अद्भुत बिहार - मेरी नजर से

बिहार में इस वर्ष पुनः चुनाव हैं | 2010 में संपन्न पिछले चुनाव में मुझे वहां कुछ समय रहने का अवसर मिला था | आज जबकि बिहार एक बार फिर चर्चा में है, मेरी आँखों के आगे बिहार के संस्मरण तैरने लगे |

२९ सितम्बर २०१०, पूरे देश मैं तनाव और आंशिक दहसत | आखिर राम जन्म भूमि प्रकरण में न्यायालय का फैसला जो आने वाला था | पटना बस स्टेंड पर मोतीहारी जाने वाली बस का समय था दोपहर एक बजे , लेकिन बस में एकमात्र सवारी मैं स्वयं | वेचारे कंडक्टर इस इंतज़ार में कि सवारी कुछ और आ जाएँ तो वह आगे बढे | आखिर २ बजे तक मुजफ्फरपुर की चार सवारी और आईं और बस आगे बढी | मुजफ्फरपुर के बाद तो मैं अकेला ही यात्री रह गया मोतिहारी जाने को | आखिर रात साढ़े नौ बजे मोतिहारी पहुंचा | 

रात भाजपा कार्यालय में गुजारी | राधामोहनसिंह जी ने अपना आवास ही कार्यालय को दिया हुआ था | तो आज मैं सगर्व कह सकता हूँ कि मैंने एक दिन भारत के कृषिमंत्री जी के घर वतौर अतिथि रहने का सौभाग्य प्राप्त किया था | मध्यप्रदेश से चुनाव सहयोगी के रूप में गए कार्यकर्ताओं को दिशा निर्देश देने का कार्य संगठन मंत्री श्री अरविन्द मेनन सम्हाल रहे थे | उन्होंने ही अगले दिन मुझे बताया कि मुझे चुनाव तक चिरैया विधानसभा क्षेत्र में रहना है | राधामोहन जी भी उस समय वहीं बैठे हुए थे | चिरैया का नाम सुनते ही वे मुस्कुरा कर बोले, ये बेचारे चुनाव तक कहाँ टिक पायेंगे, दो चार दिन रहकर वापस आ जायेंगे | जिसे संगठन ने प्रत्यासी बनाया है, वह तो हमें भी कुछ नहीं गिनता | 

खैर मैं इस चुनौती को स्वीकार कर 30 सितम्बर को शाम तक चिरैया पहुँच ही गया | मेरा पहला पड़ाव श्री लालबाबू प्रसाद गुप्ता के यहाँ हुआ | रात को तो दाल रोटी गृहण कर गुप्ता जी के दालान में विश्राम के नाम पर करवटें बदलीं | किन्तु सुबह का दिलकश नजारा देखकर मन प्रसन्न हो गया | जहाँ तक नजरें जाती थीं, कुहरे की चादर में लिपटे हरे भरे खेत | सितम्बर में कोहरा देखना मेरे लिए एक नवीन अनुभव था | 

दूसरे दिन मेरी भेंट पहली बार भाजपा प्रत्यासी अवनीश सिंह जी से हुई | दसों उँगलियों में मोटी मोटी रत्न जटित अंगूठियाँ, एक हाथ में सोने का कड़ा, गले में भी स्वर्ण की मोटी चैन | मुझे लगा कि कम से कम आधा किलो सोने का बजन तो उनका शरीर अवश्य ही झेल रहा होगा | उनके सामने अनेक कार्यकर्ता खड़े हुए थे, मैंने स्वयं को सौभाग्यशाली माना, जब उन्होंने मुझे बैठने को कहा | 

दयानतदारी दिखाते हुए उन्होंने कहा कि शर्मा जी यह इलाका रणवीर सेना का है, इसलिए बेहतर होगा, कि आप अकेले कहीं न जाएँ | एक बुजुर्ग कार्यकर्ता तिवारी जी की उन्होंने ड्यूटी लगा दी कि वे मेरे साथ साए की तरह रहें | सवाल उठा कि मैं रहूँगा कहाँ ? अवनीश जी ने कहा, शर्माजी यहाँ की गुटबाजी को देखते हुए, किसी कार्यकर्ता के यहाँ रहने की राय तो मैं नहीं दूंगा | विधानसभा भले ही चिरैया है, लेकिन आप ढाका में रहकर ही चुनाव का काम सम्हालें | वहां से सम्पूर्ण विधानसभा तक आपकी पहुँच रहेगी | 

