शिवपुरी में सहरिया जन जीवन - एक दृष्टिपथ



2001 की जनगणना के अनुसार मध्यप्रदेश की कुल जनसंख्या 6 करोड़ 3 लाख 48 हजार थी, जिसमें से 1 करोड़ 22 लाख 34 हजार वनवासी अर्थात अनुसूचित जनजाति के थे | अर्थात कुल जनसंख्या का 20.27 प्रतिशत | 
मध्यप्रदेश के कुल 48 में से 35 जिलों में इनकी आवादी है | मोटे तौर पर इन्हें तीन विभागों में बांटा गया –
1 छिंदवाड़ा के पातालकोट में भरिया जनजाति की कुल आवादी 2 हजार 12 थी जो 12 गाँवों में बसी थी |
2 मंडला, डिंडोरी, बालाघाट, उमरिया और शहडौल में बैगा जनजाति | 22 ब्लोक के 1143 गाँवों में इनकी कुल जनसंख्या 1 लाख 31 हजार 4 सौ पच्चीस थी |
3 ग्वालियर, दतिया, मुरैना, भिंड, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर और श्योपुर में सहरिया जनजाति | इन 8 जिलों के 26 ब्लोक के 1159 गांवों में तत्समय इनकी आवादी कुल 4 लाख 17 हजार 1 सौ 71 थी |
शिवपुरी जिला विकास के सभी मानकों में पिछडा हुआ है, विशेषकर आदिवासी बहुल क्षेत्र में । 2001 की जनगणना के अनुसार जिले में सहरिया जनजाति जिले की कुल जनसंख्या का 16 प्रतिशत है।
सहरिया जनजीवन व मान्यताएं - 
सहरियाओं में व्याप्त मिथक के अनुसार, भगवान ने पृथ्वी पर जल, वायु, पेड़ों और वनस्पतियों और जीवों को बनाया। लेकिन उस सुंदर पृथ्वी का आनंद लेने के लिए कोई नहीं था। तो उन्होंने अपने स्वयं के हमशक्ल एक आदमी की रचना की । जो पहला मानव जोड़ा बना, वह पृथ्वी पर अपने जैसी अन्य मानव छवि बनाने में व्यस्त हो गया | बाद में, इन छवियों में सुंदर और शानदार वृद्धि हुई तथा उन्होंने पहली जोड़ी को धक्का देकर हासिये पर पहुंचा दिया। भगवान ने सभी मनुष्यों को बुलाया और उन्हें हल और पोथी जैसे उपकरण प्रदान किये । जो पहला जोड़ा था, वह सबसे अंत में पहुंच पाया तथा उन्हें केवल लोहदंड मिला। किन्तु वे उससे भी संतुष्ट हुए और जंगलों में चले गए । वहां से उन्होंने जड़ों को खोदकर बाहर निकाला और भगवान को समर्पित किया । उन्हें थोड़ा तंग करने के लिए भगवान ने उसे तीखा बना दिया, किन्तु वह जोड़ा बिना परेशानी अनुभव किये अन्य जड़ों की तलाश में निकल गया । भगवान को समझ में आ गया कि उनकी पहली संतान को जो कुछ मिलता है, उसमें ही वह संतुष्ट रहती है अतः उन्होंने उनका नाम सहरिया रखा, जिसका अर्थ है जिन्हें जड़ी बूटियों का गहरा ज्ञान है और जो थोड़े में भी संतुष्ट रहते हैं ।
सहरियाओं की बस्ती को सहराना कहा जाता है | इनके घर आमतौर पर अंग्रेजी अक्षर यू के आकार के बनते हैं जिनके बीच में एक आँगन रहता है । सहरिया महिलायें अपने घर के दरवाजों, देहली, आँगन और रसोईघर को पीली मिट्टी, चाक और गेरू से लीपती हैं । आजकल वे इस काम के लिए बाजार से लाये रंगों का भी उपयोग करने लगी हैं । इस सामग्री से वे रंगीन शुभ चिन्ह भी बनाती हैं । यह चित्र केवल विशेष अवसरों पर नहीं बनाए जाते, बल्कि रसोईघर में तो लगभग प्रतिदिन बनाए जाते हैं । यह उनकी दैनंदिन दिनचर्या का भाग है तथा इससे उनका सौंदर्य बोध भी पता चलता है। हम शहरी लोगों को इसके पीछे अन्तर्निहित भाव समझ कर उसकी प्रशंसा करना संभवतः बहुत मुश्किल है। 

सहरिया पुरुषों और महिलाओं को चटक रंग पसंद है और उनके कपड़े राजस्थान और अन्य जनजातियों के समान होते हैं । कृषि के अतिरिक्त सहरिया लोग आजीविका के लिए वनोपज का भी संग्रह करते हैं | वे ज्वार, बाजार और जंगलों में पाई जाने वाली भाजियों और जड़ों से बनी रोटी खाते हैं। शुभ अवसरों जैसे शादी आदि के अवसर पर बेसन की बनी रोटी का प्रचलन है। सहरिया शिकार और मछली पकड़ने के बहुत शौकीन होते हैं । उन्हें जड़ी बूटियों का गहरा ज्ञान है और वे छत्ते से शहद प्राप्त करने के भी बहुत विशेषज्ञ होते हैं। इसके अलावा, वे टोकरी, रस्सियों, दरवाजों की चौखट आदि बनाने और जंगलों से लकड़ी इकट्ठा करने आदि काम भी करते हैं । 

