विदेशी धर्म माफिया की भारत के गरीबों पर गिद्ध दृष्टि - NGO और FCRA का काला सच |

FCRA માટે છબી પરિણામ

विदेशी अंशदान (नियामक) अधिनियम (एफसीआरए) मोटे तौर पर एक ऐसा तंत्र है जिसके माध्यम से विभिन्न संगठन शैक्षिक, धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक कार्यों के लिए विदेशी धन प्राप्त करते हैं | 

सरकारी और गैर-सरकारी संगठन दोनों गृह मंत्रालय में स्वयं को रजिस्टर करा कर विदेशी धन प्राप्त करने के लिए पात्र हो सकते हैं, किन्तु मुख्यतः एफसीआरए के उपयोग में गैर सरकारी संगठनों का ही बोलबाला है। ज्यादा गंभीर बात यह है कि गैर सरकारी संगठनों का एक बड़ा हिस्सा विशुद्ध रूप से धार्मिक उद्देश्यों के लिए एफसीआरए के माध्यम से धन प्राप्त करता है।  जिसका उपयोग मुख्यतः धर्मांतरण के लिए होता है | 

एक अनुमान के मुताबिक़ गैर सरकारी संगठनों को प्रतिवर्ष भारत में मिलने वाले कुल अनुदान का लगभग 40 प्रतिशत धार्मिक कार्यों के नाम पर होता है । स्वयं को सामाजिक संगठन बताने वाले गैर सरकारी संगठनों में से अधिकाँश धार्मिक कार्यों के लिए विदेशी संगठनों से धन प्राप्त करते हैं । 

1 अक्टूबर 2014 की स्थिति के अनुसार एफसीआरए के तहत पंजीकृत 42,000 संगठनों में से, 10,000 से अधिक ने, साल 2009-10, 2010-11 और 2011-12 के लिए अनिवार्य वित्तीय रिटर्न (जिसे FC-6 फॉर्म कहा जाता है) दाखिल नहीं किया था । जबकि कोई संगठन विदेशी धन प्राप्त न भी करे तो भी उसे यह फॉर्म हर वर्ष जमा करना अनिवार्य होता है | 

इसलिए गृह मंत्रालय की एफसीआरए विंग ने अक्टूबर 2014 के पहले सप्ताह में इन सभी संगठनों को नोटिस जारी किया कि क्यों न उनके पंजीकरण को रद्द कर दिया जाए । पूर्ववर्ती आंध्र प्रदेश (वर्तमान में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना) में रिटर्न दाखिल ना करने वाले गैरसरकारी संगठनों की सर्वाधिक संख्या थी: 1441।

मजेदार बात यह है कि इनमें से 510 संगठनों को भेजे गए पत्र तो अनडिलीवर्ड रहे, जबकि 632 संगठनों ने पत्र प्राप्त होने के बाद भी जबाब देने की जहमत नहीं उठाई | इसका उल्लेख करते हुए गृह मंत्रालय की एफसीआरए विंग ने दिनांक 3 मार्च 2015 को FCRA निरस्त किये जाने का आदेश जारी किया। 

जिन २९९ संगठनों ने जवाब दिया है, गृह मंत्रालय उनकी भी छानबीन कर रहा है | एफसीआरए विंग ने पिछले कई वर्षों से लगातार कानून के स्पष्ट उल्लंघन के चलते आंध्र प्रदेश के 1,142 संगठनों के FCRA रजिस्ट्रेशन रद्द करने के आदेश जारी किये हैं ।

यह निरस्तीकरण आदेश भले ही अभी केवल आंध्र प्रदेश के गैर सरकारी संगठनों से संबंधित है किन्तु आने वाले दिनों में अन्य राज्यों के गैर-सरकारी संगठनों को भी इसी प्रकार के आदेश निकल सकते हैं।

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