मोदी हैं हुशियार - एक तीर से कई शिकार |



सरकार की नीतिगत घोषणाएं सीधे जनता के बीच करने की अनोखी पहल प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने की है | कल 11 वीं बार जनता से “मन की बात” करते हुए उन्होंने यह घोषणा की कि विवादास्पद भूमि अधिग्रहण को अब दोबारा नहीं लाया जायेगा | स्मरणीय है कि उक्त अध्यादेश की अवधि 31 अगस्त को पूरी हो रही है | 

इस बड़ी घोषणा द्वारा और आगे से किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा देने संबंधी घोषणा द्वारा उन्होंने सरकार के किसान विरोधी होने की धारणा को बदलने का प्रयत्न किया है । पटना में लालू यादव-नीतीश कुमार-सोनिया गांधी के महा गठबंधन की आयोजित हुई स्वाभिमान रैली के केवल दो घंटे पूर्व यह घोषणा कर मोदी ने एक प्रकार से अपने ऊपर होने वाले संभावित प्रहारों से स्वयं को बचा लिया | जैसा कि बाद में हुआ भी कि वक्ता केवल यही कह पाए कि उनके दबाब के कारण मोदी को यह घोषणा करना पड़ी है । अन्यथा तो वे न जाने क्या क्या सगूफे छोड़ते |

तीसरी बार भूमि अधिग्रहण पर अध्यादेश न लाने के केंद्र सरकार के इस निर्णय को कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल मोदी सरकार का यू टर्न कह रहे हैं | किन्तु इस घोषणा के लिए मन की बात' के मंच का चयन कर मोदी ने अपने ऊपर लग रहे तानाशाह होने के आरोप को भी गलत साबित करने का प्रयत्न किया है ।

जैसा कि मोदी जी ने कहा भी के वे " खुले दिमाग से किसानों के लाभ के लिए किसी भी सुझाव को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं “ | इस संदेश में शुद्ध और शुद्ध प्रजातंत्र झलकता है | यह भी उल्लेखनीय है कि उनकी पार्टी और सरकार ने राष्ट्रीय महत्व के इस विषय को किसी भी प्रकार के व्यक्तिगत अहंकार या प्रतिष्ठा से नहीं जोड़ा । यह इस बात का भी प्रमाण है कि नरेंद्र मोदी की उंगली आम जनता की नब्ज पर है ।

राजनीति और शासन में आम धारणा ही सबसे अधिक मायने रखती है | प्रजातांत्रिक व्यवस्था में कई बार अच्छी मंशा और उद्देश्य से किये गए कार्यों को भी विरोधी दल जनमानस में भ्रम फ़ैलाने का आधार बना लेते हैं | जैसा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर हुआ | यह ध्यान देने योग्य बात है कि मोदी सरकार ने वे ही संशोधन लाने का प्रयत्न किया था जिनका सुझाव तत्कालीन कांग्रेस शासित हरियाणा और महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों द्वारा दिया गया था | किन्तु कितने आश्चर्य की बात है कि देश में "भ्रम और भय का माहौल 'बनाने में भी कांग्रेस ही सबसे आगे रही । शायद यही राजनीति है |

किन्तु वर्तमान परिस्थितियों में इस यू टर्न को भाजपा की चतुर राजनीतिक चाल कहा जा सकता है । 2013 के कानून में उल्लेख था कि भविष्य में मुआवजे की श्रेणियों में सरकार परिवर्तन कर सकेगी | इसका भरपूर लाभ उठाते हुए मन की बात में मोदी ने घोषणा की कि 13 अन्य श्रेणियों में भी मुआवजे का लाभ दिया जाएगा | मन की बात' से ठीक पहले केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जो अधिसूचना जारी की वह महत्वपूर्ण है, जिसमें कहा गया है कि –

संविधान के अनुच्छेद 123 के RFCTLARR (संशोधन) संबंधी दूसरा अध्यादेश, 2015 (2015 का 5) 31 अगस्त, 2015 को समाप्त हो जाएगा | इसके चलते भू स्वामियों को हानि का सामना करना पडेगा | उन्हें मिलने वाले बढे हुए मुआवजे तथा पुनर्वास के लाभ से भी वे वंचित हो जायेंगे | 

इसलिए, केंद्र सरकार ने यह निर्णय किया है कि जिनकी जमीन चौथी अनुसूची में विनिर्दिष्ट 13 केंद्रीय अधिनियमों के तहत अर्जित की जा रही है, उन्हें भी समान रूप से RFCTLARR अधिनियम की धारा 105 के लाभकारी प्रावधानों के तहत मुआवजा, पुनर्वास और पुनर्स्थापन का लाभ प्रदान किया जाए ।

चौथी अनुसूची के इन 13 केंद्रीय अधिनियमों में सम्मिलित हैं –

प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, परमाणु ऊर्जा अधिनियम, दामोदर घाटी निगम अधिनियम, भारतीय ट्रामवेज अधिनियम, भूमि अधिग्रहण (खान) अधिनियम, मेट्रो रेल (वर्क्स के निर्माण) अधिनियम, राष्ट्रीय राजमार्ग शामिल अधिनियम, पेट्रोलियम और खनिज पाइपलाइन (भूमि में उपयोगकर्ता के अधिकार के अधिग्रहण) अधिनियम, requisitioning और अधिग्रहण अचल संपत्ति का अधिकार अधिनियम, विस्थापित लोगों के पुनर्वास (भूमि अधिग्रहण) अधिनियम, क्षेत्रों अधिग्रहण और विकास अधिनियम, विद्युत अधिनियम और रेलवे अधिनियम कोयला।

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