मुझे तो उनकी व्यवस्था माननी ही थी | तिवारी जी के साथ ढाका पहुंचा | कुछ कार्यकर्ताओं से भेंट हुई | उनकी तरफ से घरों में ही रुकने का आग्रह भी हुआ, किन्तु मैंने सविनय मना ही किया | अंततः मुझे एक पुरानी धर्मशाला में ठहरा दिया गया | धर्मशाला कुछ वर्ष पूर्व अग्निकांड का शिकार होकर उजाड़ पड़ी थी | ऊपर की मंजिल का एक कमरा मेरे लिए खोल दिया गया | दिन तो सबसे मिलते जुलते बीत गया, पर रात को जब धर्मशाला के कमरे में पहुंचा तो मालूम हुआ जैसे मैं अतिक्रामक हूँ | कमरे के मूल निवासी तो छिपकली और काक्रोच थे | किसी एक कमरे में इतने ये प्राणी, इसके पूर्व मैंने कभी नहीं देखे थे | हहह्हा 

सामाजिक जीवन का यही तो आनंद है, मानकर उसी कमरे में पूरे एक माह रहा | मेरे परिश्रम से अभिभूत अवनीश सिंह जी के परिवार ने विदा देते समय पांच कपडे भेंट किये, स्वयं गृहस्वामिनी ने अपने करकमलों से परोस कर मुझे भोजन कराया | मोतीहारी तक जीप से छोड़ने गए तिवारी जी ने भी अश्रुपूरित नयनों से मुझे विदाई दी | मोतीहारी में एक बार फिर राधामोहन जी से भेंट हुई | उन्हें मेरे अनुभव सुनकर आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता हुई | 

यूं तो २९ सितम्बर से २२ अक्टोबर तक बहुत से नए मित्र बने किन्तु मुझे सबसे अधिक प्रभावित किया श्री सत्य नारायण बैठा ने | जनता दल यू के महादलित प्रकोष्ठ के चिरैया प्रखंड अध्यक्ष श्री बैठा इंटर तक शिक्षित हैं | लेकिन मुझे प्रभावित किया उनके आचार व्यवहार ने , उनके पठन पाठन ने | महादलित समाज के व्यक्ति किन्तु शुद्ध शाकाहारी और निर्व्यसनी | शराब तो दूर खैनी तम्बाकू से भी कोई वास्ता नहीं | जिस क्षेत्र में मैं था वहां ब्राह्मण भी मांसाहार वा मछली का प्रयोग बहुतायत से करते मुझे मिले, किन्तु श्री बैठा तो अलग ही दुनिया के जीव है | उनकी पत्नी और बच्चे भी शुद्ध शाकाहारी | ना केवल रामायण एवं गीता उनके पूजा के स्थान पर सादर स्थित है वरन स्वामी दयानंद जी का सत्यार्थ प्रकाश भी वहां है | ये केवल दिखावा नहीं था | बैठा नियमित उनका स्वाध्याय भी करते हैं और अन्य लोगों के साथ अपनी भोजपुरी भाषा में उसे शेअर भी करते हैं | संघर्ष शील और जुझारू भी है बैठा जी | मेरे सामने ही वे प्रयत्न शील थे एक यादव दबंग से एक गरीब ब्राह्मण को बचाने के लिए , जो उसकी फसल काटने के फेर में था | मैं तो उनकी सात्विकता और धार्मिक आचरण का लोहा मान गया | 

मैं तो शिवपुरी लौट आया, बाद में ज्ञात हुआ कि अवनीश सिंह लगभग 15 हजार वोटों से विजई हुए | उनका धन्यवाद का फोन भी आया | हालांकि वे बाद में भाजपा छोड़कर जनता दल यू में शामिल हो गए और पिछला लोकसभा चुनाव लड़कर परास्त हुए | 

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