वीआईपी के सुरक्षा गार्ड या गुलाम ?



क्या आप उक्त दोनों महानुभावों को पहचानते हैं ? इनमें से एक हैं श्री रछपालसिंह, पश्चिम बंगाल के महामहिम प्लानिंग एंड इम्प्लीमेंटेशन मिनिस्टर | और दूसरे जो हेट लगाये आत्ममुग्ध स्थिति में विराजमान हैं, वे हैं उत्तरप्रदेश के शहंशाह भारत के गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह |

सरकार ने इन लोगों की सुरक्षा के लिए जो जवान तैनात किये हैं, वे अपनी मान मर्यादा और प्रतिष्ठा को इनके जूतों के लेस के साथ बाँध रहे हैं | लगता है सुरक्षा के नाम पर इन लोगों को विभाग एकदम नाकारा लोगों को देता है, जिनकी औकात केवल अपने मालिकों के हुकुम बजाना भर होता है | फिर वो हुकुम चाहे जूते के लेस बांधना हो चाहे झूठे कप प्लेट उठाना | अगर ऐसा है तो फिर ये लोग काहे के व्हीआईपी और काहे की इनकी सुरक्षा ? ये सुरक्षा गार्ड क्या ख़ाक सुरक्षा करेंगे ? अथवा इन लोगों को विवश होकर इन तथाकथित बड़े लोगों के सामने भीगी बिल्ली बनकर इनके हुकुम मानना पड़ते हैं | आखिर रोजी रोटी का सवाल जो है |

बात इन दोनों की ही नहीं है, आमतौर पर अधिकाँश व्हीआईपी के सुरक्षा गार्ड इसी प्रकार अपमान के कड़वे घूँट पीते दिखाई देते हैं | मेरे मत में यह केवल सुरक्षा गार्ड की तौहीन नहीं है, यह समूचे जवानों का अपमान है | जो लोग अपनी जान हथेली पर रखकर देश की सुरक्षा करते हैं, देश के अन्दर और बाहर देश के दुश्मनों का सामना करते हैं, उनके साथ नेताओं का यह व्यवहार निंदनीय है | ऐसे बेशर्म राजनेताओं के कारण ही समूची नेता बिरादरी के प्रति आमजन में नफ़रत का भाव घर करता जा रहा है | शिशुपाल के सौ अपराध जिस दिन पूरे हो जायेंगे उस दिन जनता जनार्दन का सुदर्शन चक्र क्या सोता रहेगा ?

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