सहरिया सभी हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करते है और लगभग सभी हिंदू त्योहारों को मनाते है। सीता उनकी सबसे पसंदीदा देवी है। इनके अलावा वे ग्राम देवता-ठाकुरबाबा, भेरोदेव, नाहरदेव, कारसदेव, भूमिया, हीरामन और तेजाजी की भी पूजा करते हैं।
सहरिया जहाँ भी रहते हैं वहां की स्थानीय भाषा बोलते हैं। हालांकि उनके लांगुरिया,फाग, चकिया जैसे गानों में रीति-रिवाज, मौसम के अतिरिक्त जानकी विवाह व पांडवों की कहानी होती है | तेजाजी के जीवन पर आधारित एक नाटक गीत लहंगी सहरिया भी उनका परंपरागत विशेष लोकनृत्य है ।
प्रशासनिक योजनाये क्रियान्वयन व कठिनाईयां - 
सहरियाओं का संतोषी स्वभाव जहां एक विशेषता है, वहीं उनके विकास में सबसे बड़ा अवरोधक भी है | आम धारणा है कि यदि सहरिया के घर में एक दिन की भी भोजन सामग्री है तो वह काम पर जाना पसंद नहीं करता | वह घर से तभी हिलता है जब घर में खाद्यान्न पूरी तरह समाप्त हो जाए | इसीलिए शासन प्रशासन के द्वारा दिए जाने वाले लाभों की ओर भी उसकी कोई निगाह भी नहीं होती और दिलचस्पी भी बहुत सीमित रहती है |
दूसरी ओर प्रशासन में बड़े पैमाने पर व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण वनवासियों में योजनाओं का क्रियान्वयन अत्यंत दयनीय स्थिति में है | अतः प्राथमिक आवश्यकता तंत्र को मजबूत कर योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है, जो केवल सतत निगरानी और पर्यवेक्षण के द्वारा ही संभव है |
इसी दृष्टि से शिवपुरी जिला प्रशासन ने एकीकृत जिला विकास रजिस्टर या लाभार्थी सूचना प्रणाली Beneficiaries Information System (बीआईएस) के माध्यम से योजनाओं / कार्यक्रमों की समुचित निगरानी और मूल्यांकन की योजना बनाई है |
एकीकृत जिला विकास रजिस्टर (IDDR) इस दृष्टि से अद्वितीय और अग्रणी है, क्योंकि इसके माध्यम से गरीब और वंचित वर्ग तक योजनाओं का लाभ पहुँचने में मदद मिलेगी | राशन कार्ड, पैन कार्ड, यूआईडी आदि के डेटाबेस से उनकी पहचान सुनिश्चित होने के साथ साथ विभिन्न स्तर पर अधिकारियों को लाभार्थियों और विभिन्न योजनाओं के साथ गांवों की मैपिंग से लोगों (Saharia जनजाति) हेतु बनाई गई विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन की प्रगति देखने में भी मदद मिलेगी ।
मुख्य सुविधाएँ 
  • कुल जनसंख्या का डेटाबेस 
  • सभी सरकारी योजनाओं की रूपरेखा 
  • सभी विभागों व विबागाध्यक्षों की जानकारी 
  • वेव के माध्यम से लाभार्थियों की जानकारी अद्यतन रखना 
  • सरलता से उन लोगों की पहचान करना जिन्हें कोई लाभ नहीं मिला, या कम लाभ मिला 
  • प्रांत, जिला, ब्लाक स्तरीय रिपोर्ट्स 
  • सभी विभागों की निगरानी एक साथ 
लक्ष्य और उद्देश्य 
लक्ष्य 
• समय पर सभी योजनाओं के लाभ लोगों तक कुशलता से पहुंचाना तथा प्रशासन और आर्थिक विषयों में पारदर्शिता लाना |
उद्देश्य 
• ग्रामीण, शहरी विकास और कुछ विशिष्ट राजस्व विभागों तथा उनके सभी लाभार्थियों का विभिन्न योजनाओं के तहत डेटाबेस बनाना |
• कार्यक्रमों / योजनाओं की प्रभावी निगरानी और पर्यवेक्षण हेतु नीचे के कर्मचारियों के लिए डेटाबेस की एकल खिड़की व्यवस्था करना।
• लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुँचने की प्रक्रिया को सरल करना |
• सभी योजनाओं में निचले स्तर तक समुचित कोष प्रवाह की गति तेज करना तथा उस पर निगरानी रखना |
योजना और तैयारी 
• प्रत्येक ब्लॉक में पांच ग्राम पंचायतों का डेटा
• प्रत्येक विभागाध्यक्ष द्वारा लाभार्थियों को लाभ पहुंचाना
• विभागाध्यक्ष का उपयोगकर्ता से संवाद
• वेब आधारित निगरानी
• भविष्य में विधानसभा क्षेत्र के अनुसार लाभार्थी डेटा बेस से जीआईएस आधारित प्रणाली
इनपुट प्रारूप 
• स्थान की बेसिक जानकारी (ग्राम, ब्लॉक)
• व्यक्तिगत जानकारी (नाम, उम्र आदि)
• पहचान विवरण (यूआईडी, बैंक ए / सी, वोटर आईडी)
• उनका परिवार विवरण (परिवार के सदस्यों की जानकारी)
• योजनाओं का लाभ (लाड़ली लक्ष्मी आदि)
• लाभ विवरण (पत्ता, चैक, सुविधा, पेंशन, ऋण, मद आदि)

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