ईश्वर से संवाद –
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एक दिन मैंने दुनिया छोड़ने का निर्णय लिया
 
मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी,
 
अपने सारे नाते रिश्ते ख़तम मान लिए
 
अपनी आध्यात्मिकता को भी तिलांजली दे दी  ...
 
पर इसके पूर्व कि अपने जीवन से बाहर निकलता....
ईश्वर से बात करने का प्रयत्न किया
  
और उसके लिए जंगल में गया
 
मैंने पूछा – हे भगवान्
 
"मैंने ऐसा क्या अपराध किया कि तुमने मुझे छोड़ दिया ?"
 
हैरान करने वाली बात यह हुई कि ईश्वर ने मुझे जबाब दिया ...
 
उन्होंने कहा  अपने "चारों ओर देखो", ।
 
"क्या तुम जंगल में उगे हुए बेशरम के पौधे और बांस को देखते हो ?
 
मैंने उत्तर दिया,  "हाँ" ।
 
ईश्वर ने कहा – दोनों के बीज साथ साथ लगे, 
मैंने दोनों का एक समान ख्याल रखा।
 
मैंने उन्हें भूमि, हवा, प्रकाश और पानी दिया,
और देखते ही देखते बेशरम का पौधा बढ़ने लगा ।
 
उसमें शानदार हरी पत्तियां दिखाई देने लगीं, 
किन्तु बांस के बीज से कुछ भी बाहर नहीं आया ।
 
लेकिन मैंने बांस को छोडा नहीं ।
 
दूसरे वर्ष बेशरम और तेजी से बढ़ा, 
उसमें बेंगनी रंग के सुन्दर फूल भी खिलने लगे ।
 
लेकिन बांस के बीज से फिर कुछ नहीं निकला । 
पर मैंने बांस को फिर भी नहीं छोड़ा ।
 
यहाँ तक कि तीसरा साल भी निकल गया,
पर बांस के बीज में कोई हलचल नहीं हुई ।
 
देखते देखते चार वर्ष बीत गए, 
न मैंने उसे छोड़ा और न उसमें से जीवन फूटा ।
ईश्वर ने कहा !
पांचवें वर्ष में जाकर उसमें से एक छोटा सा अंकुर पृथ्वी के बाहर उभरा।
बेशरम की तुलना में बेहद कमजोर और महत्वहीन जैसा
 
... लेकिन सिर्फ 6 महीने बाद बांस 100 फुट लंबा हो गया ।
 
उसने पांच साल लिए, 
पहले अपनी जड़ों को मजबूत बनाया,
अपनी जीवनी शक्ति को संजोया
 
और फिर अपनी ऊंचाई को पाया ।
 
मेरे लिए मेरी सभी रचनाएँ महत्वपूर्ण हैं,
 
उन्होंने मुझसे पूछा।
 
मेरे बच्चे क्या तुम जानते हो कि जब तुम संघर्ष कर रहे होते हो,
 
उस समय तुम वस्तुतः अपनी जड़ों को मजबूत बना रहे होते हो ।
 
जैसे मैंने बांस को नहीं छोड़ा, तुम्हें भी कभी नहीं छोड़ा,
छोड़ सकता भी नहीं,
"अपने आप की दूसरों से तुलना मत करो।"
  
"बेशरम और बांस का जीवन उद्देश्य अलग अलग है, 
उनकी संरचना भी उसी अनुसार है ।“
 
लेकिन दोनों मिलकर इस वन को सुंदर बनाते हैं। "
 
"तुम्हारा भी समय आएगा"
 
जब तुम्हारी सुवास से जग महकेगा, 
भगवान ने मुझसे कहा।
 
"तुम भी ऊंचाई और ऊंचाई पाओगे"
 
मैं चुपचाप जंगल से वापस आ गया,
 
इस संकल्प के साथ
 
कि कभी हार नहीं मानूंगा !!
 ...क्योंकि वह मेरे साथ है !!!
Tags :
धर्म और अध्यात्म
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