क्या अयोध्या की राजकुमारी थी कोरिया की पूर्व महारानी सुरीरत्ना ?



“अयोध्या” जिसे समस्त विश्व मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् श्री राम की जन्मभूमि के कारण ही पहचानता है परन्तु कोरिया के लोग अयोध्या को एक अलग ही नजरिये से जानते पहचानते हैं !

कोरिया के इतिहास में कहा गया है कि अयोध्या से दो हज़ार साल पहले अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना नी हु ह्वांग ओक अयुता (अयोध्या) से दक्षिण कोरिया के ग्योंगसांग प्रांत के किमहये शहर आई थीं ! अर्थात कोरिया के पौराणिक दस्तावेजों के अनुसार अयोध्या की एक राजकुमारी, कोरिया की महारानी बनी थी ! हालांकि भारत में इस बात पर कई लोगों को हैरत है कि यहां के इतिहास में अयोध्या की किसी राजकुमारी के कोरिया जाने की बात आम जन को पता तक नहीं है !

कहा जाता है कि एक मंडारिन भाषा में लिखे कोरिया के पौराणिक दस्तावेज “सामगुक युसा” में कहा गया है कि ईश्वर ने अयोध्या की राजकुमारी के पिता को स्वप्न में आकर ये निर्देश दिया था कि वह अपनी बेटी को किमहये शहर भेजें, जहां सुरीरत्ना का विवाह राजा सुरो के साथ संपन्न किया जाएगा ! 

16 वर्षीय राजकुमारी सुरीरत्ना का विवाह इसके बाद किमहये राजवंश के राजकुमार सुरों के साथ संपन्न कराया गया ! कहा यह भी जाता है कि इसी किमहये राजवंश के नाम पर ही कोरिया का नाम रखा गया है !

कोरिया में आज कारक गोत्र के लगभग साठ लाख लोग ख़ुद को राजा सुरो और अयोध्या की राजकुमारी के वंश का बताते हैं ! यह लोग मानते है कि सुरीरत्ना और राजा सुरो के वंशजों ने ही 7वीं शताब्दी में कोरिया के विभिन्न राजघरानों की स्थापना की थी एवं इनके ही वंशजों को कारक वंश बताया जाता है, जो कि कोरिया समेत विश्व के अलग-अलग देशों में उच्च पदों पर आसीन हैं ! कोरिया के एक पूर्व राष्ट्रपति किम डेई जंग और पूर्व प्रधानमंत्री हियो जियोंग और जोंग पिल किम भी इसी वंश से संबंध रखते थे !

वैसे तो कोरिया के इतिहास में अनेक महारानियाँ हुई, परन्तु सभी महारानियों में सुरीरत्ना को ही सबसे अधिक आदरणीय और पवित्र माना गया, जिसका एक कारण उनका भगवान राम की नगरी अयोध्या से जुड़ा होना भी बताया जाता है ! 

यही नहीं इस वंश के लोगों ने उन पत्थरों को संभाल कर रखा है जिसके बारे में मान्यता है कि इन पत्थरों को सुरीरत्ना अपनी समुद्र यात्रा के दौरान नाव को संतुलित रखने के लिए साथ लाई थीं ! किमहये शहर में सुरीरत्ना की प्रतिमा भी मौजूद है !

आज भी कोरिया में रहने वाले कारक वंश के लोगों का एक समूह हर साल फरवरी-मार्च के दौरान राजकुमारी सुरीरत्ना की मातृभूमि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने अयोध्या आता है ! इन लोगों के द्वारा सरयू नदी के तट पर राजकुमारी सुरीरत्ना की याद में एक पार्क भी बनवाया है ! समय समय पर अयोध्या के कुछ प्रमुख लोग भी किमहये शहर की यात्रा पर जाने लगे हैं ! अयोध्या के पूर्व राजपरिवार के सदस्य बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र यहां आने वाले कारक वंश के लोगों की आवभगत करते रहे हैं और वे विगत कुछ वर्षों में कई बार दक्षिण कोरिया भी जाते रहे हैं ! बिमलेंद्र मिश्र 1999-2000 के दौरान कोरिया सरकार के मेहमान रह चुके हैं !

बिमलेंद्र मिश्र ने सर्वप्रथम कुछ कोरियाई विद्वानों से इस कहानी के बारे में सुना ! तत्पश्चात कुछ समय के बाद उन्हें राजकुमारी की कोरिया यात्रा से जुड़े एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान कोरिया आने का न्यौता मिला !

मिश्र के अनुसार उन्हें प्रारम्भ में कुछ शक था और मिश्र ने कोरियाई विद्वानों से कहा कि थाईलैंड में भी एक अयोध्या है संभवतः यह स्थान थाईलैंड का अयुता भी हो सकता है ! परन्तु कोरियाई विद्वान इस बात को लेकर आश्वस्त थे और इस वाबत अपनी पूरी रिसर्च करने के बाद ही वे अयोध्या आए थे !

दिलचस्प बात यह है कि भारतीय प्राचीन दस्तावेजों में इस बात का कहीं भी जिक्र नहीं मिलता कि सुरीरत्ना का विवाह कोरिया के राजा के साथ हुआ था , हालांकि उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग के एक ब्रोशर में कोरिया की रानी का जिक्र अवश्य है ! परन्तु भारतीय दस्तावेजों में इस बात का भी कोई प्रमाण नहीं हैं कि राजकुमारी सुरीरत्ना का संबंध भगवान राम के वंश से था !

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