दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग शायद अब भाजपा कभी नहीं करेगी |
0
टिप्पणियाँ
नई दिल्ली: शुक्रवार को केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि गृह मंत्रालय की अधिसूचना राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शक्तियों के आवंटन पर उत्पन्न सभी भ्रमों को दूर कर अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को कुशलता से शहर को चलाने में मदद करेगी।
एक संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह भी स्पष्ट किया कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच शक्तियों का वितरण एक राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि एक संवैधानिक मुद्दा है ।
स्मरणीय है कि राजपत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया था कि सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि के साथ जुड़े मामलों पर निर्णय लेने का अधिकार क्षेत्र उपराज्यपाल का होगा और वह अपने विवेक का उपयोग करते हुए जब भी आवश्यक समझेंगे मुख्यमंत्री के साथ परामर्श करेंगे ।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि पिछले सप्ताह मुख्य सचिव और वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट शकुंतला गम्लिन की नियुक्ति को लेकर सत्तारूढ़ आप और लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग के बीच तीखा वाग्युद्ध शुरू हो गया था | उसी पृष्ठभूमि में यह अधिसूचना जारी हुई है ।
किन्तु केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार परोक्ष रूप से उपराज्यपाल जंग की मदद से दिल्ली को संचालित करने का प्रयत्न कर रही है और उन्होंने इस सम्पूर्ण प्रकरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप की मांग की ।
जेटली ने कहा कि संविधान के अनुसार दिल्ली का प्रशासनिक ढांचा अनुच्छेद 239 ए.ए. के अनुसार संचालित होता है | जिसमें बहुत से अधिकार दिल्ली की निर्वाचित सरकार के हाथों में होते हैं तो कुछ शक्तियां केंद्र सरकार के अधीन होती हैं । राजपत्र में जारी अधिसूचना में उसे ही स्पष्ट किया गया है | न केवल दिल्ली बल्कि केंद्र शासित चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली, पुडुचेरी आदि के साथ अरुणाचल प्रदेश, गोआ और मिजोरम जैसे प्रदेश में भी सामान्यतः आईएएस और आईपीएस की नियुक्ति गृह मंत्रालय के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा ही होती है | यही स्थति DANICS और DANIPS अधिकारियों की भी है ।
आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि एक ओर तो केजरीवाल प्रधान मंत्री के हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर छुटभैये आपिये उक्त संवैधानिक मसले को तूल देकर प्रधानमंत्री पर तानाशाह होने का आरोप लगा रहे हैं | यहाँ तक कि उन पर थूकने और मूतने जैसी विकृत इच्छाएं प्रगट करती हुई टिप्पणियाँ कर रहे हैं |
क्या देश की राजधानी और उसकी सुरक्षा इन आपियों के हाथों में सोंपी जा सकती है ? दिल्ली में अराजकता सम्पूर्ण देश को प्रभावित कर सकती है, अतः वहां केंद्र का नियंत्रण रहना आवश्यक है | यह बात दूसरी है कि जनसंघ के समय से भाजपा दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग करती आ रही थी, किन्तु सत्ता में आने के बाद अब शायद उसे वस्तुस्थिति समझ में आ गई होगी |
Tags :
समाचार समीक्षा
एक टिप्पणी भेजें