिकारियों के नाम हैं - शैलेश सक्सेना, प्रबंधक, कॉर्पोरेट अफेयर्स, आरआईएल; विनय कुमार, उप महाप्रबंधक, एस्सार; सुभाष चंद्र, वरिष्ठ कार्यकारी, जुबिलेंट एनर्जी; केके नाइक, जीएम, केर्न्स भारत और ऋषि आनंद, डीजीएम, रिलायंस एडीएजी।
संयुक्त आयुक्त (अपराध) रवींद्र यादव ने इन गिरफ्तारियों की पुष्टि की है, लेकिन इन अधिकारियों ने कथित तौर पर रैकेट में निभाई गई भूमिका पर प्रकाश डालने से इनकार कर दिया। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि इन अधिकारियों को चुराये गए दस्तावेज खरीदने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है ।
शास्त्री भवन में मंत्रालय के सात कमरों को भी सील कर दिया गया है।
21 फ़रवरी को भी जारी रहे पुलिस छापे -
शनिवार को पुलिस ने प्रशांत जैन और वरिष्ठ कार्यकारी, जुबिलेंट एनर्जी सुभाष चंद्र के नोएडा स्थित कार्यालय पर छापा मारा। पुलिस अधिकारियों ने चंद्रा के कार्यालय और कुछ अन्य स्थानों पर चुराए गए दस्तावेजों की खोजबीन की । उन्होंने शैलेश सक्सेना, प्रबंधक, कॉर्पोरेट अफेयर्स, आरआईएल के कब्जे से "राष्ट्रीय महत्व और सुरक्षा" से संबंधित कुछ दस्तावेज भी जब्त किये ।
एक अधिकारी ने बताया कि जब्त किये गए सभी दस्तावेज "संवेदनशील" और अति महत्व के हैं ।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने संवाददाताओं से कहा है कि कोई भी दोषी व्यक्ति बख्शा नहीं जाएगा और अपराधियों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही की जायेगी ।
गिरफ्तार किये गए उक्त पांच कंपनियों के अधिकारियों को स्थानीय अदालत ने 21 फरवरी को पूछताछ के लिए तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया । 

एक नाटकीय घटनाक्रम में गिरफ्तार किए गए पूर्व पत्रकार शांतनु सैकिया ने अपराध शाखा के कार्यालय के बाहर संवाददाताओं से कहा कि वह एक 10,000 करोड़ रुपये के घोटाले पर काम कर रहा था, इसलिए उसे फंसाया गया है |

कुल मिलाकर इस घटनाचक्र से यह तो साफ है कि बड़ी कम्पनियां किस प्रकार अपने लाभ के लिए किस स्तर तक गिर सकती हैं | सरकारी नीतियों और गतिविधियों की जानकारी पहले प्राप्त कर अधिक पैसा बनाना ही इसके पीछे का उद्देश्य रहता होगा | यह तथ्य भले ही आज उजागर हुआ हो, किन्तु निश्चय ही यह कार्य लम्बे समय से चलता रहा होगा | 

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल की सक्रियता को सलाम, जिन्होंने पर्दा उठाकर भविष्य में इस प्रकार की गतिविधियों पर अंकुश लगाने कि संभावना उत्पन्न की |

गुप्तचर ब्यूरो के पूर्व प्रमुख अजित कुमार डोभाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं | 1968 बैच के अवकाश प्राप्त आईपीएस अधिकारी डोभाल ख़ुफ़िया जगत में कार्रवाई करने वाले सबसे तेज अधिकारियों में से एक माने जाते हैं | वर्ष 1989 में डोभाल ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से चरमपंथियों को निकालने के लिए 'आपरेशन ब्लैक थंडर' के तहत पंजाब पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के साथ मिलकर खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों के दल का नेतृत्व किया था |
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का मुख्य कार्यकारी होता है और उसका मुख्य काम प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सलाह देना होता है |

आधार - टाइम्स ऑफ़ इंडिया 
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