क्या नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के साथ साथ भगत सिंह के परिजनों की भी हुई थी जासूसी ?



नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार की दो दशक तक हुई कथित जासूसी का मामला सामने आने के बाद एक विवाद ने जन्म ले लिया जिसने ना केवल मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दीं बल्कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु पर भी कई सवाल खड़े कर दिए।

अब शहीदे आज़म भगत सिंह के परिवार ने दावा किया है कि कई सालों तक उन पर सरकारी तंत्र द्वारा नज़र रखी गई। भगत सिंह के भतीजे अभय सिंह संधू ने दावा किया कि आजादी के बाद भी खुफिया एजेंसियों ने परिवार पर नज़र रखी।

संधु ने बताया कि हमारे परिवार की कई सालों तक जासूसी की गई। संधू के अनुसार उनके परिवार के फोन पर होने वाली बातचीत भी सालों तक निगरानी के दायरे में रही। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन के समय से ही उनके परिवार पर पैनी नजर रखी गई। उन्होंने दावा किया कि देश की आजादी के बाद आज भी हम खुफिया एजेंसियों की नजर में थे।

संधु भगत सिंह के छोटे भाई सरदार कुलबीर सिंह के बेटे हैं जिनका जन्म 1914 में हुआ था और वह फिरोजपुर से जनसंघ के विधायक थे। संधु ने कहा कि मेरे पिता दिवंगत सरदार कुलबीर सिंह ने दोनों से जुडी वे फाइलें और रिकॉर्ड प्राप्त करने की कोशिश की थी जिन्हें दिल्ली के राष्ट्रीय अभिलेखागार में रखा गया है।

बकौल संधु उन्हें बताया गया कि फाइलें 'गुप्त' हैं और 20-30 सालों तक के लिये अहस्तांतरीण हैं। उन्होंने कहा, 'मेरे पिता का निधन 1983 में हुआ था, लेकिन उसके बाद भी जब हमने मांग की तो हमें वही जवाब मिला। संधु ने कहा कि कुलबीर सिंह की मौत के बाद भी उनके परिवार ने दस्तावेज हासिल करने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

गौरतलब है कि हाल ही में यह खुलासा हुआ है कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने बोस के रिश्तेदारों की 20 साल तक जासूसी कराई थी। 1948 से लेकर 1968 के बीच बोस के परिवार पर "अभूतपूर्व" नजर रखी गई थी। आईबी इंटरसेप्टिंग के साथ ही बोस के परिवार को आने वाली चिटि्ठयों पर भी नजर रखती थी और परिवार के लोगों की यात्राओं पर भी जासूसी की गई।



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