पाकिस्तान के कब्जे वाले पख्तूनिस्तान का इतिहास |



अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा पर स्थित पख्तूनिस्तान लगातार पाकिस्तान से अलग होने की जद्दोजहद कर रहा है | संसार की सबसे खूंखार और लड़ाकू कौम माने जाने वाले पठान आज पाकिस्तान की बजाय अफगानिस्तान से अधिक नजदीकी मानते हैं | उन्हें लगता है कि पाकिस्तान में केवल पंजाबियों की ही हुकूमत है | भारत को इस स्थिति का बेहतर इस्तेमाल करना ही चाहिए | 1947 में हुए विभाजन के समय जो जनमत संग्रह हुआ था, उसका इन लोगों ने यह कहकर बायकोट किया था कि यह जनमत संग्रह भारत या पाकिस्तान में रहने को लेकर है | हम लोग पाकिस्तान के साथ तो रहना नहीं चाहते लेकिन भारत से हमारी सीमाएं नहीं मिलतीं, अतः भारत से जुड़ नहीं सकते | अतः हमें या तो स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया जाए अथवा अफगानिस्तान के साथ जोड़ा जाए | यह संभव हुआ नहीं और इन्हें पाकिस्तान के साथ नत्थी कर दिया गया | 

हालांकि यह भी एक तथ्य है कि स्वतंत्रता के बाद भारत पर पहला आक्रमण यहाँ के कबायलियों द्वारा ही करवाया था | आज भी तालिबानी अतिवादी ताकतें यहाँ पर्याप्त हैं | फिर भी इनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी इन्हें पाकिस्तान से प्रथक करती है -

एक समय था जब यह इलाका आर्य सभ्यता की लीला भूमि था | फिर इस देश में बौद्ध मत का युग प्रारम्भ हुआ | आज भी गौतम बुद्ध की दो भव्य और विराट मूर्तियाँ बामियान में मौजूद हैं, जो संसार भर में महात्मा बुद्ध की सबसे बड़ी मूर्तियाँ हैं | इन मूर्तियों के चारों ओर स्थान स्थान पर गुफाएं या गुहा मंदिर बने हैं, जहाँ बौद्धधर्म के साधक, भिक्षु, आध्यात्मिक गुरू और शिष्य रहा करते थे |

बामियान के अतिरिक्त जलालाबाद के निकट बौद्धधर्म का महान विश्वविद्यालय था, जिसके भग्नावशेष अभी तक मौजूद हैं | यही महिमा तक्षशिला (टेक्सिला) को प्राप्त थी | इन स्थानों पर पाए गए तक्षण शिल्प, मूर्तिकला, वास्तुकला के नमूनों से ज्ञात होता है कि उस समय पठान लोग एक उत्कृष्ट सभ्यता और समुन्नत संस्कृति के धनी थे | संक्षेप में पठानों का यह देश जो इस समय अफगानिस्तान या पख्तूनिस्तान के नाम से प्रसिद्ध है, मानव जाति के एक महान कुल की लीला भूमि रह चुका था |

कई इतिहासकारों का मानना है कि इस देश की आमू नदी के किनारे ही आर्य सभ्यता ने अपनी आँखें खोलीं | पहाड़ों से घिरा हुआ यही देश “आर्याना बेजो” था | यहीं दुनिया के पहले पैगम्बर “जरथुस्त” पैदा हुए, जो बाद में ईरान चले गए | यही वह देश है, जिसके सपूत पाणिनि ने संस्कृत भाषा का व्याकरण लिखा और उसे एक साहित्यिक भाषा के रूप में प्रतिष्ठित किया | पाणिनि सिंध नदी की तटवर्ती तहसील “सबाबी” के निवासी थे | इस्लाम यहाँ बाद में आया |

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