भारत तोड़ो गेंग का षडयंत्र बेनकाब - महाराष्ट्र के वकाडी गाँव का सच !


10 जून, 2018 को सोशल मीडिया पर एक वीडिओ वायरल हुआ कि महाराष्ट्र के जिला जलगांव, तहसील जामनेर के वकाडी गांव में उच्च जाति के लोगों द्वारा दो दलित लड़कों को पीटा गया । बिना सचाई जाने इस घटना को जातीय नफ़रत का प्रगटीकरण बताते हुए, ऐसे मौके की तलाश में रहने वाली भारत तोड़ो ब्रिगेड द्वारा सामाजिक विद्वेष की आग भड़काने की कोशिश की जाने लगी | मीडिया भी बिना पूरी जांच पड़ताल के इस अभियान में सहयोगी हो गई | 

जबकि सचाई यह है कि जिन लड़कों की पिटाई हुई वे दोनों अवश्य ही अनुसूचित जाति समुदाय से हैं, किन्तु जिन्होंने पीटा वे भी उच्च जाति के नहीं, बल्कि विमुक्त जनजाति के हैं |

पूरी घटना इस प्रकार है – 

विमुक्त जनजाति के ईश्वर बलवंत जोशी के खेत में एक कुआ है, जिसके पानी का प्रयोग उनका परिवार सिंचाई के अतिरिक्त पीने के लिए भी करता है | उस कुए में प्रतिदिन अनुसूचित जाति के कुछ लडके बार बार मना करने के बाद भी स्नान करने आ जाते थे | जोशी परिवार ने उन बच्चों के माता-पिता से भी इस विषय में शिकायत की थी | लेकिन वे लडके मानते नहीं थे | 

घटना वाले दिन दोपहर तीन बजे ये लडके उस कुए में पूर्ण नग्न होकर तैरते हुए स्नान कर रहे थे कि तभी ईश्वर जोशी व उनका एक कर्मचारी प्रहलाद उर्फ़ सोन्या कैलाश लोहार वहां पहुँच गए व उनसे बाहर निकलने को कहा | 

लड़कों के कपडे कुए से काफी दूर रखे हुए थे अतः जब वे कुएं से बाहर आए तो वे पहले से ही नग्न थे। न तो कपडे उनसे छीने गए थे और नाही कोई नग्न परेड हुई, जैसा कि मीडिया रिपोर्टों में दर्शाया गया है । कुए से बाहर आये लड़कों की प्रहलाद लोहार ने पिटाई लगाई और खेत मालिक ईश्वर जोशी ने उसका वीडिओ बनाया | मजा यह कि उक्त नादान अभियुक्त ने स्वयं ही अपने अपराध का विडियो व्हाट्सएप पर साझा कर दिया। 

जैसे ही विडियो वायरल हुआ, मौके की तलाश में रहने वाले तथाकथित सामाजिक कार्यकर्त्ता सक्रिय हो गए और उन्होंने पीड़ितों के माता-पिता को शिकायत दर्ज कराने के लिए प्रेरित किया । 

पीड़ित उक्त तीन लड़कों में से एक एसटी वर्ग का है व उसकी आयु 10-11 वर्ष की है, जबकि शेष दो पीड़ित 15-16 वर्ष के किशोर एससी वर्ग के हैं | 

पुलिस ने घटना की गंभीरता को समझते हुए अविलम्ब आरोपियों को गिरफ्तार कर अत्याचार रोकथाम अधिनियम और पोस्को की धारा 323, 504 और 506 के अंतर्गत प्रकरण दर्ज कर लिया । 

इतना तो साफ़ है कि इस पूरी घटना में नस्लीय भेदभाव या दलित विरोधी मानसिकता कतई नहीं है और नाही इसमें कोई उच्च जाति का व्यक्ति संलग्न है । जोशी सरनेम देखकर लोग कूदकर इस निष्कर्ष पर पहुँच गए कि ईश्वर जोशी ब्राह्मण है, जबकि वह एक विमुक्त जनजाति का व्यक्ति है | 

पुलिस एफ आई आर -


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