जम्मू कश्मीर में राष्ट्र ध्वज या राज्य ध्वज ?

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दो दिन पूर्व जम्मू-कश्मीर सरकार ने सभी संवैधानिक प्राधिकारियों को एक परिपत्र द्वारा निर्देशित किया कि जम्मूकश्मीर राज्य के झंडे को भी राष्ट्रध्वज के समान ही सम्मान दिया जाए | किन्तु इस परिपत्र को सक्षम प्राधिकारी का अनुमोदन प्राप्त न हो पाने के चलते अगले ही दिन वापस लेना पड़ा ।

राज्य सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, "परिपत्र का जो मसौदा 12 मार्च 2015 को जारी किया गया था | उसे जारी करने के पूर्व सक्षम प्राधिकारी का अनुमोदन नहीं लिया गया था, अतः उसे तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया है” |

स्मरणीय है कि उक्त परिपत्र जारी होने के बाद मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को भारी आलोचना का शिकार होना पड़ा था | सरकार ने उन परिस्थितियों की जांच का भी आदेश दिया है, जिनमें यह परिपत्र जारी किया गया |

ऐसा माना जा रहा है कि बजट सत्र प्रारंभ होने के ठीक पूर्व यह कृत्य सहयोगी संगठन भाजपा को नीचा दिखाने के लिए किया गया था | क्योंकि भाजपा का सदैव से नारा रहा है - “एक प्रधान, एक विधान, एक निशान” | भाजपा भारतीय संविधान में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 का भी विरोध करती रही है | 

यहाँ यह भी ध्यान देने योग्य है कि 11 दिसंबर 2013 को एक व्यक्ति ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में एक याचिका प्रस्तुत की है जिसमें मांग की गई है कि जम्मू एवं कश्मीर का गणतंत्र दिवस उस दिन मनाया जाए, जिस दिन राज्य का संविधान अपनाया गया | याचिका में यह भी मांग की गई है कि सभी संवैधानिक अधिकारी गरिमा के साथ अपनी सरकारी कारों, कार्यालयों और इमारतों पर राज्य का ध्वज फहरा कर उसे पूर्ण सम्मान प्रदान करें | 

राज्य सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई जबाब नहीं दिया है | इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दिया है। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा है कि इस संवेदनशील संवैधानिक मामले में किसी भी प्रतिकूल आदेश से बचने के लिए राज्य सरकार शुक्रवार को एक हलफनामा दायर करने वाली है । 

अब देखना यह है कि उस शपथ पत्र में राज्य सरकार क्या रुख अख्तियार करती है | देश का संविधान प्रमुख रहता है या स्टेट ऑनर एक्ट, 1979 ?

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