पत्रकार या जालसाज़? गले में लटकती आईडी या लटकती पत्रकारिता की लाश?
कभी पत्रकारिता को देखकर लोग सिर झुकाकर आदर से नमस्कार करते थे। गांव का बुज़ुर्ग कहता था – “ये कलम वाला आदमी…
कभी पत्रकारिता को देखकर लोग सिर झुकाकर आदर से नमस्कार करते थे। गांव का बुज़ुर्ग कहता था – “ये कलम वाला आदमी…
शिवपुरी जिले की नरवर तहसील में पत्रकारिता की विश्वसनीयता को झकझोर देने वाला एक सनसनीखेज मामला सामने आया है।…
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जिसने अनुशासन, त्याग, समर्पण और राष्ट्रधर्म को अपनी रीढ़ बनाया, आज एक अजीब से संक्…
दिवाकर की दुनाली से ✍️ रात के तीसरे पहर, चाँद भी शर्मिंदा था – क्योंकि एक पत्रकार की कलम, आज दाल में डूबी प…
कभी सूचना के अधिकार की मशाल थामे व्यवस्था की अंधेरी गलियों में रोशनी बिखेरने वाला नाम – आशीष चतुर्वेदी – आज…
शिवपुरी नगर पालिका का इतिहास केवल ईंट-पत्थर, बजट और बैठकों की दास्तां नहीं है, यह उस नगर की आत्मा की कथा है…
शिवपुरी की राजनीति इन दिनों जिस मोड़ पर खड़ी है, वह सिर्फ प्रशासनिक उठापटक नहीं, बल्कि एक गहरी आत्मा की पीड…
कभी-कभी परिवर्तन की आड़ में कुछ ऐसी आहटें सुनाई देती हैं, जो भीतर तक बेचैन कर देती हैं। यह बेचैनी वैचारिक न…
नगर पालिका भवन की दीवारें इन दिनों बहुत कुछ सुन रही हैं। वे दीवारें, जो कभी चुनी हुई चुप्पियों की गवाह थीं,…
आजकल सबकुछ बड़ा तेजी से बदल रहा है – खबरें भी, खबरनवीस भी, और उनके प्रति समाज का नजरिया भी। एक समय था जब पत…
खनियाधाना – एक बार फिर चर्चा में है। कभी धर्मांतरण के मुद्दों को लेकर, कभी जातिगत खींचतान के लिए, और अब एक …
प्रादेशिक सत्ता के गलियारों में प्रवेश केवल चाटुकारों और व्यापारियों के लिए आरक्षित। एक अजीब सी छटपटाहट है…
जब सभ्यताओं का उदय हुआ था, तब सत्य और सूचना की वाणी सबसे पवित्र मानी गई थी। गुफाओं की दीवारों से लेकर राजसभ…
भारतीय राजनीति में जब भी कोई बड़ा बदलाव होता है, तो उसकी पटकथा पहले ही लिख दी जाती है। मंच तैयार होता है, प…
✍🏻 दिवाकर शर्मा सड़कें किसी भी शहर की पहचान होती हैं। इन्हीं सड़कों पर जीवन दौड़ता है, व्यापार फलता-फूलता …
शिवपुरी की गलियों में चहल-पहल थी। बच्चे खेल रहे थे, बाजार अपनी रफ्तार में था, लोग अपने-अपने कामों में व्यस्…
शहर का दिल, माधव चौक। जहाँ रौशनी हमेशा जगमगाती है, जहाँ भीड़ की चहल-पहल कभी थमती नहीं, जहाँ हर तरफ चहकते चे…
शिवपुरी के आकाश में कोई अदृश्य बादल मंडरा रहा है। हवा में एक अजीब-सा कंपन है, जो दिखता नहीं, पर महसूस किया …
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का हालिया बयान इस मानसिकता का सटीक उदाहरण है। उन्होंने भार…
पिछोर की राजनीति में प्रीतम लोधी का उदय एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का संकेतक है, जिसने वर्षों से जमे-जमाए राजनी…