ग्वालियर विवाद: जब शब्द बने हथियार और विवेक बना सवाल
जब समाज का आईना धुँधला कर दिया जाए तो सच्चाई को साफ़ बोलना अपराध नहीं—कर्तव्य बन जाता हैं। ग्वालियर की धरती…
जब समाज का आईना धुँधला कर दिया जाए तो सच्चाई को साफ़ बोलना अपराध नहीं—कर्तव्य बन जाता हैं। ग्वालियर की धरती…
यूट्यूब आज केवल मनोरंजन या सूचना का मंच नहीं रहा, बल्कि यह विचारधारा की लड़ाई का सबसे बड़ा अखाड़ा बन चुका है।…
मध्यप्रदेश से उठी खबर हर संवेदनशील मन को झकझोर रही है—कफ सिरप से मासूम बच्चों की मौत! यह कैसी त्रासदी है कि…
संघ विरोधियों की एक बीमारी है—हर भारतीय चीज़ में विदेशी छाया ढूँढ़ लेना। उन्हें भगवा दिखे तो उसमें फासीवाद …
भारत आज उस दौर से गुजर रहा है जहाँ केवल राजनीति ही नहीं, बल्कि खेल, संस्कृति, समाज और यहां तक कि किसी व्यक्…
आज का दौर पत्रकारिता के लिए जितना कठिन है, उतना ही समाज के लिए भी खतरनाक हो चला है। वह पत्रकारिता, जिसने कभ…
भारत भूमि अनादि काल से संस्कृति, परंपरा और धर्म का केन्द्र रही है। यहां हर पर्व और उत्सव केवल मनोरंजन का मा…
सोशल मीडिया पर चलने वाली फर्जी पहचान की फितरत फिर से शिवपुरी के सार्वजनिक जीवन को कलंकित कर रही है। वरिष्ठ …
शिवपुरी की सरजमीं शुक्रवार को एक ऐतिहासिक पल की गवाह बनी जब प्रेस क्लब द्वारा आयोजित कार्यशाला में केंद्रीय…
एशिया कप 2025 का आयोजन केवल क्रिकेट का उत्सव भर नहीं है, बल्कि यह एशिया की बदलती धार्मिक और सांस्कृतिक तस्व…
भारत में गणेशोत्सव की शुरुआत केवल पूजा-अर्चना भर के लिए नहीं हुई थी। जब लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसे सार…
लेखक: दिवाकर शर्मा, संपादक – क्रांतिदूत शिवपुरी केवल एक ऐतिहासिक नगर नहीं, विचारों का उद्गम है, संवादों का …
जिस भाजपा को श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने राष्ट्र के वैचारिक विकल्प के रूप में खड़ा किया, जिसे दीनदयाल उपाध्याय…
शहर की आबोहवा में इन दिनों कुछ अलग ही खुशबू घुली है। दाल-बाटी की महक के साथ-साथ राजनीति, प्रॉपर्टी डील और प…
शिवपुरी अब वो शांत, सरल और सुरक्षित शहर नहीं रहा जहाँ बच्चे गली में खेलते थे, बुज़ुर्ग सड़कों पर बेखौफ़ टहल…
कभी पत्रकारिता को देखकर लोग सिर झुकाकर आदर से नमस्कार करते थे। गांव का बुज़ुर्ग कहता था – “ये कलम वाला आदमी…
शिवपुरी जिले की नरवर तहसील में पत्रकारिता की विश्वसनीयता को झकझोर देने वाला एक सनसनीखेज मामला सामने आया है।…
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जिसने अनुशासन, त्याग, समर्पण और राष्ट्रधर्म को अपनी रीढ़ बनाया, आज एक अजीब से संक्…
दिवाकर की दुनाली से ✍️ रात के तीसरे पहर, चाँद भी शर्मिंदा था – क्योंकि एक पत्रकार की कलम, आज दाल में डूबी प…
कभी सूचना के अधिकार की मशाल थामे व्यवस्था की अंधेरी गलियों में रोशनी बिखेरने वाला नाम – आशीष चतुर्वेदी – आज…