लीला सेमसन की विभिन्न लीलाएं -


आज के प्रमुख समाचारों में सेंसर बोर्ड की अध्यक्षा लीला सेमसन व उनके आठ सहयोगीयों इरा भास्कर, लोरा प्रभु, पंकज शर्मा, राजीव मसंद, शेखर बाबू कन्चेर्ला, शाजी करूँ, शुभ्रा गुप्ता तथा टीजी त्यागराजन द्वारा सेंसर बोर्ड से दिया गया स्तीफा सुर्ख़ियों में है | अतः सहज जिज्ञासा होना स्वाभाविक है कि ऐसा क्यों हुआ और कैसे हुआ | इसके लिए जरूरी है इनकी पृष्ठभूमि की जानकारी | बदली हुई राजनैतिक फिजा में इनकी अप्रासंगिकता क्यों है यह भी विचारणीय है | तो जानते हैं लीला जी की सेंसर लीला -


लीला सेमसन का काला सच
1) लीला सैमसन की कहानी औपनिवेशिक मिशनरीवाद के युग से भरत नाट्यम के नृत्य रूप को बचाने वाली एक नृत्‍य गुरु रुक्मिणी अरूंडेल द्वारा स्थापित एक शास्त्रीय नृत्य संस्‍थान कलाक्षेत्र से प्रारंभ होती है. रुक्मिणी के अनुसार "नृत्य एक ऐसी साधना है जिसे पूर्ण भक्ति की आवश्यकता है."


2) लीला सैमसन की यहूदी-ईसाई पृष्ठभूमि को देखते हुए रुक्मिणी उन्हें संस्था में स्वीकार करने के लिए कुछ अनिच्छुक सी थीं. हालांक‍ि उन्हें शायद ही इस बात का संज्ञान था कि उनका यह डर आने वाले वर्षों में दस गुना भयावह सच बन कर सामने आ जाएगा.


3) कहा जाता है 2005 में कलाक्षेत्र की निदेशक बनने के लिए लीला ने अपनी अर्हताओं में फर्जीवाड़ा करके धोखे से यह पद प्राप्त किया. इस धोखाधड़ी के उजागर होने के बावजूद संप्रग सरकार के अधीन संस्कृति मंत्रालय ने उन्हें इस पद पर जारी रखा.


4) उनकी नियुक्ति के बाद लीला का पहला कार्य भरत नाट्यम की आध्यात्मिक जड़ों का उन्मूलन था. छात्रों और शिक्षकों के भारी विरोध के बावजूद उन्होंने परिसर से सभी गणेश और नटराज की प्रतिमाओं को 'हिन्दू अंधविश्वास' कहते हुए ज़बर्दस्ती हटाने के आदेश दिए.


5) 1936 के बाद से कलाक्षेत्र के प्रतीक के रूप में स्थापित लोगो को लीला ने सिर्फ इसलिए बदल दिया क्योंकि उसमें भगवान शिव के प्रतीक के साथ प्रभु नटराज गणेश की छवि थी. कारण, फिर वही हिन्दू अंधविश्वास का हवाला.

6) वर्ष 2006 में 5-8 दिसम्बर के बीच चेन्नई में आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री रविशंकर द्वारा आयोजित 'हेल्थ एंड हैप्पिनेस' कार्यक्रम के उद्घाटन के दौरान एक लघु नृत्य में भाग लेने की अनुमति से लीला ने इनकार कर दिया और न मानने पर छात्रों के निष्कासन की धमकी दी: वजह बताई गई कि यह एक "हिंदू घटना" है.(छात्र-कलाकारों ने उनकी धमकी को नज़रअंदाज कर दिया और उन्हें यह याद दिलाते हुए कि कला कलाकार से भी बड़ी है, उस आयोजन में भाग लिया. उसके बाद लीला ने इस आयोजन में जाने वाले छात्रों की सहायता करने वाले शिक्षकों को लगातार उत्पीडि़त करना प्रारंभ कर दिया.)
7) सुबह की सभा में, सैमसन ने कथित तौर पर छात्रों और शिक्षकों से साफ-साफ कहा कि "मूर्ति पूजा" एक अंधविश्वास है और कलाक्षेत्र में इसे हतोत्साहित किया जाना चाहिए. लीला सैमसन हिंदू ग्रंथों और देवताओं की जम कर खिल्ली उड़ाया करती थीं, और उनकी तुलना वॉल्ट डिज्नी के कार्टून चरित्रों से किया करती थीं.


8) नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट में उनके सात साल के कार्यकाल (2005-12) के दौरान उनके कामकाज के तरीके की सख्‍़ती से आलोचना की. उन्होंने आधुनिकीकरण के बहाने से कलाक्षेत्र सभागार के मंदिर के ढांचे को ध्वस्त कर दिया. इसके अतिरिक्त वहाँ कई करोड़ रुपए की निधि अनियमितताओं बरती गई थीं और कम से कम 16 नियुक्तियों में योग्यता के मानकों और संस्था के मानदंडों को धता बताते हुए मनमाने तरीके से उनका निर्णय किया गया था. अपनी शक्ति का यह घिनौना और ज़बरदस्त दुरुपयोग लीला सैमसन सोनिया के समर्थन से ही कर पाई थीं. और ऐसा होता भी क्यों नहीं - आखिर लीला प्रियंका वाड्रा की निजी नृत्य शिक्षक थीं.
9) नियत आयु से अधिक होने के बावजूद, लीला को एक ग़ैरकानूनी सेवा विस्तार दिया गया और सेंसर बोर्ड की प्रमुख बनाया गया था. उनका खुद का सिनेमा ज्ञान शून्य था, लेकिन वह बोर्ड के अधिकांश सदस्यों को अशिक्षित और मूर्ख बताया करती थीं. जब इन सदस्यों में से दो द्वारा उन्हें कानूनी नोटिस जारी किया गया, जब वह माफी मांगने के लिए मजबूर हुई थीं.
10) हालांकि किसी भी फिल्म में ईसाइयों या मुसलमानों को लेकर ज़रा से भी हास्यपूर्ण संदर्भ पर वह कड़ी आपत्ति जताती थीं, लेकिन हिंदू धर्म की मान्यताओं खिल्ली उड़ाती फिल्मों को वह नियमित रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर बिना किसी काट-छांट के जारी कर देती थीं.

लीला सैमसन तथा कांग्रेस द्वारा नियुक्त हिंदू विरोधी, भारत विरोधी दुष्प्रचार में लिप्त यह लोग पश्चिम को खुश करने के लिए हमारे राष्ट्र की एक घटिया तस्वीर पेश करते रहे हैं.

स्वाभाविक ही यूपीए सरकार द्वारा नियुक्त ऐसे तत्व नई राजनैतिक परिद्रश्य में स्वयं को अप्रासंगिक अनुभव कर रहे हैं | इन लोगों ने पीके फिल्म को स्वीकृति प्रदान कर जिस प्रकार अपनी मानसिकता प्रदर्शित की थी, तथा उसकी जिस प्रकार पूरे देश में तीखी प्रतिक्रिया हुई, उससे भी इन लोगों को यह अनुमान लग गया था कि अब भविष्य में अपना घिनौना खेल जारी नहीं रख पायेंगे | तो नाखून कटाकर शहीद बनने हेतु यह स्तीफा नौटंकी आयोजित हुई है |

आधार -  http://shankhnaad.net/index.php/heritage/subversion/item/155-leela-samson-past-hindi 
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