प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना - भारत माला, सागर माला !



यह बात कोई ढकी छुपी नहीं है कि भारत से लगाने वाली सीमा में चीन ने शानदार रोड इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया हुआ है | स्वाभाविक ही भारत को भी अपने चिर प्रतिद्वन्दी की तैयारियों से गाफिल नही रहना चाहिए | उसी दिशा में एक कदम बढ़ाते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने भारतमाला योजना पर काम शुरू किया है | अटल बिहारी वाजपेयी ने स्वर्णिम चतुर्भुज बनाने का कदम बढ़ाया था। नरेंद्र मोदी भारतमाला बनाना चाहते हैं। इसके तहत भारत के पूरब से पश्चिम तक यानी मिजोरम से गुजरात तक सीमावर्ती इलाकों में सड़क बनाई जाएगी। इस पर करीब 14,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस सड़क को महाराष्ट्र से पश्चिम बंगाल तक तटीय राज्यों में एक रोड नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। 

सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव सचिव विजय छिब्बर के अनुसार इस पर चालू वर्ष में ही काम शुरू हो जाने की संभावना है | मंत्रालय को उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में एक विस्तृत प्रॉजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि सरकार को पूरब से पश्चिम तक भारत की पूरी सीमा को कवर करने के लिए लगभग 5,300 किमी की नई सड़कें बनानी होंगी और इस पर 12,000-14,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। सरकार को पांच साल में यह प्रॉजेक्ट पूरा करने की उम्मीद है। इसका काम गुजरात और राजस्थान से शुरू होगा। फिर पंजाब और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड का नंबर आएगा। इसके बाद उत्तर प्रदेश और बिहार के तराई क्षेत्र में काम पूरा करने के बाद सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश से होते हुए मणिपुर और मिजोरम में भारत-म्यांमार बॉर्डर तक सड़कें बनाई जाएंगी।

भारतमाला प्लान से सीमावर्ती इलाकों से बेहतर संपर्क संभव होगा । सड़कें बेहतर होने पर मिलिट्री ट्रांसपोर्ट बेहतर हो सकेगा। साथ ही, कई राज्यों में बेहतर सड़कों से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी। इस योजना में सड़कों का ज्यादातर हिस्सा पहाड़ी राज्यों में बनेगा, जहां संपर्क और आर्थिक गतिविधियों का मामला कमजोर है। इसके लिए हर साल कम से कम एक लाख करोड़ रुपये खर्च करने का अधिकार दिया गया है। भारतमाला एक तरह से एक और बड़े प्रॉजेक्ट सागरमाला को भी जोड़ेगा। सागरमाला के तहत बंदरगाहों और तटीय इलाकों को रेल और रोड नेटवर्क के जरिये देश के भीतरी क्षेत्रों से जोड़ने का प्लान है

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