शिवपुरी भाजपा से कांग्रेसियों की घर वापसी - आधुनिक युग की कबूतर बाजी।


आजकल कबूतर बाजी का शौक बैसे तो काफी कम हो गया है, लेकिन पुराने जमाने के लोग जानते हैं कि इसका फलसफा क्या हुआ करता था। अपने सबसे प्यारे पालतू कबूतर को जानबूझकर प्रतिद्वंदी के कबूतरों में भेज दिया जाता था। और कुछ समय बाद वह तो वापस लौटता ही था, विरोधी के भी दो चार कबूतरों को साथ ले आता था। 

शिवपुरी के अनाड़ी भाजपा नेता बार बार अपने कार्यकर्ताओं में विरोधी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को घुलने मिलने का अवसर देते आ रहे हैं और नतीजा वही होता है, कांग्रेसी तो वापस जाते ही हैं, कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं को भी या तो अपने साथ ही ले जाते हैं, या फिर पंजा छाप भाजपाई बनाकर भाजपा में ही छोड़ जाते हैं। फिर चाहे हरिवल्लभ शुक्ला जी और गणेश गौतम जी का पुराना प्रहसन हो, चाहे बैजनाथ सिंह यादव और राकेश गुप्ता वनस्थली बालों का ताजा तरीन मामला। 

राकेश गुप्ता जी ने जो त्यागपत्र भाजपा जिलाध्यक्ष जी को प्रेषित किया है, उसमें लिखे कुछ अंश बड़े मजेदार हैं। वे लिखते हैं - 

भारतीय जनता पार्टी में निष्ठावान कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और उन्हें सम्मान न मिलने से मैं भाजपा के कल्चर को नहीं समझ पा रहा हूँ। अतः मैं भाजपा की सदस्यता और जिला उपाध्यक्ष पद से स्तीफा दे रहा हूँ। 

है न कमाल की बात ? जुम्मा जुम्मा चार दिन भाजपा में आये नहीं हुए और उपाध्यक्ष बना दिए गए। कमसेकम आप तो उपेक्षित नहीं ही थे। आप जब चाहें तब केंद्रीय मंत्री सिंधिया जी से चर्चा कर पाते थे। आप स्वयं की बात कर रहे हैं या वस्तुतः उन भाजपा कार्यकर्ताओं की जो वर्षों से भाजपा की सेवा करते आ रहे हैं और वह भी बिना किसी महत्वाकांक्षा के। उन्होंने सिंधिया जी के भाजपा प्रवेश के बाद उनसे चर्चा तो दूर की बात है, उनके दर्शन भी नहीं किये। 

अतः आपके द्वारा निष्ठा की बात करना तो निरर्थक ही है। आप भाजपा के प्रति निष्ठावान तो कभी थे ही नहीं। आप सिंधिया जी के प्रति निष्ठा के चलते भाजपा में आये थे और अब वापस जा रहे हैं, अपने साथ कुछ भाजपाईयों को भी लेकर। वे आज जाएंगे या दो चार दिन बाद, या चुनाव के एन पहले, यह तमाशा भी हम देखेंगे ही। इसे ही तो कबूतरबाजी कहते हैं। 

बस समझना यह है कि वापस जाने वाले आप जैसे कबूतरों को किसने भेजा था ? क्यों भेजा था यह तो समझ में आ ही रहा है - भाजपा संगठन की जड़ों में मठा डालने आये थे, उद्देश्य पूरा हो गया, अब वापस जा रहे हैं। 

लगभग एक माह से चर्चाओं में था ही कि श्रीमंत राजे के खिलाफ राकेश जी चुनाव लड़ेंगे। यह भी देखना दिलचस्प होगा कि इन तिलों में कितना तेल है ?

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

  1. भा जा पा बरगद का पेड़ है जिस पर तमाम कबूतर आते हैं और चले जाते हैं कोई फर्क नहीं पड़ता जो सच्चा राष्ट्र हितेषी है वहीं भाजपा में रह सकता है

    जवाब देंहटाएं