भाजपा शासनकाल में हमेशा क्या उलटा चोर कोतवाल को डांटता रहेगा ?


नई दिल्ली: इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक हरियाणा सरकार ने कहा है कि जमीन घोटाले में तीन सदस्यीय पैनल बनाने को लेकर जारी की गई ऑफिशयल नोटिंग गुम हो गई है | इसी पैनल ने रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट को जमीन घोटाले में क्लीन चिट दी थी और डीएलएफ-स्काईलाइट डील का म्यूटेशन रद्द करने वाले आईएएस अशोक खेमका पर अविश्वास जताया था | 

एक एफिडेविट में हरियाणा के सुपरिटेंडेंट (सर्विस ब्रांच) डीआर वाधवा ने कहा है कि 19 अक्टूबर 2012 को मुख्य सचिव ने जमीन घोटाले की जांच के लिए कृष्णा मोहन, केके जालान और राजन गुप्ता समेत तीन सदस्यीय जांच समिति के गठन का आदेश दिया था, इससे संबंधित ऑफिशल नोटिंग 'मुख्य फाइल से हटा दी गई है और मिल नहीं पा रही है |'

अशोक खेमका ने जमीन घोटाले से जुड़ी ऑफिशल नोटिंग मांगने के लिए अपील की थी, जिसके बाद सरकार ने एक एफिडेविट राज्य सूचना आयोग (एसआईसी) के समक्ष पेश किया | जमीन सौदा घोटाले के केस में अशोक खेमका के खिलाफ भी चार्जशीट फाइल की गई है. इस मामले में अपने डिफेंस के लिए खेमका ने पहले कार्मिक विभाग से ऑफिशल नोटिंग की मांग की थी, जो न मिलाने पर एसआईसी का दरवाजा खटखटाया |

ऑफिशल नोटिंग के गुम होने के बाद अब खेमका ने राज्य के मुख्य सचिव से इसकी शिकायत की है और मांग की है कि सीएम ऑफिस के कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए |

दूसरी तरफ इन समाचारों पर प्रतिक्रया देते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भाजपा नेतृत्व पर आरोप लगाया है कि वह "दुर्भावनापूर्ण राजनीतिक इरादों" से मामले को उठा रही है । श्री सुरजेवाला ने कहा कि श्री खेमका द्वारा उठाये गए बिन्दुओं की जाँच के लिए तीन वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की एक जांच समिति गठित की गई थी, जिसने इस विवाद को निरर्थक बताते हुए कहा है कि सभी आदेश दस्तावेज उपलब्ध हैं | 

वर्तमान में इन तीन अधिकारियों में से दो आज भी भारत सरकार व हरियाणा सरकार में सेवारत हैं । उन्होंने कहा कि इस जांच समिति का गठन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने नहीं किया था | अतः इस प्रकार के मुद्दे उठाना केवल राजनैतिक दुष्प्रचार है | यदि कोई दस्तावेज खोये भी हैं तो यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वे उनका पता लगाएं | दस्तावेजों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है |

इस पूरे घटनाक्रम से जो सवाल उठते हैं वे वेहद गंभीर हैं | क्या भाजपा शासनकाल में भी अभी अधिकारीगण पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के प्रति ही वफादार हैं ? या तो हरियाणा के सुपरिटेंडेंट (सर्विस ब्रांच) डीआर वाधवा द्वारा यह कहा जाना कि दस्तावेज गुम हैं, गलत है, अथवा जांच समिति का यह कथन झूठ है कि सभी दस्तावेज उपलब्ध हैं | जांच समिति की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठने लगे हैं कि वह अशोक खेमका को झूठा साबित करने पर तुली है | ऐसे में निश्चय ही सरकार को कुछ न कुछ निर्णय तो लेना ही होगा | अन्यथा उलटा चोर कोतवाल को डांटता रहेगा |
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