मोदी को लाशों के सौदागर कहने वाले खुद क्या थे, इस पर से पर्दा उठाया तीस्ता सीतलवाड के नजदीकी ने !



तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ तथा उनकी एनजीओ सबरंग के अन्य ट्रस्टियों पर अहमदाबाद क्राइम ब्रांच द्वारा 2010 से 2013 के बीच, केंद्र सरकार से धोखाधड़ी कर 1.4 करोड़ रुपये कबाड़ने के आरोप में मुक़दमा दर्ज किया गया है । उनपर आरोप है कि उन्होंने अपनी एनजीओ सबरन्ग के लिए केंद्र सरकार से फर्जी आधार पर यह राशि प्राप्त की । स्मरणीय है कि तीस्ता के ही एक पूर्व सहयोगी रईस खान पठान द्वारा दर्ज शिकायत के आधार पर यह मामला दर्ज किया गया है। 

पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) राजदीपसिंह झाला ने मीडिया को जानकारी दी कि शिकायतकर्ता ने जानकारी दी है कि सीतलवाड को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से 1.4 करोड़ रुपये की भारीभरकम राशि शैक्षिक गतिविधियाँ संचालित करने हेतु दी गई थी, किन्तु उसका उपयोग निजी कार्यों तथा साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने वाली सामग्री मुद्रित कराने और उसे वितरित करने हेतु किया गया । 

आरोपियों पर आईपीसी के अंतर्गत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं में मुक़दमा दर्ज हुआ है, जिनमें धारा 403 (संपत्ति का बेईमानी पूर्वक गबन), 406 (भरोसे के आपराधिक उल्लंघन), और 409 (सरकारी कर्मचारी या बैंकर, व्यापारी या एजेंट द्वारा भरोसे का आपराधिक उल्लंघन) आदि शामिल हैं । 

विगत नवम्बर में पठान ने आरोप लगाया था कि सीतलवाड़ और सबरंग ट्रस्ट ने "राजनीति और धर्म का घालमेल " करने की कोशिश की थी और उस समय की यूपीए सरकार द्वारा दिए गए 1.4 करोड़ रुपये के अनुदान से ऐसी सामग्री छपवाकर उसे दो समुदायों में घृणा फैलाने के लिए बंटवाई गई । 

बैसे तीस्ता के खिलाफ आरोप और मुक़दमा कोई नई बात नहीं है | 2015 से ही उनपर दंगा पीड़ितों के नाम पर चन्दा कबाड़ने और उसका उपयोग स्वयं की विलासिता पर करने के आरोप लग रहे हैं तथा आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हुआ है | पढ़िए उसकी विस्तृत रिपोर्ट -

शिकायत में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक पैनल की रिपोर्ट का भी उल्लेख है, जिसमें यह दावा किया गया है कि धर्म के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देने और कथित तौर पर, राष्ट्रीय एकीकरण के लिए प्रतिकूल कार्य करने का प्रकरण भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए और 153 बी के तहत दर्ज किये जाने योग्य है । 

पठान का यह भी दावा है कि सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिजीत भट्टाचार्य, गुजरात सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति एसए बार और एचआरडी मंत्रालय के अधिकारी गया प्रसाद सहित तीन सदस्यीय पैनल ने यह पुष्टि की थी कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तत्कालीन अधिकारियों ने सबरंग ट्रस्ट के न्यासियों के साथ मिलकर अवैध तरीके से 'सर्व शिक्षा अभियान' के तहत धन को मंजूरी दी | 

क्या इससे यह प्रमाणित नहीं होता कि किस प्रकार यूपीएसरकार ने तीस्ता सीतलवाड का उपयोग कर गुजरात को अशांत किया | मोदी को लाशों के सौदागर कहने वाले खुद क्या थे, हैं और रहने वाले हैं, यह जनता भली प्रकार समझ चुकी है | 

साभार आधार - https://www.hindustantimes.com/india-news/teesta-setalvad-booked-for-fraudulently-getting-funds-worth-over-rs-1-cr-for-ngo/story-0JZlAWlsNmtoFj7aasDFkL.html

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